अनाथ और परित्यक्त बच्चों के लिए गोद लेने का कानूनी प्रावधान – विस्तृत अध्ययन
भूमिका
भारत में अनाथ और परित्यक्त बच्चों की समस्या सामाजिक, आर्थिक और कानूनी—तीनों स्तरों पर गंभीर है। सरकारी आँकड़ों और गैर-सरकारी संगठनों की रिपोर्ट के अनुसार, देश में लाखों ऐसे बच्चे हैं जो माता-पिता के संरक्षण से वंचित हैं। इन बच्चों को स्थायी परिवार और सुरक्षित भविष्य देने का सबसे प्रभावी माध्यम गोद लेना (Adoption) है।
गोद लेना केवल मानवीय कार्य नहीं, बल्कि एक विनियमित कानूनी प्रक्रिया है, जिसमें बच्चे के सर्वोत्तम हित (Best Interest of the Child) को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। भारत में गोद लेने से संबंधित कानूनी प्रावधान विभिन्न व्यक्तिगत कानूनों और विशेष अधिनियमों में वर्णित हैं।
गोद लेने की कानूनी परिभाषा
गोद लेना वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा कोई व्यक्ति या दंपत्ति कानूनी रूप से किसी अन्य के बच्चे को अपना संतान बनाता है, और वह बच्चा जैविक संतान की तरह सभी अधिकारों और कर्तव्यों का हकदार हो जाता है।
भारत में गोद लेने का कानूनी ढांचा
1. हिंदू गोद लेना और भरण-पोषण अधिनियम, 1956 (Hindu Adoption and Maintenance Act – HAMA)
- लागू: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख समुदाय पर
- प्रमुख प्रावधान:
- गोद लेने की पात्रता (Eligibility):
- पुरुष: विवाहित होने पर पत्नी की सहमति आवश्यक
- महिला: अविवाहित, विधवा, तलाकशुदा या पति की सहमति होने पर
- बच्चे की पात्रता:
- हिंदू होना चाहिए
- अविवाहित होना चाहिए
- 15 वर्ष से कम आयु (जब तक कि प्रथा में अनुमति न हो)
- गोद लेने के बाद बच्चा पूर्ण रूप से जैविक संतान के समान अधिकार प्राप्त करता है।
- गोद लेने की पात्रता (Eligibility):
2. किशोर न्याय (बालकों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 (Juvenile Justice – JJ Act)
- सार्वजनिक और धर्मनिरपेक्ष कानून – किसी भी धर्म के व्यक्ति गोद ले सकते हैं।
- अनाथ, परित्यक्त और समर्पित (Surrendered) बच्चों के लिए लागू।
- प्रमुख प्रावधान:
- Central Adoption Resource Authority (CARA) – केंद्रीय नोडल एजेंसी जो गोद लेने की प्रक्रिया को विनियमित करती है।
- गोद लेने की पात्रता:
- अविवाहित, विवाहित, तलाकशुदा व्यक्ति (कुछ शर्तों के साथ)
- स्थिर आय और स्वास्थ्य होना आवश्यक
- बच्चे की पात्रता:
- बच्चे को Child Welfare Committee (CWC) द्वारा कानूनी रूप से गोद लेने योग्य घोषित होना चाहिए।
- गोद लेने की प्रक्रिया ऑनलाइन CARINGS पोर्टल के माध्यम से।
3. गार्जियन एंड वॉर्ड्स एक्ट, 1890 (Guardians and Wards Act – GWA)
- गैर-हिंदुओं (मुस्लिम, ईसाई, पारसी, यहूदी आदि) के लिए लागू, यदि वे JJ Act के तहत नहीं अपनाते।
- यहाँ कानूनी अभिभावक (Guardian) नियुक्त होता है, लेकिन यह पूर्ण गोद लेने जैसा अधिकार नहीं देता।
