51. सूफी आंदोलन की विशेषताएँ क्या थीं?
उत्तर:
सूफी आंदोलन इस्लाम धर्म की एक आध्यात्मिक शाखा है, जो 12वीं शताब्दी में भारत आई।
मुख्य विशेषताएँ:
- ईश्वर की प्राप्ति प्रेम और भक्ति से।
- धार्मिक सहिष्णुता और मानवता की सेवा।
- गुरु और शिष्य (पीर-मुरीद) की परंपरा।
- संगीत और ध्यान के माध्यम से ईश्वर की साधना।
प्रसिद्ध सूफी संत: ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, निजामुद्दीन औलिया, शेख सलीम चिश्ती।
इस आंदोलन ने हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा दिया और सामाजिक सौहार्द स्थापित किया।
52. भक्ति आंदोलन के प्रमुख संत कौन थे?
उत्तर:
भक्ति आंदोलन भारत में 7वीं से 17वीं शताब्दी के बीच चलाया गया एक धार्मिक-सामाजिक सुधार आंदोलन था।
प्रमुख संत:
- उत्तर भारत: कबीर, सूरदास, तुलसीदास, मीराबाई, रविदास
- दक्षिण भारत: आलवार, नायनार, रामानुजाचार्य, बसवन्ना
विशेषताएँ: - जातिवाद का विरोध
- सरल भाषा में उपदेश
- मूर्ति पूजा, यज्ञ आदि का विरोध
इन संतों ने समाज को धर्म के आधार पर नहीं, प्रेम और समर्पण के आधार पर जोड़ा।
53. कबीर के विचारों की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
कबीर 15वीं शताब्दी के महान संत और समाज सुधारक थे।
मुख्य विचार:
- ईश्वर एक है – “अल्लाह और राम एक ही हैं।”
- कर्म और भक्ति पर ज़ोर।
- पाखंड और जातिवाद का विरोध।
- मंदिर-मस्जिद में ईश्वर की खोज निरर्थक।
रचना: कबीर के दोहे अत्यंत प्रसिद्ध हैं, जो “बीजक” में संकलित हैं।
उनके विचार आज भी सामाजिक समानता का मार्गदर्शन करते हैं।
54. तुलसीदास की रचनाओं का महत्व क्या है?
उत्तर:
तुलसीदास 16वीं शताब्दी के महान भक्ति कवि थे।
प्रमुख रचनाएँ:
- रामचरितमानस (अवधी में रामायण की कथा)
- विनय पत्रिका
- कवितावली, दोहावली
महत्व: - राम के आदर्श जीवन का प्रचार
- सरल भाषा में गहन भाव
- सामाजिक और नैतिक शिक्षा
उनकी रचनाएँ आज भी धार्मिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक दृष्टि से मूल्यवान हैं।
55. मीराबाई कौन थीं और उनका योगदान क्या था?
उत्तर:
मीराबाई 16वीं शताब्दी की भक्ति आंदोलन की प्रमुख महिला संत थीं।
विशेषताएँ:
- श्रीकृष्ण को पति और आराध्य मानती थीं।
- समाज और कुल विरोध के बावजूद भक्ति पथ नहीं छोड़ा।
रचनाएँ: उनके पद राजस्थानी, ब्रज और हिंदी में हैं।
उनकी भक्ति ने समाज को नारी स्वतंत्रता और आस्था की शक्ति का संदेश दिया।
56. अकबर का ‘इबादतखाना’ क्या था?
उत्तर:
इबादतखाना अकबर द्वारा 1575 ई. में फतेहपुर सीकरी में स्थापित एक सभा स्थल था, जहाँ विभिन्न धर्मों के विद्वान आपसी संवाद करते थे।
उद्देश्य:
- धार्मिक सहिष्णुता
- सत्य की खोज
- विभिन्न धर्मों की तुलनात्मक समझ
यह सभा धार्मिक समन्वय की मिसाल बनी, यहीं से ‘दीन-ए-इलाही’ की नींव पड़ी।
57. चंद्रगुप्त मौर्य की उपलब्धियाँ बताइए।
उत्तर:
चंद्रगुप्त मौर्य (322–297 ई.पू.) मौर्य वंश के संस्थापक थे।
उपलब्धियाँ:
- मगध से लेकर अफगानिस्तान तक साम्राज्य की स्थापना।
- सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस को हराया।
- चाणक्य (कौटिल्य) के साथ प्रशासनिक सुधार।
- जैन धर्म अपनाकर संन्यास लिया।
वे भारत के प्रथम महान सम्राट माने जाते हैं।
58. अशोक की धर्म नीति क्या थी?
