क्या रजिस्ट्री को खारिज (Cancel) करवाया जा सकता है? — भूमि पंजीकरण, आपत्ति और रद्द करने की कानूनी प्रक्रिया पर संपूर्ण विश्लेषण
भूमिका
भारत में भूमि और संपत्ति का स्वामित्व सिद्ध करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ होता है — “रजिस्ट्री” या “पंजीकृत बिक्री विलेख” (Registered Sale Deed)। किसी भी जमीन, मकान या भवन की खरीद-बिक्री तभी कानूनी रूप से वैध मानी जाती है जब उसकी रजिस्ट्री उप-पंजीयक (Sub-Registrar) कार्यालय में विधिवत रूप से दर्ज हो जाए।
परंतु कई बार परिस्थितियाँ ऐसी बन जाती हैं जब किसी पक्ष को यह लगता है कि रजिस्ट्री धोखे, गलत जानकारी, दबाव, या जालसाजी के आधार पर कराई गई है। ऐसे में यह प्रश्न उठता है — क्या रजिस्ट्री को खारिज या रद्द करवाया जा सकता है?
यह लेख इसी विषय पर केंद्रित है — इसमें हम जानेंगे कि किन परिस्थितियों में रजिस्ट्री रद्द की जा सकती है, क्या इसकी कोई समय-सीमा होती है, और इसके लिए क्या कानूनी प्रक्रिया अपनानी पड़ती है।
रजिस्ट्री क्या होती है?
रजिस्ट्री (Registry) दरअसल “पंजीकरण अधिनियम, 1908 (Registration Act, 1908)” के अंतर्गत एक विधिक प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से संपत्ति का स्वामित्व एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हस्तांतरित (Transfer) किया जाता है।
यह प्रक्रिया राज्य सरकार के निबंधन विभाग (Department of Registration) के अधीन होती है। जब विक्रेता (Seller) और खरीदार (Buyer) दोनों पक्ष दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर कर उप-पंजीयक कार्यालय में पंजीकरण कराते हैं, तो यह प्रमाणित हो जाता है कि संपत्ति का स्वामित्व खरीदार को विधिवत रूप से हस्तांतरित हो गया है।
रजिस्ट्री के बाद खरीदार कानूनी स्वामी (Legal Owner) माना जाता है, और उसी आधार पर वह संपत्ति पर कब्जा, उपयोग और हस्तांतरण का अधिकार प्राप्त करता है।
क्या रजिस्ट्री को रद्द करवाया जा सकता है?
सामान्यतः एक बार की गई रजिस्ट्री अंतिम और बाध्यकारी (Final & Binding) होती है। लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में इसे रद्द (Cancel) करवाया जा सकता है।
रजिस्ट्री रद्द करने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हो सकते हैं:
- धोखाधड़ी (Fraud):
यदि यह साबित हो जाए कि विक्रेता या खरीदार ने झूठी जानकारी दी, दस्तावेज़ जाली थे, या हस्ताक्षर फर्जी थे, तो रजिस्ट्री अवैध मानी जा सकती है। - दबाव या जबरदस्ती (Coercion or Undue Influence):
यदि किसी व्यक्ति ने भय, दबाव या धोखे में आकर दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए, तो वह इसे अदालत में चुनौती दे सकता है। - गलत व्यक्ति द्वारा बिक्री (Lack of Ownership):
यदि विक्रेता उस संपत्ति का वास्तविक मालिक नहीं था, तो ऐसी रजिस्ट्री निरस्त की जा सकती है। - कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन (Violation of Legal Procedure):
यदि पंजीकरण अधिकारी ने विधिक नियमों का पालन नहीं किया, जैसे गवाहों की अनुपस्थिति, स्टाम्प शुल्क का अभाव आदि।
रजिस्ट्री रद्द करने की समय-सीमा (Limitation Period)
