अर्थशास्त्र – I (Economics – I) Part-1

1. अर्थशास्त्र की परिभाषा लिखिए।

उत्तर:
अर्थशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है जो सीमित संसाधनों के अधिकतम उपयोग के माध्यम से मानव आवश्यकताओं की पूर्ति का अध्ययन करता है। अलग-अलग विद्वानों ने इसे विभिन्न ढंग से परिभाषित किया है:

  • एडम स्मिथ ने इसे “धन का विज्ञान” कहा।
  • मार्शल ने इसे “मानव कल्याण का विज्ञान” कहा।
  • रॉबिंस के अनुसार, यह इच्छाओं और सीमित साधनों के बीच संबंध का अध्ययन है।
    इस प्रकार अर्थशास्त्र यह बताता है कि लोग अपने संसाधनों का उपयोग कैसे करते हैं, वस्तुओं का उत्पादन, वितरण, विनिमय और उपभोग कैसे होता है।

2. सूक्ष्म और समष्टि अर्थशास्त्र में अंतर लिखिए।

उत्तर:
सूक्ष्म अर्थशास्त्र व्यक्तिगत इकाइयों (उपभोक्ता, उत्पादक) का अध्ययन करता है जबकि समष्टि अर्थशास्त्र संपूर्ण अर्थव्यवस्था की इकाइयों (राष्ट्रीय आय, महँगाई) का अध्ययन करता है।
| आधार | सूक्ष्म अर्थशास्त्र | समष्टि अर्थशास्त्र | |——|———————|———————-| | अध्ययन की इकाई | व्यक्ति, फर्म | देश, क्षेत्र | | विषय | मांग, आपूर्ति, मूल्य निर्धारण | राष्ट्रीय आय, मुद्रास्फीति, बेरोजगारी | | प्रकृति | आंशिक विश्लेषण | समग्र विश्लेषण |


3. मांग की परिभाषा दीजिए।

उत्तर:
मांग का अर्थ है किसी वस्तु की वह मात्रा जिसे उपभोक्ता एक निश्चित मूल्य पर, निश्चित समय में, क्रय करने के लिए इच्छुक और सक्षम होता है।
डॉ. मार्शल के अनुसार – “मांग एक निश्चित मूल्य पर किसी वस्तु की वह मात्रा है जिसे उपभोक्ता खरीदने को तैयार होता है।”
मांग के लिए इच्छाशक्ति और क्रय शक्ति दोनों आवश्यक है। यह मूल्य, आय, स्वाद, फैशन आदि पर निर्भर करती है।


4. माँग के निर्धारक तत्व क्या हैं?

उत्तर:
मांग को प्रभावित करने वाले मुख्य तत्व निम्नलिखित हैं:

  1. वस्तु का मूल्य
  2. उपभोक्ता की आय
  3. उपभोक्ता की पसंद और फैशन
  4. पूरक व प्रतिस्थापन वस्तुओं के मूल्य
  5. उपभोक्ताओं की संख्या
  6. विज्ञापन और प्रचार
  7. भविष्य की अपेक्षाएँ (जैसे मूल्य वृद्धि की आशंका)

5. माँग का नियम समझाइए।

उत्तर:
मांग का नियम कहता है कि अन्य स्थितियाँ स्थिर रहते हुए, जब किसी वस्तु का मूल्य घटता है, तब उसकी मांग बढ़ती है और जब मूल्य बढ़ता है, तो मांग घटती है।
यह नियम “मूल्य और मांग के बीच प्रतिलोम संबंध” को दर्शाता है।
उदाहरण: अगर चीनी का मूल्य ₹50 से ₹40 हो जाता है तो उपभोक्ता अधिक मात्रा में चीनी खरीदना चाहेगा।


6. आपूर्ति की परिभाषा दीजिए।

उत्तर:
आपूर्ति का अर्थ है किसी वस्तु की वह मात्रा जो विक्रेता एक निश्चित मूल्य पर, निश्चित समय में बाजार में बेचने को तैयार होता है।
आपूर्ति केवल उत्पादन नहीं है, बल्कि उसे बाजार में बेचने की इच्छा और क्षमता का सम्मिलन है।
आपूर्ति वस्तु के मूल्य, उत्पादन लागत, तकनीक, कर, आदि पर निर्भर करती है।