उत्तर:
अशोक (273–232 ई.पू.) मौर्य सम्राट थे जिन्होंने कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म अपनाया।
धर्म नीति:
- अहिंसा, करुणा और सत्य पर आधारित।
- प्रजा के कल्याण के लिए धर्म महामात्रों की नियुक्ति।
- स्तंभ और शिलालेखों के माध्यम से प्रचार।
उन्होंने भारत में बौद्ध धर्म को व्यापक रूप से फैलाया।
59. समुद्रगुप्त को ‘भारत का नेपोलियन’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
समुद्रगुप्त (335–375 ई.) गुप्त वंश के महान शासक थे।
कारण:
- अनेक विजयों (दक्षिण, उत्तर और सीमावर्ती राज्य)।
- प्रयाग प्रशस्ति में विस्तृत विजय विवरण।
- कला, साहित्य, संगीत का संरक्षण।
इतिहासकार विन्सेंट स्मिथ ने उसे “भारत का नेपोलियन” कहा क्योंकि उसने युद्धकला में उच्चतम उपलब्धियाँ प्राप्त कीं।
60. चोल वंश की विशेषताएँ क्या थीं?
उत्तर:
चोल वंश दक्षिण भारत का शक्तिशाली हिंदू वंश था (9वीं–13वीं शताब्दी)।
विशेषताएँ:
- नौसेना शक्ति और श्रीलंका व दक्षिण एशिया पर विजय।
- ब्रिहदेश्वर मंदिर (तंजावुर) जैसे स्थापत्य।
- सुव्यवस्थित प्रशासन और पंचायत प्रणाली।
- तमिल साहित्य और कला का संरक्षण।
राजा राजराज चोल और राजेन्द्र चोल महान शासक माने जाते हैं।
61. हर्षवर्धन की धार्मिक नीति क्या थी?
उत्तर:
हर्षवर्धन एक धार्मिक रूप से सहिष्णु सम्राट थे।
- प्रारंभ में शैव धर्मी, बाद में बौद्ध धर्म की ओर झुकाव।
- बौद्ध धर्म के प्रचारक, किंतु ब्राह्मणों को दान भी देते थे।
- कन्नौज महासभा और प्रयाग सम्मेलन का आयोजन।
उन्होंने सभी धर्मों को समान दृष्टि से देखा।
62. महमूद गजनवी के भारत आक्रमण का उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
महमूद गजनवी (997–1030 ई.) ने भारत पर 17 बार आक्रमण किए।
उद्देश्य:
- धन की लूट (सोमनाथ मंदिर जैसी समृद्ध जगहों पर)।
- इस्लाम का प्रचार (दावा)।
- अपने साम्राज्य की आर्थिक समृद्धि।
उसने भारत में स्थायी राज्य की स्थापना नहीं की, लेकिन भारत के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र की रक्षा चुनौती बन गई।
63. पृथ्वीराज चौहान और मुहम्मद गोरी के युद्ध का महत्व क्या है?
उत्तर:
तराइन का प्रथम युद्ध (1191): पृथ्वीराज ने गोरी को हराया।
तराइन का द्वितीय युद्ध (1192): गोरी ने विजय पाई, पृथ्वीराज मारे गए।
महत्व:
- भारत में इस्लामी शासन की शुरुआत।
- दिल्ली सल्तनत की नींव रखी गई।
यह युद्ध भारत के मध्यकालीन इतिहास की दिशा बदलने वाला था।
64. अमीर खुसरो कौन थे?