निबंधन विभाग (Registration Department) ने स्पष्ट किया है कि रजिस्ट्री रद्द कराने के लिए 90 दिनों की अवधि (Time Limit) निर्धारित की गई है।
इसका अर्थ है कि यदि किसी व्यक्ति को किसी रजिस्ट्री पर आपत्ति करनी है — जैसे कि वह जालसाजी, दबाव या फर्जीवाड़े पर आधारित है — तो उसे रजिस्ट्री के 90 दिनों के भीतर संबंधित उप-पंजीयक कार्यालय या न्यायालय में आवेदन करना होगा।
यदि यह अवधि बीत जाती है, तो व्यक्ति को सीधा दीवानी न्यायालय (Civil Court) की शरण लेनी होगी, जहां से रजिस्ट्री रद्द करने का आदेश (Deed Cancellation Order) प्राप्त किया जा सकता है।
रजिस्ट्री रद्द करवाने की प्रक्रिया
रजिस्ट्री रद्द करने की प्रक्रिया दो स्तरों पर चल सकती है —
1. प्रशासनिक स्तर पर (Before Sub-Registrar):
यदि रजिस्ट्री को रद्द कराने की मांग 90 दिनों के भीतर की जाती है, तो यह प्रक्रिया निबंधन विभाग के माध्यम से संभव है।
प्रक्रिया के मुख्य चरण:
- संबंधित उप-पंजीयक कार्यालय में लिखित आवेदन प्रस्तुत करें।
- रजिस्ट्री की प्रति, संपत्ति का विवरण, और आपत्ति के कारण संलग्न करें।
- आवेदन के साथ सभी प्रमाण (जैसे फर्जी हस्ताक्षर, गलत दस्तावेज़, पहचान पत्र) जमा करें।
- अधिकारी द्वारा जांच के बाद यदि रजिस्ट्री में गंभीर गड़बड़ी पाई जाती है, तो उसे “निलंबित (Suspended)” या “रद्द (Cancelled)” किया जा सकता है।
2. न्यायालय के माध्यम से (Through Civil Court):
यदि रजिस्ट्री को रद्द कराने की मांग 90 दिनों के बाद की जा रही है, तो व्यक्ति को दीवानी न्यायालय में वाद दायर करना होगा।
प्रक्रिया इस प्रकार है:
- “संपत्ति रद्दीकरण वाद” (Suit for Cancellation of Sale Deed) दायर करें।
- वाद में स्पष्ट करें कि रजिस्ट्री धोखे या दबाव से कराई गई थी।
- दस्तावेज़ों और गवाहों के माध्यम से प्रमाण प्रस्तुत करें।
- अदालत जांच के बाद आदेश पारित करेगी कि रजिस्ट्री को अवैध और रद्द घोषित किया जाए।
अदालत के आदेश के बाद रजिस्ट्री विभाग उस विलेख को अमान्य घोषित कर देता है।
कानूनी प्रावधान
रजिस्ट्री को रद्द करने से संबंधित प्रमुख कानून हैं:
- भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 (Indian Contract Act, 1872)
- यदि अनुबंध धोखे, दबाव या मिथ्या प्रस्तुतीकरण पर आधारित है, तो वह शून्य (Voidable) माना जाता है।
- पंजीकरण अधिनियम, 1908 (Registration Act, 1908)
- इस अधिनियम की धारा 32 से 35 में रजिस्ट्री की वैधता और निरस्तीकरण से संबंधित नियम दिए गए हैं।
- भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC)
- यदि किसी रजिस्ट्री में जालसाजी पाई जाती है, तो धारा 420, 467, 468, 471 के तहत आपराधिक मामला भी दर्ज किया जा सकता है।
महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय
- Suraj Lamp Industries Pvt. Ltd. v. State of Haryana (2012) 1 SCC 656
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल वैध पंजीकृत दस्तावेज़ ही स्वामित्व का अधिकार देते हैं। फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर कोई अधिकार नहीं बनता। - Gurbachan Singh v. Raghubir Singh (2010)