7. आपूर्ति के निर्धारक तत्व बताइए।

उत्तर:
आपूर्ति को प्रभावित करने वाले तत्व हैं:

  1. वस्तु का मूल्य
  2. उत्पादन लागत
  3. तकनीकी विकास
  4. कर एवं सब्सिडी
  5. अन्य वस्तुओं के मूल्य
  6. प्राकृतिक परिस्थितियाँ
  7. भविष्य की कीमत की अपेक्षा

8. उपभोक्ता की सीमा उपयोगिता की परिभाषा दीजिए।

उत्तर:
सीमा उपयोगिता (Marginal Utility) वह अतिरिक्त संतोष है जो उपभोक्ता को किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई के उपभोग से प्राप्त होता है।
उदाहरण: यदि एक व्यक्ति पहली रोटी खाने से 10 युटिल (संतोष की इकाई) प्राप्त करता है और दूसरी रोटी से 6 युटिल, तो दूसरी रोटी की सीमा उपयोगिता 6 है।


9. उपभोक्ता अधिशेष क्या है?

उत्तर:
उपभोक्ता अधिशेष वह अतिरिक्त लाभ है जो उपभोक्ता को तब प्राप्त होता है जब वह किसी वस्तु के लिए जितना मूल्य देने को तैयार होता है, उससे कम मूल्य पर वस्तु प्राप्त करता है।
उपभोक्ता अधिशेष = कुल इच्छित मूल्य – वास्तविक व्यय


10. माँग वक्र की आकृति कैसी होती है?

उत्तर:
माँग वक्र एक डाउनवर्ड स्लोपिंग कर्व होता है, जो बाएं ऊपर से दाएं नीचे की ओर झुकता है।
यह दर्शाता है कि जैसे-जैसे वस्तु का मूल्य घटता है, उसकी मांग बढ़ती है।
यह वक्र ‘मूल्य और मांग’ के विपरीत संबंध को स्पष्ट करता है।


11. लोच की परिभाषा दीजिए।

उत्तर:
लोच (Elasticity) वह माप है जिससे यह पता चलता है कि किसी आर्थिक चर (जैसे मांग या आपूर्ति) में किसी अन्य चर (जैसे मूल्य) में परिवर्तन के कारण कितना परिवर्तन होता है।
मूल्य लोच = (% परिवर्तन मांग) / (% परिवर्तन मूल्य)
यदि यह अधिक है तो मांग लचीली है, यदि कम है तो अलचीली है।


12. वस्तु और सेवा में अंतर बताइए।

उत्तर:
वस्तु भौतिक रूप से दिखाई देती है और संग्रहित की जा सकती है, जैसे – किताब, कपड़ा।
सेवा अमूर्त होती है और उपभोग के समय ही प्रदान की जा सकती है, जैसे – डॉक्टर की सेवा, शिक्षा।
| आधार | वस्तु | सेवा | |——|——–|——–| | प्रकृति | भौतिक | अमूर्त | | भंडारण | संभव | असंभव |


13. उपयोगिता क्या है?

उत्तर:
उपयोगिता वह शक्ति है जिसके द्वारा कोई वस्तु उपभोक्ता की आवश्यकता की पूर्ति करती है।
यह वस्तु की भौतिक या नैतिक विशेषताओं पर निर्भर करती है।
उदाहरण: भोजन की उपयोगिता भूख मिटाने में है, औषधि की उपयोगिता स्वास्थ्य लाभ में है।


14. अर्थशास्त्र के प्रकार बताइए।

उत्तर:
अर्थशास्त्र के मुख्य दो प्रकार होते हैं:

  1. सकारात्मक अर्थशास्त्र (Positive Economics): यह तथ्यों पर आधारित होता है – “क्या है” का अध्ययन करता है।
  2. मानदंडात्मक अर्थशास्त्र (Normative Economics): यह आदर्शों पर आधारित होता है – “क्या होना चाहिए” का अध्ययन करता है।

15. मांग और आपूर्ति में संतुलन कब होता है?

