शीर्षक:
“अनाथ और परित्यक्त बच्चों के लिए गोद लेने का कानूनी प्रावधान: अधिकार, प्रक्रिया और चुनौतियाँ”
भूमिका
अनाथ और परित्यक्त बच्चों का संरक्षण और उनके उज्ज्वल भविष्य की व्यवस्था किसी भी सभ्य समाज का नैतिक कर्तव्य है। भारत में ऐसे बच्चों को एक सुरक्षित और स्नेहमय परिवार उपलब्ध कराने के लिए गोद लेने (Adoption) का कानूनी प्रावधान बनाया गया है। गोद लेना न केवल बच्चे को नई पहचान और परवरिश का अवसर देता है, बल्कि दत्तक माता-पिता को भी परिवार का विस्तार और जीवन में नई खुशियाँ देता है।
भारत में गोद लेने की प्रक्रिया कठोर कानूनी नियमों और नैतिक मानकों के तहत संचालित होती है ताकि बच्चे का सर्वोत्तम हित सुरक्षित रहे।
1. गोद लेने का उद्देश्य
गोद लेने के कानूनी प्रावधान का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि—
- बच्चे को एक स्थिर और सुरक्षित परिवार मिले।
- उसके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास की सही दिशा में देखभाल हो।
- उसे समाज में समान अधिकार और पहचान मिले।
2. भारत में गोद लेने का कानूनी ढांचा
भारत में गोद लेने के लिए मुख्य रूप से तीन प्रमुख कानून लागू होते हैं:
(A) हिंदू दत्तक और भरण-पोषण अधिनियम, 1956 (Hindu Adoption and Maintenance Act, 1956 – HAMA)
- लागू होता है: हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख समुदायों पर।
- विशेषताएँ:
- केवल भारतीय नागरिकों के लिए।
- विवाहित महिला अकेले गोद नहीं ले सकती (पति की सहमति आवश्यक)।
- गोद लिए गए बच्चे को जैविक संतान जैसा ही अधिकार मिलता है।
(B) किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 (Juvenile Justice Act, 2015)
- लागू होता है: सभी धर्मों और भारतीय/विदेशी नागरिकों पर।
- विशेषताएँ:
- अनाथ, परित्यक्त और सरेंडर किए गए बच्चों के लिए।
- अंतरराष्ट्रीय गोद लेने की प्रक्रिया भी इसी के तहत।
- सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (CARA) इस अधिनियम के तहत नोडल एजेंसी है।
(C) गार्जियनशिप एंड वॉर्ड्स एक्ट, 1890 (Guardians and Wards Act, 1890 – GWA)
- मुख्यतः ईसाई, मुस्लिम, पारसी जैसे समुदायों के लिए।
- इसमें दत्तक माता-पिता गार्जियन (अभिभावक) होते हैं, माता-पिता के कानूनी अधिकार नहीं मिलते।
3. गोद लेने के पात्र बच्चे
Juvenile Justice Act के अनुसार गोद लेने के लिए बच्चा—
- अनाथ (Orphan): जिसके माता-पिता नहीं हैं।
- परित्यक्त (Abandoned): जिसे माता-पिता या अभिभावक छोड़ गए हैं।
- सरेंडर किया गया बच्चा (Surrendered Child): जिसे माता-पिता ने कानूनी प्रक्रिया के तहत त्याग दिया है।
इन बच्चों को चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (CWC) प्रमाणित करती है कि बच्चा गोद लेने योग्य है।
4. गोद लेने के लिए पात्र दंपत्ति/व्यक्ति
मानदंड (CARA Guidelines, 2020)
- आयु:
- दंपत्ति: संयुक्त आयु 110 वर्ष से अधिक नहीं।
- अविवाहित व्यक्ति: न्यूनतम 25 वर्ष, अधिकतम 55 वर्ष।
- आर्थिक स्थिति: स्थिर आय और संसाधन।
- वैवाहिक स्थिरता: कम से कम 2 वर्ष का स्थिर विवाह (यदि विवाहित हैं)।
