एक 10 रुपये की RTI से उजागर हुई 50 करोड़ की संपत्ति: ओयल रियासत की ऐतिहासिक जीत

शीर्षक: एक 10 रुपये की RTI से उजागर हुई 50 करोड़ की संपत्ति: ओयल रियासत की ऐतिहासिक जीत


परिचय:

“सूचना का अधिकार” (RTI) अधिनियम भारतीय लोकतंत्र में नागरिकों को प्राप्त सबसे प्रभावशाली अधिकारों में से एक है। यह न केवल पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करता है, बल्कि आम लोगों को भी सरकारी तंत्र में प्रभावी हस्तक्षेप करने का अवसर देता है। खीरी जिले की ओयल रियासत से जुड़ा एक हालिया मामला इसका जीवंत उदाहरण है, जहां मात्र 10 रुपये की एक RTI याचिका ने करीब 50 करोड़ रुपये मूल्य की पुश्तैनी संपत्ति को पुनः पहचान दिला दी, जो पीढ़ियों से धूल में दबी थी।


मामले की पृष्ठभूमि:

  • यह मामला उत्तर प्रदेश के खीरी जनपद स्थित ओयल रियासत से संबंधित है, जिसकी स्थापना 17वीं शताब्दी के आसपास हुई थी।
  • वर्ष 1628 में, ओयल रियासत के तत्कालीन राजा युवराज दत्त सिंह ने अपने शाही महल को 30 वर्षों के लिए किराये पर डिप्टी कलेक्टर को दे दिया था।
  • देश की स्वतंत्रता के पश्चात यह किरायेदारी स्वतः बढ़ती चली गई।
  • वर्ष 1684 में राजा युवराज की मृत्यु के पश्चात, परिवार ने अपने पुश्तैनी महल से जुड़े दस्तावेजों को खोजने का प्रयास किया, परन्तु उन्हें कोई ठोस दस्तावेज नहीं मिला।
  • पीढ़ी दर पीढ़ी यह संघर्ष चलता रहा, लेकिन संपत्ति से जुड़ी मूल जानकारी सामने नहीं आ सकी।

RTI का सहारा और दस्तावेज़ों की खोज:

  • निराश होकर, राजा युवराज दत्त सिंह के पोते कुंवर प्रद्युम्न नारायण दत्त सिंह ने RTI कार्यकर्ता सिद्धार्थ नारायण से संपर्क किया।
  • सिद्धार्थ नारायण ने चार अलग-अलग आरटीआई आवेदनजिलाधिकारी (DM), मंडलायुक्त (Commissioner), वित्त विभाग और राजस्व परिषद—को पार्टी बनाकर दाखिल किए।
  • ये याचिकाएं 28 अगस्त 2016 को दायर की गईं और 27 मार्च 2020 को उनका जवाब प्राप्त हुआ।

RTI के जरिए मिली ऐतिहासिक जानकारी:

  • RTI के उत्तर में यह खुलासा हुआ कि संपत्ति का खाता संख्या 5 है और उसका खसरा संख्या 356 है।
  • हैरानी की बात यह थी कि डीएम का बंगला (District Magistrate’s Residence) भी उसी संपत्ति का हिस्सा निकला, जो कि दशकों से किराये पर था।
  • इस पूरी संपत्ति की अनुमानित कीमत 50 से 60 करोड़ रुपये आंकी गई।

रियासत के वंशजों की प्रतिक्रिया:

  • ओयल रियासत के वर्तमान उत्तराधिकारी राजा विष्णु नारायण दत्त सिंह ने इस सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त की और डीएम खीरी शैलेन्द्र कुमार सिंह तथा एसआरओ कैप्टन एसपी दुबे का आभार जताया।
  • युवरानी आराधना सिंह ने महिला सशक्तिकरण और मिशन शक्ति कार्यक्रम में योगदान देने की प्रतिबद्धता जताई।
  • कुंवर हरिनारायण सिंह और कुंवर प्रद्युम्न नारायण सिंह ने भी प्रशासन के सहयोग के प्रति आभार प्रकट किया।

प्रशासन की भूमिका और जनहित में RTI का महत्व:

  • यह मामला इस बात का प्रमाण है कि RTI अधिनियम केवल एक कानूनी औजार नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय का मजबूत माध्यम है।
  • सिद्धार्थ नारायण जैसे RTI कार्यकर्ता एक सशक्त नागरिक समाज के प्रतीक हैं, जो आमजन की लड़ाई को न्याय तक पहुंचाते हैं।
  • इस मामले में प्रशासन ने भी संवेदनशीलता दिखाई और वर्षों पुरानी समस्या को कानूनी तरीके से सुलझाने में सहयोग दिया।

निष्कर्ष:

ओयल रियासत की संपत्ति से जुड़ा यह मामला दिखाता है कि मात्र 10 रुपये की आरटीआई किस प्रकार इतिहास बदल सकती है। यह न केवल एक पुश्तैनी विरासत की पुनर्प्राप्ति की कहानी है, बल्कि यह सूचना के अधिकार की शक्ति, नागरिक जागरूकता और प्रशासनिक सहयोग का भी प्रेरणादायक उदाहरण है।

यह घटना न केवल न्याय और अधिकार की पुनर्स्थापना है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को यह सिखाने का एक माध्यम भी है कि सूचना प्राप्त करना नागरिक का अधिकार है और यदि उसका सही तरीके से प्रयोग किया जाए, तो वर्षों पुरानी समस्याएं भी चुटकियों में हल हो सकती हैं।