उत्तर:
अमीर खुसरो (1253–1325) एक प्रसिद्ध सूफी कवि, संगीतज्ञ और इतिहासकार थे।
विशेषताएँ:
- फारसी और हिंदी में रचनाएँ।
- “खड़ी बोली” के विकास में योगदान।
- तबला और सितार जैसे वाद्य यंत्रों का आविष्कार।
- अलाउद्दीन खिलजी के दरबारी कवि।
इन्हें “हिंदवी भाषा के जनक” और “भारत का तोता” कहा जाता है।
65. मलिक काफूर कौन था?
उत्तर:
मलिक काफूर अलाउद्दीन खिलजी का एक प्रमुख सेनापति था।
उपलब्धियाँ:
- दक्षिण भारत के चोल, पांड्य, काकतीय राज्यों पर विजय।
- सोने, हीरे-जवाहरात की लूट और दिल्ली वापसी।
- राजनीति में दखल – अलाउद्दीन की मृत्यु के बाद सत्तालोलुपता।
मलिक काफूर की विजय यात्राएँ दिल्ली सल्तनत के विस्तार में महत्त्वपूर्ण थीं।
66. दिल्ली सल्तनत की स्थापना कब और किसने की?
उत्तर:
दिल्ली सल्तनत की स्थापना 1206 ई. में कुतुबुद्दीन ऐबक ने की थी।
- यह ग़ुलाम वंश का पहला शासक था।
- उसने मोहम्मद गोरी की मृत्यु के बाद स्वतंत्रता की घोषणा की।
- उसने दिल्ली को राजधानी बनाया और कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद तथा कुतुब मीनार का निर्माण शुरू कराया।
दिल्ली सल्तनत का शासन लगभग 320 वर्षों तक (1206–1526) चला।
67. इल्तुतमिश की प्रमुख उपलब्धियाँ क्या थीं?
उत्तर:
इल्तुतमिश (1211–1236) ग़ुलाम वंश का सशक्त शासक था।
उपलब्धियाँ:
- दिल्ली सल्तनत को मज़बूती प्रदान की।
- तुर्कानों का संगठन (“चालीसा”) बनाया।
- मंगोलों से रक्षा की।
- सिक्का प्रथा (टंका और जीतल) शुरू की।
- दिल्ली को राजधानी और खलीफा से मान्यता प्राप्त की।
उसने शासन को व्यवस्थित आधार दिया।
68. रज़िया सुल्ताना का शासन क्यों महत्वपूर्ण था?
उत्तर:
रज़िया सुल्ताना (1236–1240) दिल्ली सल्तनत की पहली और एकमात्र महिला शासक थी।
महत्व:
- उसने पर्दा प्रथा का त्याग कर पुरुषों की तरह शासन किया।
- योग्यता के आधार पर अफसर नियुक्त किए।
- अमीरों और तुर्की कुलीनों से संघर्ष किया।
उसे लिंगभेद के कारण विरोध झेलना पड़ा, लेकिन उसने साहसिक और प्रभावी शासन दिया।
69. अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधार क्या थे?
उत्तर:
अलाउद्दीन खिलजी (1296–1316) एक कुशल प्रशासक था।
आर्थिक सुधार:
- कृषि भूमि का मापन और कर व्यवस्था।
- अनाज का न्यूनतम मूल्य निर्धारण।
- बाजार नियंत्रण (हिसाब रखने वाले अधिकारी)।
- राज्य के कर्मचारियों के वेतन पर नियंत्रण।
इन उपायों से राज्य को युद्धों के लिए समृद्ध बनाया गया।
70. मोहम्मद बिन तुगलक की महत्वाकांक्षाएँ और असफलताएँ क्या थीं?
उत्तर:
मोहम्मद बिन तुगलक (1325–1351) एक विद्वान लेकिन असफल शासक था।
महत्वाकांक्षाएँ:
- राजधानी दिल्ली से दौलताबाद स्थानांतरित।
- तांबे के सिक्कों को चलन में लाया।
- खुरासान पर आक्रमण की योजना।
असफलताएँ: - योजनाएँ व्यवहारिक न होने के कारण विफल रहीं।
- विद्रोह बढ़े और सल्तनत कमजोर हुई।
उसका शासन “सिद्धांतों का लेकिन असफल प्रयोगों का” युग था।
71. अमीर खुसरो का योगदान क्या था?
