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अंतरराष्ट्रीय सूचना का अधिकार दिवस एवं सम्मेलन: लोकतंत्र में पारदर्शिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल

अंतरराष्ट्रीय सूचना का अधिकार दिवस एवं सम्मेलन: लोकतंत्र में पारदर्शिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल

नई दिल्ली, 28 सितंबर 2025 — लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत जनता की भागीदारी और शासन की पारदर्शिता है। भारत में सूचना का अधिकार (Right to Information – RTI) अधिनियम, 2005 को लागू हुए लगभग दो दशक हो चुके हैं, और इस कानून ने नागरिकों को शासन की कार्यप्रणाली में सीधे तौर पर शामिल होने और जवाबदेही सुनिश्चित करने का अवसर प्रदान किया है। इसी संदर्भ में आरटीआई इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, नई दिल्ली द्वारा 28 सितम्बर 2025 को दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में अंतरराष्ट्रीय सूचना का अधिकार दिवस एवं सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।

इस सम्मेलन का नेतृत्व संस्थान के अध्यक्ष श्री मनीष कुमार शेखर कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस अवसर पर देशभर से प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं और कार्यक्रम का उद्देश्य केवल सूचना का अधिकार अधिनियम के महत्व को रेखांकित करना ही नहीं, बल्कि बदलते डिजिटल युग में सूचना तक सहज और समयबद्ध पहुँच सुनिश्चित करना भी है।


सूचना का अधिकार दिवस का महत्व

हर वर्ष 28 सितंबर को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय सूचना का अधिकार दिवस (International Right to Know Day) मनाया जाता है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि सूचना का अधिकार केवल एक कानूनी प्रावधान नहीं है, बल्कि यह नागरिकों का मौलिक अधिकार है। सूचना तक पहुँच के बिना न तो लोकतंत्र मजबूत हो सकता है और न ही नागरिक अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति सजग हो सकते हैं।

भारत में यह कानून भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सशक्त हथियार के रूप में उभरा है। ग्रामीण स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक, लाखों लोगों ने इसका प्रयोग कर प्रशासनिक अनियमितताओं, विकास कार्यों की स्थिति, सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता और न्यायिक प्रक्रियाओं में सुधार की दिशा में अहम कदम उठाए हैं।


सम्मेलन के मुख्य आकर्षण

  1. पुस्तक लोकार्पण
    इस अवसर पर दो महत्वपूर्ण पुस्तकों का विमोचन होगा:

    • “राइट टू इन्फॉरमेशन गाइड” – यह पुस्तक सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 को समझने और व्यवहारिक जीवन में उसका प्रयोग करने के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होगी।
    • “लाल किले से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी” – यह पुस्तक प्रधानमंत्री के ऐतिहासिक भाषणों, नीतियों और दृष्टिकोण को संकलित करती है, जो नागरिकों को शासन की कार्यप्रणाली को बेहतर समझने में मदद करेगी।
  2. मुख्य विषय पर चर्चा
    सम्मेलन का मुख्य विषय होगा – “डिजिटल युग में पर्यावरणीय जानकारी की पहुँच को सुनिश्चित करना”। आज जब जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, और प्राकृतिक संसाधनों के दुरुपयोग जैसे मुद्दे वैश्विक चिंता का विषय हैं, तब नागरिकों को पर्यावरणीय जानकारी तक पारदर्शी पहुँच मिलना आवश्यक है।
  3. सूचना का अधिकार प्रशिक्षण
    सम्मेलन में सूचना का अधिकार अधिनियम का विशेष प्रशिक्षण सत्र भी आयोजित होगा। इसमें प्रतिभागियों को बताया जाएगा कि किस प्रकार आरटीआई आवेदन तैयार किया जाए, किस संस्था से कौन सी जानकारी मांगी जा सकती है, और सूचना आयोग या न्यायालय में अपील की प्रक्रिया क्या है।

आरटीआई इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की भूमिका

श्री मनीष शेखर ने बताया कि आरटीआई इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया सूचना का अधिकार क्षेत्र में शिक्षण एवं प्रशिक्षण देने वाला अग्रणी संस्थान है। यह संस्था लंबे समय से आम नागरिकों, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और विद्यार्थियों को आरटीआई के प्रयोग में सक्षम बनाने का कार्य कर रही है।

