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क्या बंदरगाह से निकलने के बाद भी कस्टम्स माल जब्त कर सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने छोड़ा खुला सवाल

क्या बंदरगाह से निकलने के बाद भी कस्टम्स माल जब्त कर सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने छोड़ा खुला सवाल

        भारतीय सीमा शुल्क कानून (Customs Law) में जब्ती (Seizure), निर्यात–आयात नियंत्रण और दंडात्मक कार्रवाई से जुड़े प्रश्न लंबे समय से विवाद और न्यायिक व्याख्या का विषय रहे हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण केस में यह अहम टिप्पणी की कि क्या कस्टम विभाग (Customs Department) उन वस्तुओं (goods) को भी जब्त कर सकता है जो पहले ही बंदरगाह (Port) से निकल चुकी हों—इस प्रश्न को Court ने अभी के लिए खुला (left open) छोड़ दिया है।

      यह निर्णय न केवल निर्यात-आयात क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि कस्टम विभाग की शक्तियों की सीमाओं—जैसे Seizure, Confiscation, Detention, तथा Investigation—को लेकर भविष्य में दिशा तय कर सकता है।

        यह लेख इस निर्णय की पृष्ठभूमि, कानूनी प्रश्न, संबंधित कानून, न्यायिक टिप्पणियों और इसके व्यापक प्रभावों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करता है।


1. पृष्ठभूमि : विवाद क्या था?

मामला उन वस्तुओं की जब्ती से जुड़ा है जो:

  • बंदरगाह पर Unloading/Loading पूरा करने के बाद
  • पोर्ट की सीमा (Port Area Limits) से बाहर निकल चुकी थीं और
  • माल व्यापारी/कंपनी के कब्जे में था

Customs Department ने भारतीय सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 (Customs Act, 1962) की विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई करते हुए उन वस्तुओं को जब्त (seize) करने की कोशिश की, यह कहते हुए कि export fraud और illegal diversion का संदेह है।

मालिकों ने High Court और बाद में Supreme Court में यह कहते हुए चुनौती दी कि:

एक बार जब माल बंदरगाह की सीमा से बाहर चला जाए, तो कस्टम्स को उसे जब्त करने का अधिकार नहीं है।

लेकिन विभाग का मत था कि:

Illegal export, misdeclaration या duty evasion के मामलों में goods का भौतिक स्थान (physical location) कोई बाधा नहीं है।

जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँचा, तो कोर्ट ने कानून के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की, किन्तु एक महत्वपूर्ण प्रश्न—
“क्या पोर्ट से निकल चुका माल भी Customs द्वारा जब्त किया जा सकता है?”
—को खुला छोड़ दिया।


2. विवाद का केंद्रीय कानूनी प्रश्न

Customs Act, 1962 की दो धाराएँ इस विवाद की जड़ में हैं:

(1) धारा 110 – Seizure of Goods

यह कस्टम अधिकारियों को अधिकार देती है कि जब उन्हें यह “reason to believe” हो कि वस्तुएँ:

  • गलत तरीके से आयात/निर्यात हो रही हैं,
  • Misdeclared हैं,
  • Smuggling का हिस्सा हैं,

तो वे किसी भी स्थान से माल को जब्त कर सकते हैं।

लेकिन “किसी भी स्थान से” का अर्थ कितना व्यापक है?

  • क्या यह पोर्ट क्षेत्र तक सीमित है?
  • क्या यह देश के किसी भी हिस्से तक लागू होता है?
  • क्या निजी गोदाम या ट्रांसपोर्ट के दौरान भी जब्ती की जा सकती है?
  • और सबसे अहम—क्या पोर्ट से निकलने के बाद भी अधिकार समान रहता है?

यही वह बिंदु है जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अभी खुला छोड़ा है।

(2) धारा 111 और 113 – Confiscation Provisions

ये धाराएँ गलत निर्यात/आयात की गई वस्तुओं को ज़ब्त (confiscate) करने का आधार देती हैं।
वर्तमान विवाद में भी Customs इन धाराओं पर ही निर्भर था।


3. सुप्रीम कोर्ट ने मुद्दा खुला क्यों छोड़ा?

सुप्रीम कोर्ट की दृष्टि से यह प्रश्न कई जटिल परिस्थितियों से जुड़ा है:

(a) विभिन्न High Courts के विरोधाभासी निर्णय

  • कुछ High Courts का मत:
    पोर्ट से बाहर गई वस्तुओं पर कस्टम्स की शक्ति समाप्त हो जाती है।
  • अन्य High Courts का मत:
    Seizure अधिकार व्यापक है, स्थान महत्वपूर्ण नहीं।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर एक निश्चित सिद्धांत निर्धारित करने से पहले विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता महसूस की।


(b) यह प्रश्न larger bench द्वारा तय किया जाना चाहिए

क्योंकि मामला:

  • निर्यात नीति,
  • अंतरराष्ट्रीय व्यापार,
  • कस्टम कानून,
  • प्रवर्तन अधिकार
    —सभी से संबंधित है।

इसलिए दो-न्यायाधीशीय पीठ ने कहा कि यह प्रश्न भविष्य में बड़ी पीठ को रेफर किया जा सकता है।