उत्तर:
अमीर खुसरो एक महान सूफी कवि, संगीतज्ञ और इतिहासकार थे।
योगदान:
- हिंदी और फारसी साहित्य को समृद्ध किया।
- तबला और सितार जैसे वाद्य यंत्रों का आविष्कार।
- खड़ी बोली के विकास में योगदान।
- अलाउद्दीन खिलजी के दरबारी कवि थे।
इन्हें “भारत का तोता” भी कहा जाता है।
72. विजयनगर साम्राज्य का पतन क्यों हुआ?
उत्तर:
विजयनगर साम्राज्य (1336–1646) का पतन 1565 ई. में तालीकोटा के युद्ध के बाद शुरू हुआ।
कारण:
- मुस्लिम सल्तनतों का गठबंधन।
- राक्षसी तांगड़ी (तालीकोटा) युद्ध में हार।
- राजधानी हम्पी की लूट और विनाश।
- उत्तराधिकारी शासकों की कमजोरी।
इससे दक्षिण भारत में हिंदू सत्ता कमजोर हो गई।
73. भक्ति आंदोलन का सामाजिक प्रभाव क्या था?
उत्तर:
भक्ति आंदोलन ने भारत की सामाजिक संरचना पर गहरा प्रभाव डाला।
प्रभाव:
- जातिवाद और अंधविश्वास का विरोध।
- नारी और शूद्रों की धार्मिक सहभागिता।
- धार्मिक सहिष्णुता और एकता का संदेश।
- स्थानीय भाषाओं और साहित्य का विकास।
इसने सामाजिक सुधार और जन जागरण को बढ़ावा दिया।
74. अकबर की नवरत्न सभा के प्रमुख सदस्य कौन थे?
उत्तर:
अकबर की नवरत्न सभा में 9 प्रमुख विद्वान और कलाकार थे:
- बीरबल – हास्य और बुद्धिमत्ता
- तानसेन – संगीतज्ञ
- अबुल फज़ल – इतिहासकार (आइन-ए-अकबरी)
- फैजी – कवि
- राजा टोडरमल – वित्तमंत्री
- राजा मानसिंह – सेनापति
- अब्दुर रहीम खानखाना – कवि
- मुल्ला दो प्याजा – सलाहकार
- हकीम हुमाम – चिकित्सक
इनका योगदान अकबर के प्रशासन और संस्कृति में अमूल्य रहा।
75. जहांगीर की न्याय नीति क्या थी?
उत्तर:
जहांगीर (1605–1627) न्यायप्रिय शासक था।
नीति:
- “न्याय की जंजीर” दिल्ली में लगवाई – कोई भी न्याय के लिए खींच सकता था।
- अपराधियों को कठोर दंड।
- व्यक्तिगत रूप से न्याय मामलों में हस्तक्षेप।
उसकी नीति “आदर्श बादशाहत” की छवि स्थापित करती है।
76. शाहजहाँ के समय की वास्तुकला की विशेषता क्या थी?
उत्तर:
शाहजहाँ के शासन को “मुग़ल स्थापत्य का स्वर्ण युग” कहा जाता है।
विशेषताएँ:
- संगमरमर का व्यापक प्रयोग
- गुम्बद और मेहराब का सौंदर्य
- जाली, फूल-पत्तियों की नक़्क़ाशी
प्रमुख इमारतें: - ताजमहल (आगरा)
- लाल किला (दिल्ली)
- जामा मस्जिद (दिल्ली)
इस युग की कला विश्वविख्यात है।
77. दारा शिकोह कौन था और उसकी विचारधारा क्या थी?
उत्तर:
दारा शिकोह शाहजहाँ का पुत्र और उत्तराधिकारी था।
विचारधारा:
- धर्मों की एकता में विश्वास
- उपनिषदों का फारसी में अनुवाद (“सिर्र-ए-अकबर”)
- हिंदू-मुस्लिम एकता का समर्थक
मृत्यु: औरंगज़ेब ने उसे हराकर मार डाला।
वह एक उदारवादी विचारक और समन्वयवादी था।
78. औरंगज़ेब की धार्मिक नीति के क्या परिणाम हुए?
