आपात स्थिति में हाईवे पर अचानक ब्रेक लगाना लापरवाही माना जाएगा – सर्वोच्च न्यायालय का महत्वपूर्ण निर्णय

शीर्षक: आपात स्थिति में हाईवे पर अचानक ब्रेक लगाना लापरवाही माना जाएगा – सर्वोच्च न्यायालय का महत्वपूर्ण निर्णय

भूमिका:
सड़क सुरक्षा से जुड़े मामलों में न्यायपालिका की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। हाल ही में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए स्पष्ट किया कि आपात स्थिति में भी यदि कोई वाहन चालक हाईवे पर अचानक ब्रेक लगाता है और इससे दुर्घटना होती है, तो यह चालक की लापरवाही मानी जाएगी। यह निर्णय न केवल सड़क पर चलने वाले अन्य यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखता है, बल्कि वाहन चालकों को जिम्मेदारी से ड्राइविंग करने का संदेश भी देता है।

मामले की पृष्ठभूमि:
यह मामला वर्ष 2017 में तमिलनाडु के कोयंबटूर में हुई एक सड़क दुर्घटना से जुड़ा है, जिसमें एक मोटरसाइकिल सवार व्यक्ति को गंभीर चोट आई और उसका एक पैर कटवाना पड़ा। दुर्घटना उस समय हुई जब एक कार चालक ने हाईवे पर अचानक वाहन रोक दिया, जिससे मोटरसाइकिल पीछे से टकरा गई और सवार गिर पड़ा। उसी समय पीछे से आ रही बस ने उसे कुचल दिया, जिससे उसका पैर गंभीर रूप से घायल हुआ।

चालक का पक्ष:
कार चालक ने अपने बचाव में यह दलील दी कि उसे अचानक उल्टी जैसा महसूस हुआ और गर्भवती पत्नी की तबीयत भी खराब थी, इसलिए उसने इमरजेंसी में गाड़ी रोक दी। उसने इसे “आपात स्थिति” बताया, जिसके लिए उसे दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए।

सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय:
मंगलवार को न्यायमूर्ति (जज) की पीठ ने स्पष्ट कहा कि भले ही आपात स्थिति क्यों न हो, हाईवे जैसी तीव्रगति सड़क पर अचानक वाहन रोकना अत्यधिक खतरनाक होता है और यह दूसरों के जीवन के लिए खतरा बन सकता है। पीठ ने कहा कि हाईवे पर गति नियंत्रित होती है, लेकिन वहां विशेष सावधानी की आवश्यकता होती है। यदि कोई चालक बिना संकेत या सावधानी के वाहन को अचानक रोकता है और इससे दुर्घटना होती है, तो उसे दोषी माना जाएगा।

महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ:

  • अदालत ने कहा कि “आपात स्थितियों को भी सावधानीपूर्वक संभालना आवश्यक है।”
  • हाईवे पर ब्रेक लगाने या वाहन रोकने से पहले चालक को उचित संकेत देने और अन्य वाहनों की स्थिति का ध्यान रखने की कानूनी और नैतिक जिम्मेदारी होती है।

निष्कर्ष:
यह निर्णय सड़क पर सभी चालकों को यह संदेश देता है कि वे चाहे जिस भी स्थिति में हों, दूसरों की सुरक्षा को सर्वोपरि रखें। यह निर्णय सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए एक दिशानिर्देशक के रूप में काम करेगा और यह भी स्पष्ट करता है कि आपात स्थिति का हवाला देकर लापरवाही नहीं छिपाई जा सकती। न्यायपालिका का यह कदम न केवल न्यायपूर्ण है बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी सराहनीय है।