“कॉपीराइट उल्लंघन केवल समानता से सिद्ध नहीं होता: बॉम्बे हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय — फे़क्सिमिली कॉपी के अभाव में उल्लंघन नहीं”
भूमिका
भारतीय न्यायपालिका ने बौद्धिक संपदा अधिकारों के क्षेत्र में समय-समय पर कई महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं, विशेषकर कॉपीराइट कानून को लेकर। साहित्य, कला, संगीत, डिजाइन, फिल्म, विज्ञापन और डिजिटल क्रिएशन के बढ़ते प्रभाव वाले युग में यह प्रश्न अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो जाता है कि क्या किसी रचना में केवल समानता या समान दिखावट ही कॉपीराइट उल्लंघन के लिए पर्याप्त है? या क्या उल्लंघन सिद्ध करने के लिए प्रत्यक्ष नकल अर्थात् “फेक्सिमिली कॉपी” (facsimile reproduction) साबित करना आवश्यक है?
बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में दिए एक निर्णय में स्पष्ट किया कि—
“केवल समानता या दिखने में मिलते-जुलते तत्वों के आधार पर कॉपीराइट उल्लंघन नहीं माना जा सकता, जब तक यह साबित न हो कि मूल रचना की सीधी नकल की गई है।”
यह फैसला रचनात्मक उद्योगों—फैशन, डिजिटल मीडिया, फिल्म, विज्ञापन, ग्राफिक डिजाइन, साहित्य और संगीत—सभी के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत प्रस्तुत करता है। यह निर्णय ‘आईडिया-एक्सप्रेशन डाइकॉटोमी’ (Idea–Expression Dichotomy) और ‘‘सब्सटैंशियल सिमिलैरिटी’’ (Substantial Similarity) की मूल अवधारणाओं को मजबूत करता है।
मामले की पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसकी मौलिक कलात्मक डिजाइन को प्रतिवादी ने हू-ब-हू कॉपी करके व्यावसायिक उपयोग किया है। उसके अनुसार, रंग संयोजन, रूपांकन (motifs), ग्राफिक शैली, थीम और दृश्य प्रस्तुति प्रतिवादी के कार्य में समान है, इसलिए यह कॉपीराइट उल्लंघन है।
प्रतिवादी ने तर्क दिया:
- उसने स्वतंत्र रूप से डिजाइन बनाई है
- किसी भी डिजाइन में कुछ समान तत्व होना सामान्य है
- केवल सामान्य थीम या शैली मिल जाने से कॉपीराइट उल्लंघन नहीं कहा जा सकता
- रचना मौलिक है और प्रतिलिपि नहीं है
कोर्ट के सामने मुख्य मुद्दा था—
क्या कॉपीराइट उल्लंघन सिद्ध करने के लिए कार्य की हू-ब-हू नकल आवश्यक है? या केवल समानता भी पर्याप्त है?
कोर्ट का तर्क और विश्लेषण
✅ 1. कॉपीराइट विचार नहीं बल्कि अभिव्यक्ति की रक्षा करता है
कॉपीराइट कानून किसी विचार (idea) का नहीं, बल्कि उसकी अभिव्यक्ति (expression) का संरक्षण करता है। इसे Idea vs Expression Dichotomy कहा जाता है।
यदि दो कलाकार एक ही विचार या थीम—जैसे प्रकृति, त्योहार, भावनाएँ, परंपरा—पर कार्य करते हैं, तब यह उल्लंघन नहीं होगा, जब तक अभिव्यक्ति की नकल नहीं की गई।
✅ 2. प्रेरणा और नकल में अंतर
कोर्ट ने माना कि कला और डिजाइन की दुनिया में प्रेरणा लेना अवैध नहीं है।
नकल (copying) और प्रेरणा (inspiration) में स्पष्ट अंतर है।
| प्रेरणा | नकल |
|---|---|
| वैध | अवैध |
| विचार का उपयोग | अभिव्यक्ति की हू-ब-हू प्रतिलिपि |
| रचनात्मक स्वतंत्रता | मौलिकता का हनन |
✅ 3. फे़क्सिमिली कॉपी का अभाव
न्यायालय ने कहा कि कॉपीराइट उल्लंघन तभी माना जाएगा जब प्रतिवादी के कार्य में मूल रचना की सटीक और स्पष्ट कॉपी हो—अर्थात् facsimile reproduction।
केवल समानता या सामान्य दृश्य प्रभाव पर्याप्त नहीं।
✅ 4. सब्सटैंशियल सिमिलैरिटी का सिद्धांत
समानता बड़ी हो तो भी यह जांचना होगा—
- क्या समानता महत्वपूर्ण/मौलिक भागों में है?
- क्या मिलती-जुलती अभिव्यक्ति योजनाबद्ध नकल का परिणाम है?
