“केरल में SIR स्थगन की मांग पर सुप्रीम कोर्ट सख्त हुई: चुनाव आयोग से जवाब तलब, 26 नवंबर को होगी अहम सुनवाई”
प्रस्तावना
सुप्रीम कोर्ट ने 22 नवंबर को एक महत्वपूर्ण आदेश देते हुए Election Commission of India (ECI) को नोटिस जारी किया है, जिसमें केरल में चल रही Special Inspection Revision (SIR) प्रक्रिया को स्थगित करने की मांग वाली याचिकाओं पर 26 नवंबर को विस्तृत सुनवाई निर्धारित की गई है।
यह मामला न केवल तकनीकी चुनावी समय-सारिणी से जुड़ा है, बल्कि यह लोकतंत्र की पारदर्शिता, मतदाता सूची की शुद्धता, चुनावी निष्पक्षता और राज्य–केंद्र संबंधों के संवैधानिक ढांचे को भी गहराई से छूता है।
SIR (Special Inspection Revision) क्या है?
भारत में मतदाता सूची का वार्षिक सामान्य संशोधन (Annual Summary Revision) होता है।
इसके अतिरिक्त, SIR एक विशेष प्रक्रिया है जिसके द्वारा—
- मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित की जाती है
- मृत/स्थानांतरित व्यक्तियों के नाम हटाए जाते हैं
- नए योग्य मतदाता शामिल किए जाते हैं
- विवादित प्रविष्टियों की जांच होती है
केरल में हालिया SIR प्रक्रिया अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि आरोप लगे हैं कि—
- बड़ी संख्या में डुप्लीकेट वोटर,
- मृत मतदाताओं की लिस्टिंग,
- और ‘फर्जी पते’
सूची में दर्ज हैं।
इन्हीं मुद्दों के कारण कई संगठनों और राजनीतिक समूहों ने SIR को चुनौती दी।
याचिकाकर्ताओं की मांग क्या है?
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं का मुख्य तर्क यह है कि:
SIR प्रक्रिया जल्दबाज़ी में की जा रही है
यह कहा गया है कि—
- उचित जांच समय नहीं दिया जा रहा
- कई जिलों में हाउस-टू-हाउस वेरिफिकेशन अधूरा है
- अधिकारियों पर दबाव है कि जल्द परिणाम प्रस्तुत करें
मतदाताओं की संख्या में बड़े पैमाने पर कटौती की संभावना
इससे
- गरीब
- प्रवासी मजदूर
- किरायेदार
- अनुसूचित समुदायों
के वोट प्रभावित हो सकते हैं।
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि SIR का “उद्देश्यपूर्ण उपयोग” न होकर “दुरुपयोग” हो रहा है।
SIR प्रक्रिया का समय गलत है
केरल में आगामी निकाय चुनाव और 2026 के विधानसभा चुनावों की तैयारी चल रही है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि—
“चुनाव के इतने करीब बड़े पैमाने पर संशोधन लोकतांत्रिक माहौल को असंतुलित करता है।”
उचित सुनवाई का अवसर नहीं दिया जा रहा
कई जिलों में आपत्तियाँ दर्ज कराई गईं परन्तु उनकी सुनवाई नहीं हुई।
COVID-era migration data के दुरुपयोग की आशंका
कहा गया कि महामारी के दौरान स्थानांतरित हुए लोगों के नाम गलत तरीके से ‘अनुपस्थित’ चिन्हित कर दिए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट का दृष्टिकोण—महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मामले को गंभीर माना और Election Commission को नोटिस जारी किया।
मुख्य बिंदु:
कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि मतदाता सूची की शुद्धता लोकतंत्र की आत्मा है
यदि मतदाता सूची में गड़बड़ी है, तो पूरा चुनाव अवैध माना जा सकता है।
कोर्ट ने जल्द सुनवाई क्यों चुनी?
26 नवंबर की तिथि इसलिए चुनी गई क्योंकि:
- मामला समय-संवेदी है
- मतदाता सूची 2025 के राजनीतिक कैलेंडर का आधार है
कोर्ट ने ECI से ‘वैधानिक औचित्य’ मांगा है
अर्थात—
- क्या SIR प्रक्रिया नियमों के अनुसार है?
- क्या उचित नोटिस दिया गया?
- क्या अधिकारी प्रशिक्षित थे?
- क्या शिकायत निवारण तंत्र मजबूत है?
सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि लोकतांत्रिक अधिकारों से समझौता नहीं किया जा सकता
मतदाता सूची किसी भी नागरिक का मौलिक लोकतांत्रिक अधिकार है, जिसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।
चुनाव आयोग (ECI) का संभावित पक्ष
हालांकि ECI का जवाब 26 नवंबर को आधिकारिक रूप से आएगा, लेकिन कानूनी विशेषज्ञों की राय के अनुसार आयोग निम्न तर्क देगा:
SIR एक वैधानिक प्रक्रिया है, जिसे नियमों के अनुसार शुरू किया गया
ECI यह कहेगा कि डेटा की शुद्धता बढ़ाने के लिए SIR अनिवार्य है।
बड़े पैमाने पर फर्जी मतदाताओं की शिकायतें चुकी हैं
- राजनीतिक दलों
- NGOs
- नागरिक संगठनों
से अनेक शिकायतें मिली थीं।
SIR रोकना लोकतांत्रिक पारदर्शिता के खिलाफ होगा
अगर ग़लत नाम सूची में रह जाते हैं तो चुनाव की निष्पक्षता प्रभावित होगी।
कोविड और पोस्ट-कोविड काल के रिकॉर्ड को सत्यापित करना जरूरी है
जनसंख्या गतिशील है, इसलिए डेटा अपडेट होना चाहिए।
केरल की राजनीति में SIR विवाद क्यों बड़ा मुद्दा?