उत्तर:
जब किसी वस्तु की मांग और उसकी आपूर्ति बराबर होती है, तब उसे बाजार संतुलन कहा जाता है।
इस स्थिति में वस्तु का मूल्य स्थिर रहता है और कोई अतिरिक्त मांग या आपूर्ति नहीं होती।
संतुलन मूल्य वह मूल्य है जहाँ मांग वक्र और आपूर्ति वक्र एक-दूसरे को काटते हैं।


16. उत्पादन क्या है?

उत्तर:
उत्पादन का अर्थ है संसाधनों का उपयोग करके वस्तुओं और सेवाओं का निर्माण करना जो मानव की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकें। यह केवल भौतिक वस्तुओं तक सीमित नहीं है, बल्कि सेवाओं (जैसे शिक्षा, चिकित्सा) को भी शामिल करता है।
उत्पादन चार कारकों – भूमि, श्रम, पूंजी और उद्यमिता – पर आधारित होता है। उत्पादन का उद्देश्य उपभोक्ता की आवश्यकताओं की पूर्ति और लाभ कमाना होता है।


17. उत्पादन के कारक कौन-कौन से हैं?

उत्तर:
उत्पादन के चार प्रमुख कारक होते हैं:

  1. भूमि (Land): प्राकृतिक संसाधन जैसे – जल, मिट्टी, खनिज।
  2. श्रम (Labour): शारीरिक व मानसिक परिश्रम।
  3. पूंजी (Capital): मशीन, उपकरण, पैसा।
  4. उद्यमिता (Entrepreneurship): इन सभी को संयोजित कर उत्पादन करना।
    ये चारों कारक मिलकर उत्पादन प्रक्रिया को संचालित करते हैं।

18. उत्पादन की सीमा उपादेयता (Marginal Productivity) क्या है?

उत्तर:
सीमा उपादेयता से अभिप्राय उस अतिरिक्त उत्पाद से है, जो उत्पादन के किसी एक अतिरिक्त इकाई (जैसे श्रमिक) को जोड़ने पर प्राप्त होता है, जबकि अन्य कारक स्थिर रहते हैं।
जैसे यदि एक खेत में तीसरा मजदूर जोड़ने से उत्पादन 20 किलो से बढ़कर 25 किलो हो जाए, तो तीसरे मजदूर की सीमा उत्पादकता 5 किलो होगी।


19. लागत (Cost) क्या है?

उत्तर:
किसी वस्तु या सेवा के उत्पादन में प्रयुक्त संसाधनों की कुल मौद्रिक कीमत को लागत कहते हैं। इसमें कच्चा माल, श्रमिक का वेतन, मशीनों की कीमत, बिजली आदि शामिल होते हैं।
लागत दो प्रकार की होती है –

  1. स्थायी लागत (Fixed Cost): जो उत्पादन की मात्रा पर निर्भर नहीं करती।
  2. परिवर्ती लागत (Variable Cost): जो उत्पादन की मात्रा के अनुसार बदलती है।

20. राजस्व क्या है?

उत्तर:
राजस्व वह आय है जो उत्पादक को वस्तुओं या सेवाओं की बिक्री से प्राप्त होती है।
राजस्व के प्रकार:

  1. कुल राजस्व (Total Revenue): कुल बिक्री से प्राप्त आय = मूल्य × मात्रा।
  2. औसत राजस्व (Average Revenue): प्रति इकाई राजस्व = कुल राजस्व ÷ मात्रा।
  3. सीमा राजस्व (Marginal Revenue): एक अतिरिक्त इकाई बेचने से प्राप्त अतिरिक्त आय।

21. संतुलन मूल्य क्या होता है?

