उपभोक्ता अधिकार और शिकायत निवारण प्रणाली

उपभोक्ता अधिकार और शिकायत निवारण प्रणाली (Consumer Rights and Grievance Redressal Mechanism)

🔷 उपभोक्ता अधिकार (Consumer Rights)

भारतीय उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अंतर्गत उपभोक्ताओं को निम्नलिखित छह मूलभूत अधिकार प्रदान किए गए हैं:

  1. सुरक्षा का अधिकार (Right to Safety):
    उपभोक्ता को जीवन और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक वस्तुओं और सेवाओं से सुरक्षा पाने का अधिकार है।
  2. जानकारी का अधिकार (Right to be Informed):
    उपभोक्ता को वस्तु या सेवा की गुणवत्ता, मात्रा, शक्ति, शुद्धता, कीमत आदि की पूरी जानकारी पाने का अधिकार है।
  3. चयन का अधिकार (Right to Choose):
    उपभोक्ता को वस्तु या सेवा की उपलब्ध वैकल्पिक वस्तुओं में से स्वतंत्र रूप से चयन करने का अधिकार है।
  4. सुनवाई का अधिकार (Right to be Heard):
    उपभोक्ता को अपनी शिकायतों को सुनवाने और उचित मंच पर प्रस्तुत करने का अधिकार है।
  5. प्रतिसाधन का अधिकार (Right to Seek Redressal):
    उपभोक्ता को अनुचित व्यापार व्यवहार या सेवा में कमी के खिलाफ मुआवजा पाने का अधिकार है।
  6. उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार (Right to Consumer Education):
    उपभोक्ता को अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जागरूकता प्राप्त करने का अधिकार है।

🔷 शिकायत निवारण प्रणाली (Grievance Redressal Mechanism)

उपभोक्ता अधिनियम, 2019 के अंतर्गत तीन-स्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित की गई है:

  1. जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (District Commission):
    जहां दावा राशि ₹50 लाख तक हो।
  2. राज्य उपभोक्ता आयोग (State Commission):
    जहां दावा राशि ₹50 लाख से ₹2 करोड़ तक हो।
  3. राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग (National Commission):
    जहां दावा ₹2 करोड़ से अधिक हो।

🔷 शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया:

  1. शिकायत ऑनलाइन https://edaakhil.nic.in पोर्टल के माध्यम से की जा सकती है।
  2. उपभोक्ता स्वयं या वकील के माध्यम से आवेदन कर सकता है।
  3. शिकायत के साथ आवश्यक दस्तावेज़, बिल, रसीद, अनुबंध आदि संलग्न करना आवश्यक है।

🔷 महत्वपूर्ण विशेषताएँ:

  • अब शिकायत डिजिटल रूप से भी दर्ज की जा सकती है।
  • आयोगों को समयबद्ध तरीके से मामले निपटाने की बाध्यता है।
  • अनुचित व्यापार व्यवहार, दोषयुक्त माल, खराब सेवा आदि के लिए शिकायत की जा सकती है।