- स्वास्थ्य: शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ।
- अविवाहित पुरुष लड़की को गोद नहीं ले सकता।
5. गोद लेने की प्रक्रिया (Step-by-Step)
चरण 1: पंजीकरण (Registration)
- CARA की वेबसाइट पर ऑनलाइन पंजीकरण।
- आवश्यक दस्तावेज अपलोड: पहचान पत्र, आय प्रमाण, स्वास्थ्य प्रमाणपत्र, फोटो, विवाह प्रमाणपत्र आदि।
चरण 2: होम स्टडी रिपोर्ट (Home Study Report – HSR)
- स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी (SAA) के सोशल वर्कर द्वारा घर का दौरा।
- दंपत्ति के पालन-पोषण क्षमता, आर्थिक स्थिति और परिवार के माहौल का आकलन।
चरण 3: बच्चे का आवंटन (Referral)
- एजेंसी गोद लेने योग्य बच्चों की सूची से दंपत्ति को विकल्प देती है।
- दंपत्ति 48 घंटे में स्वीकृति देते हैं।
चरण 4: प्री-एडॉप्शन फोस्टर केयर
- बच्चे को अस्थायी रूप से परिवार में रखा जाता है ताकि अनुकूलन हो सके।
चरण 5: कानूनी औपचारिकताएँ
- जिला न्यायालय में याचिका।
- न्यायाधीश द्वारा दस्तावेजों की जांच और आदेश जारी।
चरण 6: पोस्ट-एडॉप्शन फॉलो-अप
- एजेंसी 2 साल तक समय-समय पर परिवार का निरीक्षण करती है।
6. अंतरराष्ट्रीय गोद लेना
- भारतीय मूल के विदेशी नागरिक (NRI), प्रवासी भारतीय (PIO) और विदेशी नागरिक भी JJ Act के तहत गोद ले सकते हैं।
- इसके लिए Hague Adoption Convention, 1993 के मानदंड लागू होते हैं।
- प्राथमिकता क्रम:
- भारत में रहने वाले भारतीय दंपत्ति
- NRI / PIO
- विदेशी नागरिक
7. गोद लेने के बाद बच्चे के अधिकार
- जैविक संतान के समान संपत्ति और उत्तराधिकार अधिकार।
- समान शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा का अधिकार।
- नई पहचान और कानूनी अभिभावक का नाम सभी दस्तावेजों में दर्ज।
8. चुनौतियाँ और समाधान
चुनौतियाँ
- कानूनी प्रक्रिया में देरी – अदालत और एजेंसी स्तर पर लंबी कार्यवाही।
- सामाजिक मानसिकता – गोद लिए बच्चे को लेकर पूर्वाग्रह।
- दस्तावेजी जटिलताएँ – ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में आवश्यक दस्तावेज का अभाव।
- अवैध गोद लेना – कानूनी प्रक्रिया से बाहर बच्चों का अवैध सौदा।
संभावित समाधान
- न्यायालय और CARA में तेज प्रक्रिया के लिए तकनीक का उपयोग।
- जनजागरण अभियान ताकि गोद लेने को सामाजिक रूप से स्वीकृति मिले।
- सभी जिलों में एकल विंडो सिस्टम।
- अवैध गोद लेने पर कड़ी निगरानी और दंड।
9. निष्कर्ष
भारत में गोद लेने के कानूनी प्रावधान बच्चे के सर्वोत्तम हित और सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं। Juvenile Justice Act, 2015 और CARA Guidelines ने गोद लेने की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, व्यवस्थित और बाल-केंद्रित बनाया है।
अनाथ और परित्यक्त बच्चों के लिए यह कानून केवल कानूनी औपचारिकता नहीं, बल्कि जीवन बदलने का एक अवसर है। समाज, सरकार और न्यायपालिका के संयुक्त प्रयास से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि कोई भी बच्चा स्नेह, शिक्षा और सुरक्षा से वंचित न रहे।