क्राइम के गड़े ‘मुर्दों’ को ज़िंदा कर रहा AI: ब्रिटेन से भारत तक अपराध सुलझाने में मिल रही तकनीकी मदद

शीर्षक: क्राइम के गड़े ‘मुर्दों’ को ज़िंदा कर रहा AI: ब्रिटेन से भारत तक अपराध सुलझाने में मिल रही तकनीकी मदद


भूमिका:
जहां अपराधी समय के साथ कानून की पकड़ से बच निकलते हैं, वहीं अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पुराने, जटिल और ठंडे पड़ चुके मामलों को नए जीवन देने का कार्य कर रहा है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि AI अपराध के ‘गड़े मुर्दों’ को ज़िंदा कर रहा है।
ब्रिटेन से लेकर भारत तक पुलिस और जांच एजेंसियां AI आधारित तकनीकों का उपयोग कर पुराने अपराधिक मामलों को सुलझाने, संदिग्धों की पहचान करने और न्याय प्रक्रिया को तेज़ करने में बड़ी सफलता प्राप्त कर रही हैं।


1. AI कैसे सुलझा रहा है पुराने अपराध?

AI ऐसे मामलों में मददगार सिद्ध हो रहा है जहां:

  • दशकों पुराना डेटा धूल खा रहा था
  • चश्मदीद गवाह अब जीवित नहीं
  • या फिर संदिग्ध वर्षों से पहचान से बाहर थे

AI सिस्टम अब पुराने फोटो, वीडियो फुटेज, डाटा सेट, डीएनए रिकॉर्ड, और फोरेंसिक रिपोर्ट्स को स्कैन कर सकता है और नए सुराग निकाल सकता है।


2. भारत का केस: केरल की 2006 की ट्रिपल मर्डर केस में AI की भूमिका

केरल में 2006 में हुए एक ट्रिपल मर्डर केस को AI की मदद से 2024 में फिर से खोला गया। इसमें:

  • AI आधारित चेहरा पहचानने वाली तकनीक (Facial Recognition System) से पुराने संदिग्धों की तस्वीरों को स्कैन किया गया।
  • संदिग्धों की पुरानी फोटो को एआई द्वारा एजिंग तकनीक से वर्तमान संभावित लुक में बदला गया।
  • नई तस्वीरों को मौजूदा आपराधिक डाटाबेस, सोशल मीडिया और सीसीटीवी फुटेज से मिलाकर संदिग्धों की पहचान कर ली गई।
  • नतीजतन, तीनों आरोपी पकड़े गए, जो वर्षों से अलग-अलग राज्यों में नाम बदलकर रह रहे थे।

यह मामला भारत में AI की मदद से “कोल्ड केस” को सुलझाने का पहला सफल उदाहरण बना।


3. ब्रिटेन में AI की सफलता की कहानियाँ

लंदन मेट्रोपोलिटन पुलिस और UK Home Office ने कई वर्षों से AI आधारित सिस्टम का परीक्षण और प्रयोग शुरू कर दिया है:

  • Retina और Iris Scanner AI Tool ने एक पुराने बैंक लूट कांड में अपराधी की पहचान की, जो प्लास्टिक सर्जरी के बाद भी पकड़ से बाहर था।
  • Predictive Policing Tools ने अपराध के संभावित स्थान और व्यक्तियों की पहचान कर संभावित हमलों को रोका।
  • Natural Language Processing (NLP) के माध्यम से पुराने रिकॉर्ड की छानबीन कर कई संदिग्धों के आपसी संबंध सामने लाए गए।

4. AI की प्रमुख तकनीकें जो अपराध सुलझाने में मदद कर रही हैं:

तकनीक कार्य
Facial Recognition वर्षों पुराने फोटो से संदिग्ध की पहचान
Predictive Analytics भविष्य में अपराध होने की संभावना का विश्लेषण
Video Enhancement AI धुंधले वीडियो को साफ करना
Voice Reconstruction टेलीफोन रिकॉर्ड से आवाज की पहचान
AI-powered DNA Analysis DNA प्रोफाइल को तेजी से मिलाना
Behavioural Pattern Detection संदिग्ध की गतिविधियों का विश्लेषण

5. लाभ और संभावनाएं

कोल्ड केस में प्रगति: AI ऐसे मामलों में नई दिशा दे रहा है जो वर्षों से बंद पड़े थे।
सटीक पहचान: AI की मदद से शक की गुंजाइश कम होती जा रही है।
कम मानव संसाधन में ज़्यादा काम: पुलिस और जांच एजेंसियों को सीमित स्टाफ में भी व्यापक जांच करने में सहायता मिल रही है।
डिजिटल फोरेंसिक क्रांति: डिजिटल डाटा की जाँच में AI अप्रत्याशित गति और सटीकता ला रहा है।


6. चुनौतियाँ और चिंताएँ

  • प्राइवेसी का खतरा: AI आधारित निगरानी नागरिक स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकती है।
  • गलत पहचान (False Positive): AI कभी-कभी निर्दोषों को भी संदिग्ध बना सकता है।
  • भेदभावपूर्ण एल्गोरिद्म: गलत प्रशिक्षण डेटा के कारण AI जाति, धर्म या वर्ग के आधार पर पक्षपात कर सकता है।
  • कानूनी स्पष्टता की कमी: भारत में AI-आधारित साक्ष्य की वैधता और प्रक्रिया अभी स्पष्ट नहीं है।

7. निष्कर्ष

AI अब अपराध की दुनिया में न्याय का नया प्रहरी बन चुका है। यह न केवल वर्तमान मामलों को सुलझाने में सहायक है, बल्कि पुराने, जटिल और भूले-बिसरे मामलों को उजागर कर रहा है।
भारत जैसे देशों के लिए यह तकनीक न्याय तंत्र में गति, पारदर्शिता और परिणाम लाने का सशक्त माध्यम बन सकती है — बशर्ते इसके प्रयोग में नैतिकता, जवाबदेही और संवैधानिक संतुलन बना रहे।


अंतिम प्रश्न:

क्या AI के साथ हम अपराध के खिलाफ निर्णायक युद्ध जीतने की ओर बढ़ रहे हैं?
या
क्या तकनीक के अंधाधुंध प्रयोग से हम एक सर्विलांस राज्य की ओर जा रहे हैं?

उत्तर तकनीक में नहीं — उसके नियमन और इस्तेमाल की नीयत में छिपा है।