ई.डी. की सीमाएं तय करता सुप्रीम कोर्ट का आदेश: तमिलनाडु विपणन निगम के खिलाफ जांच पर रोक

ई.डी. की सीमाएं तय करता सुप्रीम कोर्ट का आदेश: तमिलनाडु विपणन निगम के खिलाफ जांच पर रोक

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ई.डी.) की कार्रवाई पर कड़ी टिप्पणी करते हुए तमिलनाडु राज्य विपणन निगम (TASMAC) के खिलाफ धनशोधन जांच पर अंतरिम रोक लगा दी है। अदालत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि ई.डी. “संविधान का उल्लंघन करते हुए सारी सीमाएं पार कर रहा है”।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ द्वारा पारित किया गया।

मामला क्या है?

ई.डी. ने शराब की दुकानों के लाइसेंस आवंटन में भ्रष्टाचार के आरोप में कथित रूप से 1000 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच शुरू की थी। इस जांच के अंतर्गत तमिलनाडु सरकार के राज्य स्वामित्व वाले निगम TASMAC के परिसरों पर छापेमारी की गई।

राज्य सरकार ने इस कार्रवाई को संविधान के संघीय ढांचे का उल्लंघन बताते हुए मद्रास उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। लेकिन 23 अप्रैल 2025 को हाईकोर्ट ने राज्य की याचिका खारिज कर दी थी और ई.डी. की कार्रवाई को वैध ठहराया था।

इसके बाद तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू से सवाल किया:

“आपका कार्यालय किसी राज्य निगम पर सीधे छापेमारी कैसे कर सकता है? यह देश के संघीय ढांचे का उल्लंघन है।”

पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि केंद्र और राज्य के बीच अधिकारों के संतुलन को बनाए रखना भारतीय संविधान की मूल भावना है और ई.डी. की कार्रवाई इस भावना के विरुद्ध प्रतीत होती है।

अंतरिम राहत और आगे की सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने:

  • मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगाई।
  • ई.डी. को नोटिस जारी कर जवाब माँगा।
  • मामले की अगली सुनवाई गर्मी की छुट्टियों के बाद निर्धारित की।

संवैधानिक और विधिक विश्लेषण

यह निर्णय कई महत्वपूर्ण संवैधानिक प्रश्नों को उजागर करता है:

  1. संघीय ढांचे का संरक्षण – संविधान का अनुच्छेद 246 और अनुसूचियों के अनुसार राज्य विषयों पर केंद्र की सीधी कार्रवाई सीमित है।
  2. राज्य निगमों की स्वायत्तता – राज्य सरकार द्वारा संचालित निगमों पर छापेमारी बिना समुचित वैधानिक प्रक्रिया के संघीय ढांचे का उल्लंघन है।
  3. धारा 50 (PMLA) के तहत अधिकारों की सीमा – सुप्रीम कोर्ट पहले भी कह चुका है कि प्रवर्तन निदेशालय को “अनियंत्रित और असीमित शक्तियाँ” नहीं हैं।

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश न केवल तमिलनाडु सरकार के लिए राहत है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण संवैधानिक उदाहरण भी बनता है जिसमें संघीय व्यवस्था की मर्यादा को बनाए रखने की बात कही गई है।
ई.डी. जैसी केंद्रीय एजेंसियों के लिए यह आदेश एक न्यायिक चेतावनी है कि वे अपनी शक्तियों का उपयोग संविधान की सीमाओं में रहकर ही करें।