अदालत ने कहा कि यदि रजिस्ट्री धोखे से कराई गई है, तो उसे रद्द करने का अधिकार अदालत के पास है, चाहे वह कई वर्षों बाद ही क्यों न हो। - Laxmi Devi v. State of Bihar (2015)
कोर्ट ने माना कि रजिस्ट्री अधिकारी द्वारा की गई गलती या प्रक्रिया का उल्लंघन भी रजिस्ट्री को अवैध ठहराने का आधार हो सकता है।
दाखिल-खारिज (Mutation) और रजिस्ट्री रद्दीकरण का संबंध
अक्सर लोग भ्रमित हो जाते हैं कि यदि रजिस्ट्री कराई जा चुकी है तो दाखिल-खारिज (Mutation) कराने से पहले उसे रद्द कराया जा सकता है या नहीं।
इस पर स्पष्ट नियम यह है कि रजिस्ट्री के बाद 90 दिनों तक दाखिल-खारिज की प्रक्रिया लंबित रखी जाती है, ताकि यदि किसी व्यक्ति को आपत्ति हो तो वह आवेदन कर सके।
यदि इस अवधि में कोई आपत्ति आती है, तो दाखिल-खारिज नहीं की जाती और मामला जांच के लिए रोका जाता है।
90 दिनों के बाद यदि कोई आपत्ति नहीं आती, तो दाखिल-खारिज स्वतः हो जाती है और स्वामित्व कानूनी रूप से मान्य हो जाता है।
रजिस्ट्री रद्द करने के परिणाम
रजिस्ट्री रद्द होने के बाद —
- संपत्ति का स्वामित्व पूर्व मालिक के पास वापस चला जाता है।
- खरीदार को संपत्ति का अधिकार समाप्त हो जाता है।
- यदि संपत्ति पर लोन या बंधक था, तो बैंक को भी इसकी सूचना दी जाती है।
- रजिस्ट्री की प्रति पर “Cancelled” का उल्लेख किया जाता है।
यदि मामला धोखाधड़ी का है, तो पुलिस जांच और आपराधिक कार्रवाई भी शुरू की जा सकती है।
रजिस्ट्री रद्द कराने के लिए आवश्यक दस्तावेज़
- रजिस्ट्री की मूल प्रति (Original Sale Deed)
- संपत्ति के स्वामित्व प्रमाण (Khasra, Khatauni, etc.)
- पहचान पत्र (Aadhaar, PAN Card आदि)
- आपत्ति का हलफ़नामा (Affidavit)
- साक्ष्य या गवाहों की सूची
- आवेदन पत्र या वादपत्र
व्यावहारिक सुझाव
- किसी भी रजिस्ट्री से पहले संपत्ति की राजस्व रिकॉर्ड और मालिकाना हक की जांच अवश्य करें।
- यदि कोई संदेह हो तो रजिस्ट्री के तुरंत बाद 90 दिनों के भीतर आपत्ति दर्ज कराएँ।
- फर्जीवाड़े के मामलों में एफआईआर दर्ज करवाना भी आवश्यक होता है।
- अदालत में वाद दायर करने से पहले किसी वकील की कानूनी सलाह अवश्य लें।
- रजिस्ट्री निरस्तीकरण के बाद राजस्व रिकॉर्ड और नगर निगम रिकॉर्ड को भी अपडेट कराना न भूलें।
निष्कर्ष
रजिस्ट्री संपत्ति स्वामित्व का सबसे मजबूत प्रमाण है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि यह कभी रद्द नहीं की जा सकती। यदि यह साबित हो जाए कि रजिस्ट्री धोखे, दबाव या गलत सूचना पर आधारित है, तो कानून इसके रद्दीकरण की अनुमति देता है।
निबंधन विभाग द्वारा निर्धारित 90 दिन इस प्रक्रिया में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं — यह अवधि आपत्ति दर्ज कराने और न्याय प्राप्त करने का पहला अवसर प्रदान करती है।
साथ ही, दीवानी न्यायालय के माध्यम से भी कोई व्यक्ति रजिस्ट्री रद्द करा सकता है, बशर्ते उसके पास ठोस प्रमाण और साक्ष्य हों।
इस प्रकार, यह कहना उचित होगा कि —
“कानून सत्य और न्याय का पक्षधर है, और यदि रजिस्ट्री अन्याय के माध्यम से हुई है, तो उसे रद्द करने का अधिकार प्रत्येक नागरिक को प्राप्त है।”