शीर्षक:
“केवल विक्रय अनुबंध के आधार पर नहीं मिल सकता स्वामित्व का अधिकार: सुप्रीम कोर्ट का निर्णय — Vinod Infra Developers Ltd बनाम Mahaveer Lunia एवं अन्य“
🔷 भूमिका:
भारतीय संपत्ति कानून में यह एक स्थापित सिद्धांत है कि किसी संपत्ति पर वैध स्वामित्व (Ownership) का दावा तभी किया जा सकता है जब वह विधिपूर्ण ढंग से अंतरण (transfer) के माध्यम से किया गया हो — जैसे कि पंजीकृत बिक्री विलेख (registered sale deed)।
सुप्रीम कोर्ट ने Vinod Infra Developers Ltd बनाम Mahaveer Lunia एवं अन्य वाद में इस सिद्धांत की पुनः पुष्टि करते हुए कहा कि केवल “agreement to sell” (विक्रय अनुबंध) के आधार पर न तो संपत्ति पर स्वामित्व (ownership) का दावा किया जा सकता है और न ही शीर्षक (title) स्थापित किया जा सकता है, यदि क्रेता ने विशेष निष्पादन (specific performance) का वाद दाखिल नहीं किया हो।
🔷 मामले की पृष्ठभूमि:
इस वाद में Vinod Infra Developers Ltd. ने यह दावा किया कि उसने एक संपत्ति को खरीदने के लिए Mahaveer Lunia और अन्य प्रतिवादियों के साथ एक विक्रय अनुबंध (Agreement to Sell) किया था, और इस आधार पर संपत्ति पर उसका स्वामित्व है।
हालांकि, कंपनी ने न तो उस अनुबंध का पंजीकरण कराया था, न ही विशेष निष्पादन (specific performance) का वाद दाखिल किया था। इसके बावजूद वह उस संपत्ति पर स्वामित्व और कब्जे का अधिकार मांग रही थी।
🔷 प्रमुख प्रश्न:
- क्या मात्र “Agreement to Sell” (बिक्री का अनुबंध) के आधार पर संपत्ति का स्वामित्व प्राप्त किया जा सकता है?
- क्या बिना Specific Performance Suit दायर किए, ऐसा अनुबंध विधिसम्मत स्वामित्व या शीर्षक प्रदान करता है?
🔷 सुप्रीम कोर्ट का निर्णय:
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा:
“In the absence of a suit for specific performance of a contract, a mere agreement to sell cannot be made the basis to claim ownership or title over a property.”
न्यायालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि जब तक क्रेता, विक्रेता को अनुबंध के निष्पादन हेतु बाध्य करने के लिए न्यायालय में विशेष निष्पादन का वाद दायर नहीं करता, तब तक वह केवल अनुबंध के बल पर संपत्ति का वैध स्वामी नहीं बन सकता।
🔷 न्यायालय की मुख्य टिप्पणियाँ:
- Agreement to Sell, Ownership नहीं देता:
अनुबंध केवल एक वायदा (promise) होता है — यह स्वामित्व स्थानांतरण नहीं करता। जब तक विधिवत पंजीकृत बिक्री विलेख निष्पादित नहीं होती, तब तक खरीदार का कोई वैध शीर्षक नहीं बनता। - Specific Performance आवश्यक:
यदि खरीदार को लगता है कि विक्रेता अनुबंध के अनुसार कार्य नहीं कर रहा है, तो उसे Specific Relief Act के अंतर्गत अदालत में विशेष निष्पादन के लिए मुकदमा दायर करना चाहिए। - Possession भी अवैध हो सकता है:
यदि कोई खरीदार अनुबंध के आधार पर कब्जा ले लेता है, परंतु बिक्री विलेख नहीं है, तो ऐसा कब्जा वैध स्वामित्व का प्रमाण नहीं है। ऐसे मामलों में कब्जा भी चुनौती के अधीन रहता है।
🔷 विधिक सिद्धांत:
- भारतीय सिविल कानून के तहत, संपत्ति के स्वामित्व का अधिकार केवल Registered Sale Deed के माध्यम से स्थानांतरित होता है।
- Section 54 of the Transfer of Property Act, 1882 यह स्पष्ट करता है कि एक अनुबंध (“agreement to sell”) मात्र संपत्ति के स्वामित्व को स्थानांतरित नहीं करता।
- Specific Relief Act, 1963 के तहत खरीदार को यदि अनुबंध के अनुसार विक्रेता कार्य नहीं कर रहा है, तो उसे विशेष निष्पादन हेतु वाद दायर करना होगा।
🔷 निर्णय का महत्व:
यह निर्णय उन सभी मामलों के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होगा, जहाँ क्रेता बिना वैध दस्तावेजों के स्वामित्व का दावा करता है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि अनुबंध केवल एक आशय है — उसका क्रियान्वयन और निष्पादन आवश्यक है।
🔷 प्रभाव और सावधानियाँ:
- केवल विक्रय अनुबंध के आधार पर कोई संपत्ति न खरीदें — यह लीगल ट्रांसफर नहीं माना जाएगा।
- यदि विक्रेता ने अनुबंध के अनुसार विक्रय विलेख निष्पादित नहीं किया है, तो तत्काल न्यायालय में Specific Performance Suit दाखिल करें।
- संपत्ति का वैध अधिकार तभी मिलेगा जब विक्रय विलेख पंजीकृत हो और आवश्यक स्टाम्प ड्यूटी अदा की गई हो।
🔷 निष्कर्ष:
Vinod Infra Developers Ltd बनाम Mahaveer Lunia एवं अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पुनः यह सिद्ध कर दिया कि “Agreement to Sell” केवल एक प्रारंभिक समझौता होता है, न कि पूर्ण स्वामित्व का दस्तावेज़। जब तक अदालत में जाकर उसे बाध्यकारी रूप नहीं दिया जाता, तब तक क्रेता का दावा अस्वीकार्य रहेगा।
यह निर्णय भारत में संपत्ति लेन-देन से जुड़े पक्षों के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी है — कागज़ पर अनुबंध काफी नहीं, कानूनी निष्पादन और पंजीकरण आवश्यक है।