“एआई आधारित वित्तीय लेनदेन और कानूनी सुरक्षा: स्मार्ट तकनीक के युग में भरोसे और जवाबदेही की खोज”

“एआई आधारित वित्तीय लेनदेन और कानूनी सुरक्षा: स्मार्ट तकनीक के युग में भरोसे और जवाबदेही की खोज”


प्रस्तावना

वित्तीय क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। बैंकिंग, बीमा, निवेश, क्रेडिट स्कोरिंग, फ्रॉड डिटेक्शन, और ऑटोमेटेड ट्रेडिंग जैसे क्षेत्रों में AI आधारित लेनदेन आज आम होते जा रहे हैं। परंतु तकनीकी दक्षता के साथ-साथ कानूनी सुरक्षा, उपभोक्ता अधिकार, और डेटा गोपनीयता जैसे गंभीर प्रश्न भी उत्पन्न हो रहे हैं। यह लेख AI द्वारा संचालित वित्तीय लेनदेन की प्रकृति, उससे जुड़ी कानूनी चुनौतियों और सुरक्षा उपायों का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करता है।


1. AI आधारित वित्तीय लेनदेन: एक परिचय

AI प्रणाली मशीन लर्निंग, डेटा एनालिटिक्स और एल्गोरिदम पर आधारित होती है, जो वित्तीय निर्णय स्वतः लेने में सक्षम है। उदाहरण के लिए:

  • चैटबॉट्स और वर्चुअल असिस्टेंट्स ग्राहकों की क्वेरी सुलझाते हैं।
  • AI क्रेडिट रेटिंग टूल्स उधार क्षमता का मूल्यांकन करते हैं।
  • ऑटोमेटेड इन्वेस्टमेंट सिस्टम (Robo-advisors) निवेश सलाह प्रदान करते हैं।
  • फ्रॉड डिटेक्शन एल्गोरिदम संदिग्ध लेनदेन को रोकते हैं।

इन सेवाओं की बढ़ती निर्भरता ने “टेक्नोलॉजी-बेस्ड फाइनेंशियल गवर्नेंस” की नींव रखी है।


2. कानूनी चुनौतियाँ और जोखिम

(क) उत्तरदायित्व का निर्धारण

यदि AI द्वारा किया गया वित्तीय निर्णय गलत साबित हो या ग्राहक को हानि पहुँचे, तो उत्तरदायित्व किसका होगा?—AI निर्माता, बैंक/वित्तीय संस्था, या तकनीकी सेवा प्रदाता?

(ख) डेटा गोपनीयता का उल्लंघन

AI सिस्टम उपयोगकर्ताओं के विशाल व्यक्तिगत और वित्तीय डेटा का उपयोग करते हैं। यदि यह डेटा लीक हो जाए या गलत हाथों में पड़ जाए, तो इससे ग्राहक की गोपनीयता और वित्तीय सुरक्षा दोनों खतरे में पड़ जाते हैं।

(ग) भेदभावपूर्ण निर्णय

AI आधारित क्रेडिट स्कोरिंग या लोन अप्रूवल प्रणाली कभी-कभी पक्षपाती हो सकती है, जो सामाजिक और विधिक रूप से अनुचित है।

(घ) साइबर हमले और हैकिंग

AI सिस्टम साइबर हमलों के लिए संवेदनशील हो सकते हैं, जिससे वित्तीय धोखाधड़ी और हानि की संभावना बढ़ जाती है।


3. भारत में कानूनी ढांचा

(क) रिजर्व बैंक दिशा-निर्देश (RBI Guidelines)

RBI ने फिनटेक और AI आधारित सेवाओं के लिए ग्राहक सुरक्षा, डेटा हैंडलिंग और डिजिटल भुगतान सुरक्षा पर कई सर्कुलर जारी किए हैं।

(ख) डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023

यह अधिनियम उपयोगकर्ता की जानकारी को संरक्षित करता है और AI सिस्टम द्वारा डेटा प्रोसेसिंग में पारदर्शिता और सहमति (Consent) को अनिवार्य करता है।

(ग) भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872

AI आधारित लेनदेन में सहमति, धोखाधड़ी, और अनुचित प्रभाव की वैधता का मूल्यांकन इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत किया जाता है।


4. उपभोक्ता सुरक्षा के कानूनी अधिकार

AI आधारित वित्तीय सेवा से असंतुष्ट ग्राहक निम्न माध्यमों से न्याय पा सकते हैं:

  • उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत शिकायत दर्ज करना
  • ओम्बड्समैन स्कीम (RBI/Banking Ombudsman) के माध्यम से समाधान
  • साइबर अपील प्राधिकरण में डेटा उल्लंघन या ऑनलाइन धोखाधड़ी की शिकायत

5. वैश्विक परिप्रेक्ष्य और भारत की स्थिति

अमेरिका, यूरोप और चीन जैसे देशों में AI फाइनेंस सिस्टम के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश बन चुके हैं। यूरोपीय संघ ने “AI Act” के अंतर्गत वित्तीय AI को हाई-रिस्क सिस्टम की श्रेणी में रखा है। भारत में भी RBI और SEBI जैसे नियामक संस्थानों को मिलकर एक स्पष्ट, AI-सेंट्रिक फिनटेक नियामक ढांचा बनाना आवश्यक है।


6. सुझाव और सुधार की दिशा

  • Explainable AI का उपयोग ताकि उपभोक्ता समझ सके कि निर्णय कैसे हुआ।
  • डेटा ऑडिट और एल्गोरिदमिक पारदर्शिता को अनिवार्य बनाना।
  • AI सिस्टम के लिए लाइसेंसिंग/पंजीकरण प्रणाली लागू करना।
  • AI नीति और एथिकल कोड सभी वित्तीय संस्थानों में लागू हो।
  • उपभोक्ता शिक्षा कार्यक्रम ताकि वे तकनीकी वित्तीय उत्पादों को समझ सकें।

निष्कर्ष

AI आधारित वित्तीय लेनदेन ने सुविधा, गति और लागत-कटौती के नए आयाम खोले हैं। लेकिन इनके साथ जुड़े विधिक और नैतिक जोखिमों की अनदेखी नहीं की जा सकती। एक संतुलित विधिक ढांचा जो नवाचार को प्रोत्साहित करे लेकिन उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा भी करे, समय की मांग है। तकनीक पर भरोसा तभी बनेगा जब वह उत्तरदायी, पारदर्शी और कानूनी रूप से संरक्षित हो।