उत्तर:
औरंगज़ेब की कट्टर धार्मिक नीति से कई नकारात्मक प्रभाव हुए:
- जज़िया कर की पुनः शुरुआत
- मंदिरों का विध्वंस
- हिंदुओं और राजपूतों से संघर्ष
परिणाम: - साम्राज्य में विद्रोह
- मराठा, सिख और जाट विद्रोह
- मुग़ल साम्राज्य की नींव कमजोर हुई
उसकी नीति से साम्राज्य का पतन शुरू हुआ।
79. शिवाजी के प्रशासन की विशेषताएँ क्या थीं?
उत्तर:
शिवाजी एक महान प्रशासक थे।
प्रशासनिक विशेषताएँ:
- अष्टप्रधान मंडल (8 मंत्रियों की परिषद)
- न्यायप्रियता और भ्रष्टाचार रहित शासन
- धर्मनिरपेक्ष नीति
- मजबूत किला प्रणाली
उन्होंने मराठा शासन को मजबूत आधार प्रदान किया।
80. पेशवाओं की भूमिका क्या थी?
उत्तर:
पेशवा मराठा साम्राज्य के प्रधानमंत्री होते थे।
- बालाजी विश्वनाथ, बाजीराव प्रथम, माधवराव प्रमुख पेशवा थे।
भूमिका: - साम्राज्य का विस्तार
- केंद्रीय प्रशासन का संचालन
- मराठा शक्ति का चरम
बाजीराव प्रथम को “मराठा शक्ति का निर्माता” कहा जाता है।
81. प्लासी का युद्ध किसके बीच और क्यों हुआ?
उत्तर:
प्लासी का युद्ध 1757 ई. में लड़ा गया:
पक्ष:
- सिराजुद्दौला (बंगाल का नवाब)
- ईस्ट इंडिया कंपनी (रॉबर्ट क्लाइव)
कारण: - अंग्रेजों का व्यापार में हस्तक्षेप
- सिराज का किला फोर्ट विलियम पर कब्जा
परिणाम: - अंग्रेजों की विजय (मीर जाफर की गद्दारी से)
- बंगाल में अंग्रेजी सत्ता की शुरुआत
यह युद्ध भारत में औपनिवेशिक युग की नींव बना।
82. बक्सर का युद्ध क्या था?
उत्तर:
बक्सर का युद्ध 1764 में हुआ था।
पक्ष:
- अंग्रेज (हेक्टर मुनरो)
- मीर कासिम (बंगाल), शुजाउद्दौला (अवध), शाह आलम (मुग़ल बादशाह)
परिणाम: - अंग्रेजों की जीत
- बंगाल की दीवानी (राजस्व अधिकार) अंग्रेजों को मिला
यह भारत में ब्रिटिश शासन की निर्णायक जीत थी।
83. स्थायी बंदोबस्त किसने और क्यों लागू किया?
उत्तर:
लॉर्ड कार्नवालिस ने 1793 ई. में बंगाल, बिहार में स्थायी बंदोबस्त लागू किया।
उद्देश्य:
- राजस्व की निश्चितता
- जमींदारों को प्रशासनिक सहयोगी बनाना
परिणाम: - किसानों का शोषण
- जमींदारों को भूमि पर अधिकार
इस प्रणाली ने ग्रामीण असंतोष को जन्म दिया।
84. डलहौजी की हड़प नीति (Doctrine of Lapse) क्या थी?
उत्तर:
लॉर्ड डलहौजी ने यह नीति अपनाई कि – यदि कोई राजा निःसंतान मरता है, तो उसकी रियासत अंग्रेजों में मिल जाएगी।
प्रभाव:
- झाँसी, सतारा, नागपुर जैसे राज्य हड़प लिए गए।
- भारतीय शासकों में असंतोष फैला।
यह नीति 1857 की क्रांति का प्रमुख कारण बनी।
85. 1857 की क्रांति के प्रमुख कारण क्या थे?
उत्तर:
राजनैतिक कारण: हड़प नीति
धार्मिक कारण: कारतूस में चर्बी का प्रयोग
आर्थिक कारण: भारी कर, उद्योगों का विनाश
सैन्य कारण: भारतीय सैनिकों से भेदभाव
यह भारत की पहली स्वतंत्रता संग्राम थी।
86. 1857 की क्रांति के प्रमुख नेता कौन थे?
