लेख शीर्षक:
“कृषि भूमि अधिग्रहण पर कर-मुक्त मुआवज़ा: गलत कटौती पर कर अधिकारियों से पुनर्भुगतान का अधिकार – कर्नाटक उच्च न्यायालय का महत्वपूर्ण निर्णय”
लेख:
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि कृषि भूमि के अधिग्रहण के बदले में प्राप्त मुआवज़ा आयकर से पूर्णतः मुक्त होता है। यदि इस मुआवज़े पर आयकर अधिकारियों द्वारा गलती से TDS (Tax Deducted at Source) काट लिया जाता है, तो प्रभावित भूमि मालिकों को उस राशि की वापसी का पूरा अधिकार है।
यह निर्णय विशेष रूप से उन मामलों में महत्वपूर्ण है जहाँ सरकार या किसी अधिसूचित संस्था द्वारा भूमि अधिग्रहण किया जाता है और भूमि मालिकों को Right to Fair Compensation and Transparency in Land Acquisition, Rehabilitation and Resettlement Act, 2013 के तहत मुआवज़ा दिया जाता है।
न्यायालय ने कहा कि ऐसी भूमि, जो कृषि प्रयोजन के लिए प्रयुक्त होती है और जो शहरी सीमा में नहीं आती, ‘Capital Asset’ की परिभाषा में नहीं आती, अतः उसकी बिक्री (या अधिग्रहण) पर प्राप्त मुनाफा या मुआवज़ा पूरी तरह से कर-मुक्त होता है। इस प्रकार यदि आयकर अधिकारी या अधिग्रहणकर्ता संस्था इस मुआवज़े पर TDS काटती है, तो वह कानून की स्पष्ट अवहेलना है।
न्यायालय का निर्देश:
- आयकर अधिकारियों को न केवल गलत तरीके से काटी गई राशि को वापस करना होगा, बल्कि यदि आवश्यक हो तो ब्याज सहित भुगतान करना पड़ेगा।
- भूमि मालिकों को इस तरह की गलत कटौती के विरुद्ध अपील या रिफंड आवेदन करने का अधिकार है।
यह फैसला किसानों और ग्रामीण भूमि मालिकों के लिए एक सशक्त कानूनी संरक्षण प्रदान करता है और यह सुनिश्चित करता है कि उनके वैध अधिकारों का हनन न हो। यह निर्णय पूरे देश में ऐसे मामलों में दिशा-निर्देश के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
निष्कर्ष:
कृषि भूमि के अधिग्रहण पर मुआवज़ा आयकर से मुक्त है। यदि इस पर कर की गलत कटौती की जाती है, तो भूमि मालिकों को आयकर अधिकारियों से पूरा पुनर्भुगतान पाने का हक है। कर्नाटक उच्च न्यायालय का यह निर्णय भूमि न्याय और कर कानूनों की पारदर्शिता के लिए एक मील का पत्थर है।