एनजीओ पंजीकरण और विदेशी फंडिंग नियम
(Long Article on NGO Registration and Foreign Funding Rules in Hindi)
🔷 प्रस्तावना
भारत में सामाजिक, शैक्षिक, पर्यावरणीय, स्वास्थ्य और मानवाधिकार जैसे क्षेत्रों में कार्यरत गैर-सरकारी संगठन (NGO) समाज के लिए एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन संगठनों को विधिपूर्वक पंजीकृत किया जाना अनिवार्य है ताकि वे पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के साथ कार्य कर सकें। इसके अतिरिक्त, कई NGO विदेशी वित्तीय सहायता प्राप्त करते हैं, जिसे नियंत्रित करने के लिए सरकार ने FCRA (Foreign Contribution Regulation Act) नामक विशेष कानून बनाया है।
🔷 NGO का पंजीकरण
भारत में NGO तीन रूपों में पंजीकृत किए जा सकते हैं:
1. ट्रस्ट (Trust) – भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882 के अंतर्गत
- मुख्यतः परोपकारी या धार्मिक उद्देश्यों हेतु गठित।
- Trust Deed आवश्यक होता है जिसमें उद्देश्य, न्यासधारक और लाभार्थी का विवरण होता है।
- राज्य स्तर पर सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीकरण किया जाता है।
- यह संस्था संपत्ति रखने में सक्षम होती है।
2. सोसाइटी (Society) – सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के अंतर्गत
- यह एक सदस्यता आधारित संस्था होती है।
- कम से कम 7 सदस्य आवश्यक होते हैं।
- सोसाइटी का मेमोरेंडम और उपविधान आवश्यक होता है।
- पंजीकरण संबंधित राज्य के सोसाइटी रजिस्ट्रार द्वारा होता है।
3. सेक्शन 8 कंपनी – कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के अंतर्गत
- इसे नॉन-प्रॉफिट कंपनी के रूप में जाना जाता है।
- शिक्षा, कला, विज्ञान, धर्म, सामाजिक सेवा आदि के लिए बनाई जाती है।
- इसका पंजीकरण Registrar of Companies (ROC) द्वारा होता है।
- इसमें MOA (मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन) और AOA (आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन) की आवश्यकता होती है।
🔷 पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज
- संस्था का नाम और पता
- उद्देश्य (Object clause)
- न्यासधारक/सदस्यों की सूची और पहचान पत्र
- पैन कार्ड और पासपोर्ट साइज फोटो
- कार्य पद्धति और नियमावली (by-laws)
- पंजीकरण शुल्क
🔷 NGO पंजीकरण के लाभ
- कानूनी मान्यता प्राप्त होती है
- बैंक खाता खोला जा सकता है
- कर छूट (12A, 80G) हेतु आवेदन किया जा सकता है
- सरकारी/विदेशी फंडिंग प्राप्त करने की पात्रता मिलती है
- संस्थान की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होती है
🔷 विदेशी फंडिंग: FCRA कानून का परिचय
भारत सरकार द्वारा विदेशी फंडिंग को विनियमित करने हेतु FCRA (Foreign Contribution Regulation Act), 2010 लागू किया गया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विदेशी सहायता राष्ट्रीय हित, आंतरिक सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के विरुद्ध न हो।
मुख्य उद्देश्य:
- विदेशी अंशदान की पारदर्शिता सुनिश्चित करना
- दुरुपयोग रोकना
- केवल पंजीकृत और विश्वसनीय NGO को ही अनुमति देना
🔷 FCRA पंजीकरण की प्रक्रिया
1. पात्रता:
- NGO का कम-से-कम 3 वर्ष का कार्य अनुभव होना चाहिए।
- विगत 3 वर्षों में NGO ने कम से कम ₹15 लाख का व्यय सार्वजनिक हित में किया हो।
2. आवेदन कैसे करें:
- ऑनलाइन पोर्टल: https://fcraonline.nic.in
- फॉर्म FC-3A (पंजीकरण हेतु) या FC-3B (पूर्व अनुमति हेतु) भरना होता है
- आवश्यक दस्तावेज:
- पंजीकरण प्रमाण पत्र (ट्रस्ट डीड/सोसाइटी प्रमाणपत्र/COI)
- पैन कार्ड
- पिछले 3 वर्षों की ऑडिटेड रिपोर्ट
- NGO के मुख्य कार्यों की सूची
- बैंक खाता (FCRA हेतु विशेष बैंक – SBI नई दिल्ली)
🔷 FCRA के प्रमुख नियम और शर्तें
- केवल FCRA-पंजीकृत NGO ही विदेशी योगदान प्राप्त कर सकते हैं।
- विदेशी फंड केवल FCRA-नामित बैंक खाते में ही स्वीकार किया जा सकता है।
- NGO को वार्षिक रिपोर्ट और ऑडिटेड स्टेटमेंट FCRA पोर्टल पर प्रस्तुत करनी होती है।
- फंड का उपयोग केवल स्वीकृत उद्देश्यों के लिए किया जाना चाहिए।
🔷 गैर-अनुपालन पर दंड
FCRA का उल्लंघन करने पर निम्नलिखित दंड दिए जा सकते हैं:
- FCRA लाइसेंस निलंबित या रद्द किया जा सकता है
- NGO और उसके पदाधिकारियों के विरुद्ध विधिक कार्यवाही की जा सकती है
- आर्थिक दंड या जेल की सजा भी संभव है (जैसे – 5 साल तक की सजा)
🔷 हाल के संशोधन और सख्ती
- FCRA Amendment Act, 2020 में NGO के विदेशी फंडिंग पर सख्त प्रतिबंध लगाए गए:
- एक NGO, दूसरे NGO को विदेशी फंड स्थानांतरित नहीं कर सकता
- सभी विदेशी फंड केवल SBI की नई दिल्ली ब्रांच के खाते में ही लिए जा सकते हैं
- NGO को आधार संख्या देना अनिवार्य किया गया
- प्रशासनिक खर्च की सीमा 20% तक सीमित की गई
🔷 निष्कर्ष
भारत में NGO का पंजीकरण एवं विदेशी फंडिंग प्राप्त करने की प्रक्रिया विधिसम्मत एवं पारदर्शी होनी आवश्यक है। पंजीकरण NGO को वैधानिक शक्ति और विश्वास देता है, जबकि FCRA जैसे कानून यह सुनिश्चित करते हैं कि विदेशी सहायता का उपयोग केवल जनहित में हो। हाल के वर्षों में सरकार ने फंडिंग में सख्ती और निगरानी को प्राथमिकता दी है, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही में वृद्धि हुई है।