उत्तर:
- बहादुर शाह ज़फर (दिल्ली)
- रानी लक्ष्मीबाई (झाँसी)
- नाना साहेब (कानपुर)
- तांत्या टोपे (मालवा)
- बेगम हज़रत महल (अवध)
इन सभी नेताओं ने वीरता से संघर्ष किया, परंतु क्रांति असफल रही।
87. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कब और किसने की?
उत्तर:
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 28 दिसंबर 1885 को ए. ओ. ह्यूम (A. O. Hume) ने की थी।
- पहला अधिवेशन बंबई (अब मुंबई) में हुआ।
- अध्यक्ष: डब्ल्यू. सी. बनर्जी
उद्देश्य: - भारतीयों को एक मंच देना
- सरकार के समक्ष जनहित की मांग रखना
- सामाजिक, शैक्षिक और राजनीतिक सुधार को बढ़ावा देना
शुरुआत में कांग्रेस ने संविधानिक तरीकों से कार्य किया।
88. प्रारंभिक कांग्रेस नेताओं की नीति क्या थी?
उत्तर:
प्रारंभिक कांग्रेस नेताओं को उदारवादी (Moderates) कहा जाता है।
नीति:
- ब्रिटिश सरकार में विश्वास
- संवैधानिक सुधारों की माँग
- याचिका, भाषण और संवाद के माध्यम से सुधार
प्रमुख नेता: दादा भाई नौरोजी, सुरेंद्रनाथ बनर्जी, गोपाल कृष्ण गोखले
उनकी आलोचना “भीख मांगने वाली कांग्रेस” कहकर हुई, लेकिन उन्होंने राजनीतिक चेतना जगाई।
89. गरम दल के नेता कौन थे और उनकी नीति क्या थी?
उत्तर:
गरम दल के नेता उग्र राष्ट्रवादी थे, जो तत्काल स्वतंत्रता चाहते थे।
प्रमुख नेता: बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, बिपिन चंद्र पाल
नीति:
- स्वदेशी
- बहिष्कार
- राष्ट्रीय शिक्षा
- जन आंदोलन
उनकी विचारधारा ने युवाओं में देशभक्ति की भावना जागृत की।
90. बंगाल विभाजन कब हुआ और इसका प्रभाव क्या पड़ा?
उत्तर:
बंगाल विभाजन 1905 में लॉर्ड कर्ज़न ने किया।
कारण: प्रशासनिक सुविधा (आधिकारिक), लेकिन असली उद्देश्य हिंदू-मुस्लिम एकता तोड़ना।
प्रभाव:
- पूरे भारत में विरोध
- स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत
- कांग्रेस दो भागों में बंटी (1907 – सूरत विभाजन)
- 1911 में विभाजन रद्द हुआ
यह स्वतंत्रता संग्राम में एक मील का पत्थर था।
91. जलियांवाला बाग हत्याकांड क्या था?
उत्तर:
13 अप्रैल 1919 को जनरल डायर ने अमृतसर के जलियांवाला बाग में निहत्थे लोगों पर गोली चलवाई।
कारण:
- रोलेट एक्ट के विरोध में सभा
परिणाम: - सैकड़ों लोगों की मृत्यु
- राष्ट्रव्यापी आक्रोश
- गांधी जी का ब्रिटिश सरकार से विश्वास उठ गया
यह घटना भारत के स्वतंत्रता संग्राम को तेज़ करने का कारण बनी।
92. असहयोग आंदोलन का उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
गांधी जी ने 1920 में असहयोग आंदोलन शुरू किया।
उद्देश्य:
- जलियांवाला बाग कांड और खिलाफ़त आंदोलन के विरोध में
- ब्रिटिश शासन से असहयोग
मुख्य कार्य: - विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार
- सरकारी पदों और विद्यालयों से त्यागपत्र
- शराब का बहिष्कार
यह आंदोलन 1922 में चौरी-चौरा कांड के बाद स्थगित कर दिया गया।
93. स्वराज पार्टी की स्थापना क्यों और किसने की?