(c) मामले में निर्णय की आवश्यकता नहीं थी

सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि इस विशेष केस में:

  • Goods पहले ही व्यापारी के कब्जे में थीं,
  • जांच अन्य तरीकों से संभव थी,
  • और माल जब्त करने की आवश्यकता नहीं थी।

इसलिए कोर्ट ने कहा कि इस बिंदु पर विस्तृत विचार किसी अन्य उपयुक्त मामले में किया जाएगा।


4. अदालत की मुख्य टिप्पणियाँ

सुप्रीम कोर्ट ने बहुत महत्वपूर्ण Observations दिए:

1. Customs की शक्ति असीमित नहीं है

“कानून प्रवर्तन एजेंसियों की शक्तियाँ व्यापक हो सकती हैं, परंतु उनकी सीमाएँ भी कानून द्वारा निर्धारित होती हैं।”

2. Physical Control बनाम Legal Control का अंतर

Court ने कहा कि:

  • Port से निकलने के बाद कस्टम का physical control समाप्त हो जाता है,
  • परंतु legal control (जैसे inquiry, summons, documents माँगना) जारी रह सकता है।

इसका निष्कर्ष यही कि जब्ती का अधिकार पोर्ट से बाहर हो सकता है या नहीं—यह अभी तय नहीं।

3. ‘Reason to Believe’ की कसौटी कड़ी होनी चाहिए

यह केवल संदेह मात्र न हो।
סुप्रीम कोर्ट ने कहा:

“Seizure एक गंभीर दखल है—इसे केवल ठोस आधार पर ही किया जा सकता है।”


5. क्या यह निर्यात-आयात उद्योग के लिए राहत है?

कुछ हद तक हाँ, क्योंकि:

  • भविष्य में कस्टम विभाग को पोर्ट से बाहर माल जब्त करने से पहले बहुत सावधानी बरतनी होगी।
  • सीमाएँ स्पष्ट होने तक विभाग की शक्तियाँ judicial scrutiny के अधीन रहेंगी।

लेकिन अंतिम राहत अभी नहीं है—क्योंकि Court ने अंतिम निर्णय नहीं दिया है।


6. कस्टम विभाग के लिए इसका क्या अर्थ है?

जब्ती (seizure) और जांच (investigation) दोनों में फर्क है।
Court ने संकेत दिया कि:

  • दस्तावेज़, बयान, रिकॉर्ड मांगे जा सकते हैं
  • Summons भेजे जा सकते हैं
  • Investigation जारी रह सकती है

लेकिन physical seizure का अधिकार अब अनिश्चितता में है।


7. व्यापारियों और इंडस्ट्री के लिए प्रभाव

यह निर्णय Exporters, Importers, Shipping Companies, Logistics Firms और Warehouse Operators के लिए महत्वपूर्ण है।

(1) Legal Uncertainty कम हुई है

Court ने कहा कि जब्त किए बिना भी जांच संभव है।

(2) Power Misuse रोकने का मार्ग खुला

पहले Customs अधिकारी अक्सर:

  • माल पोर्ट से निकलने के बाद
  • परिवहन के दौरान
  • या निजी गोदामों से

सीधे माल जब्त कर लेते थे।
अब ऐसा करते समय उन्हें हर कदम पर कानून का पालन साबित करना होगा।

(3) Compliance और Documentation अब अधिक महत्वपूर्ण

अधिकारी अब जांच पर ध्यान देंगे, न कि तुरंत जब्ती पर।


8. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह प्रश्न कैसे देखा जाता है?

अंतरराष्ट्रीय कस्टम प्रथाओं के अनुसार:

  • Export Clearance मिलने के बाद
  • Port से निकलने पर

Customs का सीधा Physical Control समाप्त माना जाता है।
भारत में भी यही सिद्धांत अपनाया जा सकता है, परंतु Supreme Court अभी अंतिम रूप नहीं दे रहा। 

9. भविष्य की संभावना – Larger Bench का निर्णय

संभावना है कि केंद्र सरकार या किसी अन्य मामले में Supreme Court यह प्रश्न:

“क्या Customs Act, 1962 की धारा 110 पोर्ट से बाहर माल की जब्ती की अनुमति देती है?”

को Larger Bench को भेजेगा।

यह निर्णय भारत के कस्टम कानून में मील का पत्थर साबित होगा।


10. निष्कर्ष : अभी अनिश्चितता, पर राहत भी

सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद स्थिति कुछ इस प्रकार है:

  • कोर्ट ने स्पष्ट रूप से नहीं कहा कि पोर्ट से बाहर का माल जब्त किया जा सकता है या नहीं।
  • लेकिन उसने मजबूत संकेत दिए हैं कि इस अधिकार पर सीमाएँ हो सकती हैं।
  • जांच जारी रखी जा सकती है, पर जब्ती अब कानूनी रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
  • यह मुद्दा निकट भविष्य में बड़ी पीठ द्वारा निर्णीत किया जाएगा

यह निर्णय भारतीय व्यापार, सीमा शुल्क प्रशासन और न्यायिक व्याख्या के लिए बेहद महत्वपूर्ण विकास है।