शीर्षक:
“उत्तराधिकार प्रमाणपत्र हेतु अधिकारिता का निर्धारण: निवास स्थान के आधार पर अधिकार क्षेत्र की पुष्टि – राजस्थान उच्च न्यायालय का निर्णय”
(Succession Certificate Jurisdiction Based on Place of Residence – Rajasthan High Court 2025)
विस्तृत लेख:
भूमिका:
उत्तराधिकार प्रमाणपत्र (Succession Certificate) मृतक की संपत्ति पर वैध उत्तराधिकारी के अधिकार की पुष्टि हेतु आवश्यक होता है। यह विशेष रूप से तब आवश्यक होता है जब मृतक की चल संपत्ति जैसे बैंक बैलेंस, बीमा दावा, पेंशन आदि की प्राप्ति के लिए कानूनी दस्तावेज की आवश्यकता हो। राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा 2025(2) Civil Court Cases 768 में दिए गए एक महत्वपूर्ण निर्णय में यह स्पष्ट किया गया कि उत्तराधिकार प्रमाणपत्र हेतु आवेदन किस न्यायालय में दायर किया जाना चाहिए, इसका निर्धारण मृतक के निवास स्थान के आधार पर किया जाएगा।
प्रकरण का सार:
इस मामले में याचिकाकर्ता ने उत्तराधिकार प्रमाणपत्र के लिए एक ऐसे जिला न्यायालय में आवेदन किया था जो मृतक के वास्तविक निवास स्थान के अंतर्गत नहीं आता था। याचिका को चुनौती दी गई कि उक्त न्यायालय को क्षेत्राधिकार (jurisdiction) नहीं है।
न्यायालय का अवलोकन:
राजस्थान उच्च न्यायालय ने भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 की धारा 371 का उल्लेख करते हुए स्पष्ट किया कि:
“यदि कोई व्यक्ति अपनी मृत्यु के समय किसी विशेष स्थान पर निवास कर रहा था, तो उस स्थान के अंतर्गत आने वाले जिला न्यायाधीश को ही इस संबंध में आवेदन स्वीकार करने का अधिकार है।”
प्रमुख बिंदु:
- निवास स्थान का महत्व:
मृत्यु के समय मृतक जहां रह रहा था, वही उसका “residence at the time of death” माना जाएगा। - प्राधिकृत न्यायालय:
जिला न्यायाधीश, जिसके क्षेत्राधिकार में यह निवास स्थान आता है, वही उत्तराधिकार प्रमाणपत्र हेतु प्राधिकृत है। - अन्यत्र दाखिल याचिका अवैध:
यदि उत्तराधिकार प्रमाणपत्र की याचिका किसी अन्य जिले में दायर की जाती है, तो उसे उचित क्षेत्राधिकार के अभाव में खारिज किया जा सकता है।
महत्व:
यह निर्णय उत्तराधिकार कानून की प्रक्रिया को पारदर्शी, सरल और क्षेत्रीय प्रासंगिकता से जोड़ता है। यह भविष्य में उत्तराधिकार मामलों में क्षेत्राधिकार को लेकर उत्पन्न विवादों में एक दिशानिर्देशक के रूप में कार्य करेगा।
निष्कर्ष:
राजस्थान उच्च न्यायालय ने यह महत्वपूर्ण स्पष्टता प्रदान की है कि उत्तराधिकार प्रमाणपत्र हेतु आवेदन करने से पूर्व यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि मृतक का अंतिम निवास स्थान किस जिले में था। ऐसा करके न केवल आवेदन वैध होगा, बल्कि कानूनी प्रक्रिया भी सुगम एवं निष्पक्ष होगी।