उत्तर:
संतुलन मूल्य वह मूल्य होता है जिस पर मांग और आपूर्ति बराबर होती है। इस मूल्य पर न तो अधिक आपूर्ति होती है, न ही अधिक मांग।
यह स्थिति मांग और आपूर्ति वक्र के प्रतिच्छेदन (intersection) बिंदु पर उत्पन्न होती है।
उदाहरण: यदि एक वस्तु का संतुलन मूल्य ₹100 है, तो उतनी ही मात्रा उपभोक्ता मांगता है जितनी विक्रेता आपूर्ति करता है।


22. लाभ की परिभाषा लिखिए।

उत्तर:
लाभ वह राशि है जो कुल राजस्व से कुल लागत घटाने पर प्राप्त होती है।
लाभ = कुल राजस्व – कुल लागत
यह व्यापार का मुख्य उद्देश्य होता है।
लाभ दो प्रकार के हो सकते हैं:

  • साधारण लाभ (Normal Profit)
  • अधिक लाभ (Supernormal Profit)

23. मुद्रा की परिभाषा दीजिए।

उत्तर:
मुद्रा वह माध्यम है जिसे समाज द्वारा वस्तुओं और सेवाओं के विनिमय के लिए स्वीकार किया जाता है।
प्राचीन समय में वस्तु-विनिमय प्रचलन में था, लेकिन उसकी कठिनाइयों को दूर करने के लिए मुद्रा की अवधारणा आई।
मुद्रा के मुख्य कार्य – विनिमय का माध्यम, मूल्य माप, संचय, देनदारियों का भुगतान।


24. मुद्रा के प्रकार क्या हैं?

उत्तर:
मुद्रा मुख्यतः दो प्रकार की होती है:

  1. वास्तविक मुद्रा (Commodity Money): जिसमें अंतर्निहित मूल्य होता है जैसे सोने या चाँदी के सिक्के।
  2. प्रतीकात्मक मुद्रा (Token Money): जिसका अपना कोई आंतरिक मूल्य नहीं होता जैसे नोट और सिक्के।
    इसके अलावा, क्रेडिट मनी और डिजिटल मनी भी आधुनिक रूप हैं।

25. मुद्रा सृजन क्या होता है?

उत्तर:
मुद्रा सृजन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा बैंकिंग व्यवस्था द्वारा ऋण के रूप में नई मुद्रा उत्पन्न की जाती है।
जब वाणिज्यिक बैंक लोगों से जमा स्वीकार करते हैं और उसका कुछ हिस्सा ऋण के रूप में देते हैं, तो वे एक नई मुद्रा उत्पन्न करते हैं।
यह प्रक्रिया क्रेडिट मल्टीप्लायर सिद्धांत पर आधारित होती है।


26. बैंक की परिभाषा दीजिए।

उत्तर:
बैंक वह संस्था है जो जनता से धन जमा करती है और उन्हें ऋण प्रदान करती है। यह धन के लेन-देन का प्रमुख माध्यम है।
भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के अनुसार बैंक वह संस्था है जो जमा स्वीकार करती है और भुगतान की सुविधा प्रदान करती है।
बैंकिंग सेवाओं में खाता खोलना, चेक, ऋण, बीमा, आदि शामिल होते हैं।


27. वाणिज्यिक बैंक क्या है?

उत्तर:
वाणिज्यिक बैंक वे बैंक होते हैं जो लाभ कमाने के उद्देश्य से सामान्य जनता से जमा स्वीकार करते हैं और उन्हें व्यापार, उद्योग, कृषि आदि को ऋण के रूप में देते हैं।
भारत में कुछ प्रमुख वाणिज्यिक बैंक हैं – भारतीय स्टेट बैंक (SBI), बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक आदि।
इनका मुख्य कार्य: जमा स्वीकारना, ऋण देना, चेक प्रणाली, मुद्रा विनिमय आदि।


28. केन्द्रीय बैंक क्या है?