यदि नहीं, तो उल्लंघन नहीं सिद्ध होगा।
✅ 5. स्वतंत्र सृजन का महत्व
यदि प्रतिवादी यह दिखा दे कि डिजाइन स्वतंत्र रूप से बनाई गई है, तो कॉपीराइट उल्लंघन का दावा विफल होगा।
प्रासंगिक न्यायिक सिद्धांत
यह निर्णय भारतीय और अंतरराष्ट्रीय न्यायिक सिद्धांतों के अनुरूप है।
भारत में मान्यता प्राप्त सिद्धांत:
- R.G. Anand v. Deluxe Films — Supreme Court
समानता विचार पर आधारित हो तो उल्लंघन नहीं
- Eastern Book Company v. D.B. Modak
कौशल, श्रम और मौलिक रचनात्मकता का स्तर आवश्यक
- Midas Hygiene v. Sudhir Bhatia
वास्तविक कॉपी का प्रमाण जरूरी
अंतरराष्ट्रीय सिद्धांत:
- अमेरिकी अदालतें — “ordinary observer test”
- यूके — originality & independent creation doctrine
यह फैसला इन्हीं स्थापित मानकों को दोहराता है।
रचनात्मक उद्योगों पर प्रभाव
यह निर्णय निम्न क्षेत्रों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है—
- फैशन और टेक्सटाइल डिजाइन
- विज्ञापन और ग्राफिक मीडिया
- फिल्म और संगीत उद्योग
- डिजिटल कंटेंट और यूट्यूब क्रिएटर्स
- वेब डिजाइन और UI/UX उद्योग
- पैकेजिंग, ब्रांडिंग और लोगो डिज़ाइन
रचनाकार अब आश्वस्त रह सकते हैं कि:
यदि वे स्वतंत्र रूप से रचना करते हैं, तो केवल समानता की वजह से उन्हें कॉपीराइट उल्लंघन का दोषी नहीं ठहराया जाएगा।
डिजिटल युग में प्रासंगिकता
सोशल मीडिया और AI-जनित सामग्री के दौर में यह सिद्धांत और भी महत्वपूर्ण हो गया है।
अब लाखों कलाकार, डिजाइनर, कंटेंट क्रिएटर इंटरनेट पर काम साझा करते हैं।
समस्या आती है:
- प्रेरणात्मक कार्य बनाना सामान्य है
- AI निरंतर समान स्टाइल वाले आर्टवर्क देता है
- ट्रेंड आधारित डिजाइनिंग बढ़ रही है
- थीम और एस्थेटिक्स अक्सर मिलते हैं
ऐसे में केवल दृश्य समानता के आधार पर दंडात्मक कार्रवाई क्रिएटिविटी को बाधित कर सकती है।
यह फैसला रचनात्मक स्वतंत्रता को बढ़ावा देता है।
कॉपीराइट उल्लंघन सिद्ध करने के लिए आवश्यक तत्व
| तत्व | विवरण |
|---|---|
| मौलिक कार्य | Original creation होना चाहिए |
| प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष नकल | Evidence के साथ साबित होना चाहिए |
| सुब्सटैंशियल समानता | मुख्य अभिव्यक्ति कॉपी होनी चाहिए |
| स्वतंत्र निर्माण का अभाव | प्रतिवादी स्वतंत्र रचना सिद्ध न कर सके |
केवल समानता — अपर्याप्त
महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर
❓ क्या सामान्य शैली या थीम समान होना उल्लंघन है?
नहीं। अभिव्यक्ति की नकल ही उल्लंघन है।
❓ यदि दो डिजाइन देखने में समान हों?
तब भी उल्लंघन तभी सिद्ध होगा जब कॉपी की गई हो।
❓ क्या रंग, आकार, कॉन्सेप्ट समान हो तो कॉपीराइट टूट जाएगा?
नहीं। जब तक अभिव्यक्ति कॉपी न हो।
❓ प्रेरणा लेना वैध है?
हाँ — जब तक कॉपी न की जाए।
न्यायालय का निष्कर्ष
न्यायालय ने कहा:
“कॉपीराइट संरक्षण मौलिक अभिव्यक्ति को मिलता है, न कि विचार या समान शैली को। जब तक प्रत्यक्ष या सुब्सटैंशियल प्रतिलिपि साबित न हो, समानता मात्र उल्लंघन नहीं है।”
निष्कर्ष
यह निर्णय भारतीय न्यायिक दर्शन में संतुलन स्थापित करता है—
एक ओर यह रचनाकारों की मौलिकता की रक्षा करता है, दूसरी ओर क्रिएटिविटी और प्रेरणा को प्रतिबंधित नहीं होने देता।
मुख्य निष्कर्ष:
- कॉपीराइट विचार नहीं, अभिव्यक्ति का संरक्षण करता है
- समानता ≠ उल्लंघन
- नकल का स्पष्ट प्रमाण आवश्यक
- स्वतंत्र सृजन सुरक्षित है
- रचनात्मक स्वतंत्रता की रक्षा की गई है
सारांश
| सिद्धांत | अर्थ |
|---|---|
| मात्र समानता | उल्लंघन नहीं |
| फे़क्सिमिली कॉपी जरूरी | हाँ |
| आईडिया नहीं बल्कि अभिव्यक्ति | संरक्षण |
| स्वतंत्र रचना | वैध |
| क्रिएटिव इंडस्ट्री | सुरक्षित |