केरल में राजनीतिक ध्रुवीकरण अत्यंत गंभीर है
यहां
- CPM
- कांग्रेस
- BJP
की त्रिकोणीय प्रतिस्पर्धा है।
मतदाता सूची में थोड़े भी बदलाव चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं।
प्रवासी मतदाताओं की संख्या अधिक है
कई मतदाता खाड़ी देशों में रहते हैं।
उनके नाम हटने की आशंका जताई जा रही है।
शहरी–ग्रामीण मतदाता संतुलन बदल सकता है
शहरी क्षेत्रों में कटौती ग्रामीण क्षेत्रों से अधिक बताई जा रही है।
विपक्ष आरोप लगा रहा कि SIR का राजनीतिक उपयोग हो रहा है
सरकार और विपक्ष दोनों SIR को अपने-अपने तरीके से देखते हैं।
सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप इसलिए महत्वपूर्ण है।
संवैधानिक विश्लेषण — सुप्रीम कोर्ट किन बातों पर विचार करेगा?
नागरिकों के मतदान अधिकार (Article 326)
मतदान का अधिकार संविधान में प्रदत्त लोकतांत्रिक अधिकार है।
कोर्ट यह जांचेगा कि कहीं SIR से इस अधिकार का हनन तो नहीं हो रहा।
ECI की स्वतंत्रता (Article 324)
ECI एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था है।
कोर्ट को यह संतुलन बनाना होगा कि—
- आयोग की स्वतंत्रता बनी रहे
- लेकिन सत्ता का दुरुपयोग न हो
प्रॉपर्टी-आधारित और रेसिडेन्स-आधारित मतदाता नियम
मतदाता सूची के लिए ordinary residence का सिद्धांत लागू होता है, न कि स्थायी पता।
यह मुद्दा SIR में खास ध्यान खींच रहा है।
प्राकृतिक न्याय का सिद्धांत (Audi Alteram Partem)
यदि किसी मतदाता का नाम हटाया जा रहा है, तो—
- उसे सूचना
- सुनवाई का अवसर
देना अनिवार्य है।
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि यह सिद्धांत नहीं निभाया गया।
SIR प्रक्रिया के संभावित परिणाम
यदि सुप्रीम कोर्ट SIR रोक देता है:
- केरल की चुनावी तैयारियों में देरी होगी
- कई जिले पुराने डेटा पर आधारित रहेंगे
- विपक्ष इस फैसले को जीत बताएगा
- सरकार और ECI पर राजनीतिक दबाव बढ़ेगा
यदि सुप्रीम कोर्ट SIR जारी रखने देता है:
- राजनीतिक आरोपों को बल मिलेगा कि ‘मतदाता सूची छांटी जा रही है’
- कई समुदाय यह दावा कर सकते हैं कि उनके साथ भेदभाव हुआ
- ECI को पारदर्शिता बढ़ाने के निर्देश मिल सकते हैं
यदि कोर्ट ‘आंशिक रोक’ लगाए:
यानी ECI SIR जारी रखे,
लेकिन:
- बिना सुनवाई नाम न हटें
- हर शिकायत पर 3-स्तरीय वेरिफिकेशन हो
- जिलों में निगरानी समितियाँ बने
यह संतुलित दृष्टिकोण है, और इसकी संभावना अधिक है।
जनता और लोकतंत्र पर इस विवाद का प्रभाव
मतदाता सूची में विश्वास कमजोर होगा
मतदाता सूची की शुद्धता लोकतंत्र की वैधता का मूल आधार है।
इस विवाद से जनता का भरोसा प्रभावित हो सकता है।
प्रवासी और गरीब मतदाता सर्वाधिक प्रभावित होंगे
स्थिर पता न होने के कारण अक्सर इन वर्गों के नाम हटाए जाते हैं।
राजनीतिक ध्रुवीकरण और बढ़ेगा
हर दल अपने तरीके से निष्कर्ष निकालेगा।
न्यायपालिका की भूमिका मजबूत होगी
यह मामला दिखाता है कि चुनावी प्रक्रियाओं में सुप्रीम कोर्ट का नियंत्रण कितना महत्वपूर्ण है।
आगे क्या होगा? — 26 नवंबर की सुनवाई महत्वपूर्ण
26 नवंबर को होने वाली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट—
- ECI का जवाब सुनेगा
- प्रक्रिया की वास्तविकता देखेगा
- याचिकाकर्ताओं के तर्कों का परीक्षण करेगा
संभावना है कि कोर्ट:
- अस्थायी निर्देश दे
या - अंतिम आदेश आरक्षित कर ले।
यह आदेश केरल के साथ-साथ पूरे भारत की मतदाता सूची प्रणाली पर प्रभाव डाल सकता है।
निष्कर्ष — एक संवैधानिक मोड़ पर खड़ा यह मामला
केरल में SIR प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट का यह हस्तक्षेप लोकतंत्र की बुनियादी संरचना — ‘निष्पक्ष और शुद्ध मतदाता सूची’ — के महत्व को रेखांकित करता है।
ECI की स्वतंत्रता और नागरिकों के मतदान अधिकार के बीच संतुलन बनाना इस मामले का मूल प्रश्न है।
26 नवंबर की सुनवाई न केवल केरल के लिए, बल्कि आने वाले राष्ट्रीय और राज्य चुनावों के लिए एक मानक (precedent) तय करेगी।
यह मामला एक बार फिर साबित करता है कि—
भारत में न्यायपालिका चुनावी लोकतंत्र की संरचना और निष्पक्षता की अंतिम संरक्षक है।