शीर्षक:
“कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर अत्यधिक निर्भरता न्याय व्यवस्था के लिए घातक हो सकती है: कर्नाटक हाईकोर्ट की टिप्पणी”
(Excessive Reliance on AI Could Destroy the Legal Profession: Karnataka High Court’s Concern Over Fake Judgments)
विस्तृत लेख:
कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में एक सुनवाई के दौरान कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पर अत्यधिक निर्भरता को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि “AI पर अत्यधिक निर्भरता न्यायिक पेशे को नष्ट कर सकती है।” यह टिप्पणी X Corp (पूर्व में Twitter) द्वारा सरकार के आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई के दौरान की गई।
प्रकरण की पृष्ठभूमि:
X Corp ने भारत सरकार के कुछ टेकडाउन आदेशों (Takedown Orders) को अदालत में चुनौती दी है, जो सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म से कुछ कंटेंट हटाने के लिए जारी किए गए थे। इस सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से यह तर्क दिया गया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का गलत उपयोग करके फर्जी न्यायिक निर्णय (fake court judgments) तैयार किए जा रहे हैं, जो न्याय व्यवस्था की वैधता और पारदर्शिता के लिए खतरा बन सकते हैं।
अदालत की चिंता:
न्यायालय ने इस स्थिति पर गंभीर चिंता जताई और कहा कि:
- यदि AI का उपयोग न्यायिक दस्तावेजों की फर्जी नकल तैयार करने में किया जा रहा है, तो यह न केवल अदालतों की प्रतिष्ठा को चोट पहुँचाता है बल्कि पूरी न्यायिक प्रक्रिया पर जनता का विश्वास भी डिग सकता है।
- अदालत ने यह भी कहा कि अगर ऐसी प्रवृत्ति जारी रही, तो आने वाले वर्षों में न्यायिक पेशे (Legal Profession) का अस्तित्व ही संकट में पड़ सकता है।
कानूनी क्षेत्र में AI का बढ़ता प्रभाव:
पिछले कुछ वर्षों में AI का उपयोग वकीलों द्वारा अनुसंधान, दस्तावेजों की समीक्षा, अनुबंधों के विश्लेषण, और ड्राफ्टिंग के लिए किया जा रहा है। हालांकि, यह प्रक्रिया कार्यकुशलता को बढ़ाने में सहायक रही है, लेकिन जब इसका उपयोग न्यायिक निर्णयों की नकल या भ्रामक दस्तावेज़ों के निर्माण के लिए किया जाए, तो यह एक सुरक्षा और नैतिक संकट उत्पन्न करता है।
अदालत की भविष्यदृष्टि:
न्यायालय ने कहा कि AI की उपयोगिता को पूरी तरह नकारा नहीं जा सकता, लेकिन इसे एक सहायक उपकरण के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि मानव विवेक और कानूनी योग्यता के विकल्प के रूप में।
इसलिए, इस दिशा में सख्त नियमन, प्रमाणन प्रक्रिया, और निगरानी तंत्र की आवश्यकता है ताकि न्यायिक प्रणाली में भरोसा बना रहे और AI का उपयोग नैतिक व कानूनी दायरे में किया जाए।