उत्तर:
स्वराज पार्टी की स्थापना 1923 में मोतीलाल नेहरू और चित्तरंजन दास ने की।
कारण:
- असहयोग आंदोलन के स्थगन के बाद राजनीतिक मंच की आवश्यकता
उद्देश्य: - विधान परिषद में प्रवेश कर ब्रिटिश नीति का विरोध
सिद्धांत: “Council Entry Programme”
यह पार्टी गांधीवादी नीति से अलग संवैधानिक संघर्ष में विश्वास करती थी।
94. सविनय अवज्ञा आंदोलन की विशेषताएँ क्या थीं?
उत्तर:
सविनय अवज्ञा आंदोलन 1930 में नमक सत्याग्रह के साथ शुरू हुआ।
विशेषताएँ:
- गांधी जी द्वारा डांडी मार्च (12 मार्च 1930)
- नमक कानून तोड़ना
- कर न देना
- विदेशी कपड़ों का बहिष्कार
परिणाम: - गांधी-इरविन समझौता (1931)
- आंदोलन वापस
यह आंदोलन स्वतंत्रता के संघर्ष में निर्णायक मोड़ बना।
95. भारत छोड़ो आंदोलन क्या था?
उत्तर:
भारत छोड़ो आंदोलन 8 अगस्त 1942 को गांधी जी द्वारा शुरू किया गया।
नारा: “अंग्रेजो भारत छोड़ो”
कारण:
- द्वितीय विश्व युद्ध के समय भारत को जबरन शामिल करना
विशेषताएँ: - सभी नेताओं की गिरफ्तारी
- आंदोलन उग्र और व्यापक हुआ
परिणाम: - स्वतंत्रता की मांग अटल हो गई
- अंततः 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त हुई।
96. 1857 की क्रांति और गांधी युगीन आंदोलनों में अंतर लिखिए।
उत्तर:
1857 की क्रांति:
- नेतृत्व विखंडित
- उद्देश्य अस्पष्ट (राजाओं की सत्ता वापसी)
- हिंसात्मक
- असफल
गांधी युगीन आंदोलन: - स्पष्ट नेतृत्व (गांधी जी)
- राष्ट्रव्यापी जनसहभागिता
- अहिंसात्मक
- जनता में जागरूकता और अंग्रेज़ों पर दबाव
गांधी युग के आंदोलन संगठित और प्रभावी थे।
97. गांधी-इरविन समझौता क्या था?
उत्तर:
यह समझौता 1931 में गांधी जी और लॉर्ड इरविन के बीच हुआ।
शर्तें:
- राजनीतिक बंदियों की रिहाई
- नमक बनाना ग्रामीणों के लिए वैध
- गांधी जी गोलमेज सम्मेलन में भाग लेंगे
महत्व: - यह सविनय अवज्ञा आंदोलन के एक चरण का समापन था
- भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली
98. क्रिप्स मिशन क्या था?
उत्तर:
क्रिप्स मिशन 1942 में भारत भेजा गया।
उद्देश्य:
- द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीय सहयोग प्राप्त करना
प्रस्ताव: - युद्ध के बाद भारत को डोमिनियन स्टेटस
- प्रांतों को पृथक होने का अधिकार
विफलता: - भारतीय नेताओं ने ठुकरा दिया
- इसके बाद भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ
99. भारतीय संविधान सभा का गठन कब हुआ?
उत्तर:
संविधान सभा का गठन 1946 में किया गया।
पहला अधिवेशन: 9 दिसंबर 1946
अध्यक्ष: डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
कार्य:
- स्वतंत्र भारत के लिए संविधान का निर्माण
- 26 नवंबर 1949 को संविधान अंगीकृत किया गया
- 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ
यह भारत का लोकतांत्रिक आधार बना।
100. भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की विशेषताएँ संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की प्रमुख विशेषताएँ थीं:
- राष्ट्रीय चेतना: सभी वर्गों की भागीदारी
- नेतृत्व: गांधी जी, नेहरू, पटेल, सुभाष जैसे महान नेता
- संगठन: कांग्रेस, क्रांतिकारी दल
- रणनीति: सत्याग्रह, असहयोग, सविनय अवज्ञा, भारत छोड़ो
- अंतिम परिणाम: 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त
यह आंदोलन विश्व के सबसे शांतिपूर्ण और संगठित संघर्षों में गिना जाता है।