संस्थान द्वारा पत्राचार के माध्यम से एक वर्षीय डिप्लोमा एवं पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा कोर्स हिन्दी और अंग्रेजी दोनों माध्यमों में उपलब्ध है। वर्तमान में इसके लिए नामांकन भी जारी है। इन कोर्सों का उद्देश्य यह है कि अधिक से अधिक लोग सूचना का अधिकार अधिनियम को समझें और उसका प्रयोग अपने तथा समाज के हित में कर सकें।


डिजिटल युग और सूचना का अधिकार

आज जब सूचना और तकनीक का युग है, तब आरटीआई की चुनौतियाँ और अवसर दोनों ही बढ़ गए हैं। डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर सूचनाओं की उपलब्धता ने पारदर्शिता को बढ़ाया है, लेकिन साथ ही सूचना के दुरुपयोग, गलत जानकारी और साइबर सुरक्षा जैसे खतरे भी सामने आए हैं।

सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत पर्यावरणीय जानकारी विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि:

  • यह हमें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, वन विभाग और जल संसाधन विभाग जैसी संस्थाओं से वास्तविक जानकारी प्राप्त करने का अधिकार देता है।
  • पर्यावरणीय आपदाओं और प्रदूषण की स्थिति में नागरिक समय रहते सही निर्णय ले सकते हैं।
  • विकास परियोजनाओं के प्रभाव का आकलन करने में यह जानकारी महत्वपूर्ण साबित होती है।

लोकतंत्र में सूचना का अधिकार: एक आधार स्तंभ

लोकतंत्र तभी सशक्त होता है जब नागरिक जागरूक हों और शासन जवाबदेह। सूचना का अधिकार अधिनियम ने यह सुनिश्चित किया है कि जनता सरकार से सवाल पूछ सके। यह कानून न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता को बढ़ाता है, बल्कि नागरिक और सरकार के बीच विश्वास को भी मजबूत करता है।

आरटीआई के प्रयोग से कई ऐतिहासिक खुलासे हुए हैं —

  • घोटालों और भ्रष्टाचार के मामलों का पर्दाफाश हुआ।
  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली, मनरेगा और अन्य योजनाओं में पारदर्शिता बढ़ी।
  • न्यायिक प्रक्रियाओं में नागरिकों की पहुँच बढ़ी।

निष्कर्ष

28 सितम्बर 2025 को आयोजित होने वाला यह सम्मेलन केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि लोकतंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक आंदोलन है। जब नागरिक जागरूक होंगे और सूचना का अधिकार सक्रिय रूप से प्रयोग करेंगे, तभी शासन वास्तव में जनता के प्रति जिम्मेदार बनेगा।

श्री मनीष शेखर और आरटीआई इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की यह पहल न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणा बनेगी। यह हमें याद दिलाती है कि सूचना तक पहुँच केवल एक कानूनी अधिकार नहीं, बल्कि एक जीवंत लोकतंत्र की आत्मा है।


1. अंतरराष्ट्रीय सूचना का अधिकार दिवस कब मनाया जाता है?

👉 हर वर्ष 28 सितम्बर को।

2. 2025 में आरटीआई दिवस का सम्मेलन कहाँ आयोजित हो रहा है?

👉 दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में।

3. सम्मेलन का आयोजन किस संस्था द्वारा किया जा रहा है?

👉 आरटीआई इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, नई दिल्ली

4. सम्मेलन की अध्यक्षता कौन कर रहे हैं?

👉 श्री मनीष कुमार शेखर, अध्यक्ष, आरटीआई इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया।

5. सम्मेलन का मुख्य विषय क्या है?

👉 डिजिटल युग में पर्यावरणीय जानकारी की पहुँच सुनिश्चित करना

6. सम्मेलन में किन पुस्तकों का लोकार्पण होगा?

👉 (i) राइट टू इन्फॉरमेशन गाइड
👉 (ii) लाल किले से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

7. सम्मेलन में क्या विशेष कार्यक्रम होगा?

👉 सूचना का अधिकार का प्रशिक्षण सत्र आयोजित होगा।

8. आरटीआई इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया किस क्षेत्र में कार्य करता है?

👉 सूचना का अधिकार के शिक्षण और प्रशिक्षण के क्षेत्र में।

9. संस्थान कौन-से शैक्षिक कोर्स कराता है?

👉 डिप्लोमा और पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा कोर्स (हिन्दी एवं अंग्रेजी माध्यम में पत्राचार द्वारा)।

10. सूचना का अधिकार का महत्व क्या है?

👉 यह लोकतंत्र में पारदर्शिता, जवाबदेही और नागरिक सशक्तिकरण सुनिश्चित करता है।