उत्तर:
केंद्रीय बैंक एक देश का सर्वोच्च बैंक होता है जो देश की मौद्रिक नीति बनाता है और वाणिज्यिक बैंकों पर नियंत्रण रखता है।
भारत का केंद्रीय बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) है, जिसकी स्थापना 1 अप्रैल 1935 को हुई थी।
इसके कार्य: नोट जारी करना, मौद्रिक नियंत्रण, रेपो दर निर्धारण, विदेशी मुद्रा भंडार नियंत्रण आदि।


29. बजट की परिभाषा दीजिए।

उत्तर:
बजट सरकार द्वारा एक निश्चित वित्तीय वर्ष के लिए प्रस्तुत आय और व्यय की पूर्व योजना होती है।
यह दो भागों में विभाजित होता है –

  1. राजस्व बजट (राजस्व आय और व्यय)
  2. पूंजी बजट (पूंजीगत आय और व्यय)
    भारत में बजट आमतौर पर हर वर्ष फरवरी के अंतिम सप्ताह में प्रस्तुत किया जाता है।

30. प्रत्यक्ष कर क्या है?

उत्तर:
प्रत्यक्ष कर वह कर है जो व्यक्ति या संस्था अपनी आय पर सीधे सरकार को देता है।
उदाहरण: आयकर, कॉरपोरेट टैक्स, संपत्ति कर।
यह कर भार स्थानांतरित नहीं किया जा सकता। इसे “जिस पर कर लगाया गया है, वही भुगतान करता है” सिद्धांत पर आधारित माना जाता है।


31. अप्रत्यक्ष कर क्या है?

उत्तर:
अप्रत्यक्ष कर वह कर है जो उपभोक्ता वस्तु खरीदते समय देता है, लेकिन सरकार को व्यापारी द्वारा चुकाया जाता है।
उदाहरण: वस्तु एवं सेवा कर (GST), उत्पाद शुल्क।
यह कर अंततः उपभोक्ता पर भार डालता है, पर भुगतान व्यापारी करता है।


32. सकल घरेलू उत्पाद (GDP) क्या है?

उत्तर:
सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) किसी देश की सीमाओं के भीतर एक वर्ष में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का मौद्रिक मूल्य है।
GDP = उपभोग + निवेश + सरकारी खर्च + (निर्यात – आयात)।
यह देश की आर्थिक प्रगति का मापक होता है।


33. मुद्रास्फीति क्या है?

उत्तर:
जब वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य सामान्य रूप से बढ़ते हैं, और मुद्रा की क्रय शक्ति घटती है, तो उसे मुद्रास्फीति (Inflation) कहते हैं।
यह उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति को प्रभावित करता है।
इसके कारण: माँग अधिक होना, उत्पादन की लागत में वृद्धि, आपूर्ति में कमी।


34. बेरोजगारी क्या है?

उत्तर:
बेरोजगारी वह स्थिति है जब योग्य एवं इच्छुक व्यक्ति को कार्य नहीं मिल पाता।
बेरोजगारी के प्रकार:

  1. खुली बेरोजगारी
  2. छिपी बेरोजगारी
  3. मौसमी बेरोजगारी
  4. शिक्षित बेरोजगारी
    यह समाज और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए घातक है।

35. आर्थिक विकास और आर्थिक वृद्धि में अंतर बताइए।

उत्तर:
आर्थिक वृद्धि मात्रात्मक होती है – जैसे GDP में वृद्धि।
आर्थिक विकास गुणात्मक और व्यापक होता है – जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, जीवनस्तर सुधार आदि शामिल हैं।
| आधार | आर्थिक वृद्धि | आर्थिक विकास | |——|—————-|—————-| | प्रकृति | मात्रात्मक | गुणात्मक | | क्षेत्र | सीमित (उत्पादन) | व्यापक (समाज कल्याण) |


36. आर्थिक प्रणाली (Economic System) क्या है?

उत्तर:
आर्थिक प्रणाली वह प्रणाली है जिसके द्वारा किसी देश की आर्थिक गतिविधियाँ संचालित होती हैं, जैसे उत्पादन, वितरण और उपभोग। यह तय करती है कि क्या, कैसे और किसके लिए उत्पादन किया जाए।
मुख्य आर्थिक प्रणालियाँ:

  1. पूंजीवादी प्रणाली (Capitalism) – निजी स्वामित्व व लाभ उद्देश्य पर आधारित।
  2. समाजवादी प्रणाली (Socialism) – सरकारी नियंत्रण और समानता की ओर झुकाव।
  3. मिश्रित प्रणाली (Mixed Economy) – पूंजीवाद और समाजवाद का संयोजन (भारत में प्रचलित)।

37. पूंजीवाद क्या है?