- बच्चा जैविक संतान के समान उत्तराधिकार अधिकार स्वतः नहीं पाता।
गोद लेने की प्रक्रिया (JJ Act के तहत)
- पंजीकरण (Registration) – इच्छुक अभिभावक CARA के पोर्टल पर आवेदन करते हैं।
- होम स्टडी रिपोर्ट (HSR) – मान्यता प्राप्त एजेंसी अभिभावक की सामाजिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक स्थिति का आकलन करती है।
- बच्चे का मिलान (Matching) – उपलब्ध बच्चों की सूची से उपयुक्त मिलान।
- स्वीकृति और प्री-एडॉप्शन फोस्टर केयर – कुछ समय के लिए बच्चे के साथ अभिभावक का सामंजस्य परीक्षण।
- अदालत की स्वीकृति (Court Order) – दत्तक ग्रहण की अंतिम कानूनी मान्यता।
- पोस्ट-एडॉप्शन फॉलो-अप – एजेंसी द्वारा समय-समय पर रिपोर्ट।
अनाथ और परित्यक्त बच्चों की पहचान और संरक्षण
- अनाथ (Orphan) – जिसके माता-पिता का पता नहीं या दोनों की मृत्यु हो चुकी हो।
- परित्यक्त (Abandoned) – जिसे माता-पिता या अभिभावक ने छोड़ दिया हो।
- समर्पित (Surrendered) – जिसे माता-पिता ने कानूनी रूप से CWC के समक्ष लिखित में त्याग दिया हो।
Child Welfare Committee की भूमिका:
- बच्चे को संरक्षण गृह में भेजना
- चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन
- कानूनी रूप से गोद लेने योग्य घोषित करना
महत्वपूर्ण न्यायालयीन निर्णय
- Lakshmi Kant Pandey v. Union of India (1984)
- अंतर्राष्ट्रीय गोद लेने के लिए सख्त दिशा-निर्देश।
- Shabnam Hashmi v. Union of India (2014)
- JJ Act के तहत सभी धर्मों के लोग गोद ले सकते हैं।
गोद लेने में चुनौतियाँ
- प्रक्रिया में देरी – कानूनी औपचारिकताओं और कागजी कार्रवाई की जटिलता।
- सामाजिक मानसिकता – गोद लिए बच्चों को लेकर पूर्वाग्रह।
- नकली एजेंसियां और अवैध गोद लेना – बच्चों की तस्करी का खतरा।
- बच्चों की कम उपलब्धता – गोद लेने योग्य बच्चों की आधिकारिक संख्या वास्तविक अनाथ बच्चों से कम।
सुझाव और समाधान
- प्रक्रिया में तेजी – डिजिटलाइजेशन और समय-सीमा आधारित निपटान।
- जागरूकता अभियान – समाज में गोद लेने को सकारात्मक दृष्टि से देखने की प्रवृत्ति।
- एजेंसियों पर निगरानी – अवैध गोद लेने पर कड़ी कार्रवाई।
- अंतर-राज्य और अंतर-धार्मिक गोद लेने में सुविधा – ताकि बच्चों को जल्दी परिवार मिल सके।
निष्कर्ष
अनाथ और परित्यक्त बच्चों के लिए गोद लेना केवल कानूनी औपचारिकता नहीं, बल्कि उनके जीवन की नई शुरुआत है। भारतीय कानून ने इस प्रक्रिया को बच्चे के हित में सुरक्षित, पारदर्शी और नियामित बनाने के लिए ठोस प्रावधान किए हैं।
हालाँकि, कानूनी प्रक्रिया में सुधार, सामाजिक दृष्टिकोण में बदलाव और प्रशासनिक दक्षता के बिना, लाखों बच्चों को समय पर अपना स्थायी परिवार नहीं मिल पाता।
एक संवेदनशील और जागरूक समाज को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी बच्चा अनाथालय में अपना बचपन बिताने को मजबूर न हो, बल्कि उसे प्यार और सुरक्षा से भरे घर का अधिकार मिले—क्योंकि यह उसका सबसे बुनियादी मानवाधिकार है।