उत्तर:
पूंजीवाद एक आर्थिक प्रणाली है जिसमें उत्पादन के साधनों का स्वामित्व निजी हाथों में होता है और उत्पादन का मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना होता है। इसमें बाजार की शक्तियाँ (माँग और आपूर्ति) संसाधनों का आवंटन तय करती हैं।
मुख्य विशेषताएँ:

  • निजी स्वामित्व
  • लाभ की प्रेरणा
  • मुक्त प्रतिस्पर्धा
  • उपभोक्ता संप्रभुता
    हालाँकि, इसमें आय-वितरण की असमानता और शोषण की संभावना अधिक होती है।

38. समाजवाद क्या है?

उत्तर:
समाजवाद एक ऐसी आर्थिक व्यवस्था है जिसमें उत्पादन और वितरण के साधनों का स्वामित्व सरकार या समाज के पास होता है। इसका उद्देश्य सामाजिक कल्याण और समानता है, न कि केवल लाभ।
मुख्य विशेषताएँ:

  • राज्य नियंत्रण
  • नियोजित उत्पादन
  • सामाजिक न्याय
  • न्यूनतम आय असमानता
    उदाहरण: पूर्व सोवियत संघ, वर्तमान में क्यूबा और उत्तर कोरिया।

39. मिश्रित अर्थव्यवस्था क्या है?

उत्तर:
मिश्रित अर्थव्यवस्था वह प्रणाली है जिसमें निजी और सार्वजनिक क्षेत्र दोनों मिलकर कार्य करते हैं। यह पूंजीवाद और समाजवाद का मिश्रण है।
भारत, फ्रांस, स्वीडन आदि देश इस व्यवस्था को अपनाते हैं।
मुख्य विशेषताएँ:

  • निजी स्वामित्व की स्वतंत्रता
  • राज्य नियंत्रण के तहत कुछ क्षेत्र
  • सामाजिक कल्याण और लाभ दोनों का संतुलन

40. मानव पूंजी क्या है?

उत्तर:
मानव पूंजी उस ज्ञान, कौशल, स्वास्थ्य और दक्षता को कहते हैं जो किसी व्यक्ति में निहित होती है और जो आर्थिक उत्पादन में योगदान देती है।
उदाहरण: प्रशिक्षित शिक्षक, डॉक्टर, इंजीनियर आदि।
मानव पूंजी में निवेश (शिक्षा, स्वास्थ्य) से देश की उत्पादकता और आर्थिक विकास में वृद्धि होती है।


41. उपभोक्ता संतुलन क्या होता है?

उत्तर:
उपभोक्ता संतुलन वह स्थिति है जब उपभोक्ता अपनी आय से अधिकतम संतोष प्राप्त करता है और अपनी सीमित आय का सबसे अच्छा उपयोग करता है।
यह दो स्थितियों पर निर्भर करता है:

  1. वस्तु की सीमांत उपयोगिता उसके मूल्य के बराबर हो
  2. दो वस्तुओं की सीमांत उपयोगिता अनुपात उनके मूल्य अनुपात के बराबर हो
    यानी,
    MUx/Px = MUy/Py

42. सीमांत उपयोगिता ह्रास का नियम क्या है?

उत्तर:
यह नियम कहता है कि जब कोई व्यक्ति किसी वस्तु की इकाइयों का उपभोग करता है, तो प्रत्येक अतिरिक्त इकाई से प्राप्त संतोष (उपयोगिता) पहले की तुलना में कम होता जाता है।
उदाहरण: पहली रोटी से अधिक संतोष, दूसरी से कम, तीसरी से और भी कम।
यह नियम उपभोग के व्यवहार और माँग वक्र की नींव है।


43. बचत क्या है?

उत्तर:
बचत वह भाग है जो व्यक्ति अपनी आय से खर्च करने के बाद बचा लेता है।
बचत = आय – व्यय
बचत का महत्व:

  • भविष्य की सुरक्षा
  • पूंजी निर्माण
  • निवेश की वृद्धि
    भारत में बचत के प्रमुख माध्यम: बैंक, डाकघर, बीमा, म्यूचुअल फंड आदि।

44. निवेश क्या है?

उत्तर:
निवेश वह प्रक्रिया है जिसमें बचत को उत्पादन योग्य साधनों में लगाया जाता है ताकि भविष्य में लाभ या आय प्राप्त हो सके।
उदाहरण: नई मशीन खरीदना, भवन निर्माण, शेयर में पैसा लगाना आदि।
निवेश से अर्थव्यवस्था में रोजगार, उत्पादन और विकास दर बढ़ती है।


45. विदेशी व्यापार क्या है?

उत्तर:
विदेशी व्यापार वह व्यापार है जो एक देश और दूसरे देश के बीच होता है।
यह तीन प्रकार का होता है:

  1. निर्यात (Export) – वस्तुओं का विदेश भेजना
  2. आयात (Import) – वस्तुओं का विदेश से मंगाना
  3. पुनः निर्यात (Entrepot) – एक देश से आयात कर उसे अन्य देश को निर्यात करना
    विदेशी व्यापार से देश को विदेशी मुद्रा, तकनीक और विविधता मिलती है।

46. व्यापार संतुलन क्या है?

उत्तर:
व्यापार संतुलन (Balance of Trade) किसी देश के निर्यात और आयात के बीच का अंतर है।
व्यापार संतुलन = निर्यात – आयात

  • यदि निर्यात > आयात → व्यापार अधिशेष
  • यदि आयात > निर्यात → व्यापार घाटा
    यह देश की आर्थिक स्थिति का प्रमुख संकेतक है।

47. आर्थिक योजना क्या है?

उत्तर:
आर्थिक योजना वह प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत सरकार उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कर देश की आर्थिक, सामाजिक और बुनियादी समस्याओं का समाधान करती है।
भारत में पहली पंचवर्षीय योजना 1951 में शुरू हुई।
योजना का उद्देश्य: गरीबी उन्मूलन, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, औद्योगिकीकरण आदि।


48. सार्वजनिक वित्त (Public Finance) क्या है?

उत्तर:
सार्वजनिक वित्त वह शाखा है जो सरकार की आय (कर, शुल्क) और व्यय (कल्याण, रक्षा आदि) का अध्ययन करती है।
इसके मुख्य घटक:

  • सार्वजनिक आय
  • सार्वजनिक व्यय
  • सार्वजनिक ऋण
  • बजट
    सार्वजनिक वित्त से सरकार आर्थिक असमानता दूर करती है और विकास को बढ़ावा देती है।

49. सेवा क्षेत्र क्या है?

उत्तर:
सेवा क्षेत्र अर्थव्यवस्था का वह भाग है जो प्रत्यक्ष रूप से भौतिक वस्तु का उत्पादन नहीं करता, बल्कि सेवाएँ प्रदान करता है।
जैसे: बैंकिंग, बीमा, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, पर्यटन।
भारत की GDP में सेवा क्षेत्र का योगदान 50% से अधिक है और यह सबसे तेज़ी से बढ़ता क्षेत्र है।


50. श्रम विभाजन (Division of Labour) क्या है?

उत्तर:
श्रम विभाजन का अर्थ है – किसी कार्य को छोटे-छोटे हिस्सों में बाँटकर प्रत्येक श्रमिक को एक विशेष कार्य देना।
यह उत्पादन की दक्षता और गुणवत्ता को बढ़ाता है।
लाभ:

  • विशेषज्ञता
  • समय की बचत
  • उत्पादन में वृद्धि
    हानियाँ:
  • कार्य में एकरूपता
  • बेरोजगारी की संभावना
  • श्रमिकों का मानसिक विकास कम होना