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अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा : युद्ध कानून की भूमिका एवं प्रासंगिकता

अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा : युद्ध कानून की भूमिका एवं प्रासंगिकता

प्रस्तावना

विश्व इतिहास इस तथ्य का साक्षी है कि युद्ध ने न केवल राजनीतिक मानचित्र को बदला है बल्कि करोड़ों निर्दोष लोगों की जान भी ली है। युद्ध का परिणाम केवल सीमाओं का विस्तार या संसाधनों का नियंत्रण नहीं होता, बल्कि यह मानव सभ्यता के अस्तित्व तक को संकट में डाल देता है। इसीलिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने ऐसे नियम और संधियाँ विकसित कीं जिनका उद्देश्य विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाना और युद्ध की स्थिति में भी मानवीय मर्यादा बनाए रखना है। इन्हीं नियमों और व्यवस्थाओं को युद्ध कानून (Law of War) या अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून (International Humanitarian Law – IHL) कहा जाता है।

युद्ध कानून न केवल युद्ध की स्थितियों को नियंत्रित करता है, बल्कि वैश्विक शांति और सुरक्षा की दिशा में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की नींव भी रखता है। इस लेख में हम अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के संदर्भ में युद्ध कानून की भूमिका और उसकी आधुनिक प्रासंगिकता का विश्लेषण करेंगे।


युद्ध कानून की परिभाषा और स्वरूप

युद्ध कानून का तात्पर्य उन कानूनी प्रावधानों से है जो युद्ध अथवा सशस्त्र संघर्ष की स्थिति में लागू होते हैं। इसका मूल उद्देश्य युद्ध की अमानवीयता को सीमित करना और नागरिकों, युद्धबंदियों तथा घायल सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

युद्ध कानून दो भागों में विभाजित है –

  1. हेग कानून (Hague Law) – यह युद्ध की रणनीतियों, हथियारों और युद्धक्षेत्र के संचालन से संबंधित है।
  2. जिनेवा कानून (Geneva Law) – यह युद्ध से प्रभावित व्यक्तियों जैसे सैनिकों, नागरिकों और युद्धबंदियों की सुरक्षा से संबंधित है।

युद्ध कानून का ऐतिहासिक विकास

  1. प्राचीन काल – भारत के महाकाव्यों और धार्मिक ग्रंथों में युद्ध मर्यादा का उल्लेख मिलता है। यूनानी और रोमन सभ्यताओं में भी युद्ध के आचार नियम निर्धारित किए गए थे।
  2. मध्यकालीन काल – ईसाई धर्म का ‘Just War Theory’ और इस्लामी शरीयत कानून युद्ध में नैतिकता की बात करते हैं।
  3. 19वीं शताब्दी – 1864 की पहली जिनेवा संधि ने युद्ध कानून को औपचारिक रूप दिया।
  4. 20वीं शताब्दी – प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1945 में संयुक्त राष्ट्र का गठन हुआ। इसके चार्टर में बल प्रयोग पर नियंत्रण और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की बात स्पष्ट रूप से कही गई।
  5. 21वीं सदी – आतंकवाद, साइबर युद्ध और ड्रोन तकनीक ने युद्ध की परिभाषा बदल दी है, जिससे युद्ध कानून की व्याख्या का दायरा बढ़ा है।

युद्ध कानून के प्रमुख सिद्धांत

  1. भेद का सिद्धांत (Principle of Distinction) – नागरिकों और सैनिकों में स्पष्ट अंतर होना चाहिए।
  2. अनुपातिकता (Proportionality) – युद्ध में बल प्रयोग आवश्यक और संतुलित होना चाहिए।
  3. सैन्य आवश्यकता (Military Necessity) – केवल उन्हीं कार्रवाइयों की अनुमति है जो सैन्य विजय के लिए अपरिहार्य हों।
  4. मानवीय मर्यादा (Humanity) – घायल, बीमार और युद्धबंदियों के साथ मानवीय व्यवहार अनिवार्य है।
  5. प्रतिबंधित हथियारों का निषेध – रासायनिक, जैविक और परमाणु हथियारों पर अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण है।

अंतरराष्ट्रीय संधियाँ और सम्मेलन

  1. जिनेवा संधियाँ (1949) – चार प्रमुख संधियाँ जो घायल सैनिकों, समुद्र में फँसे व्यक्तियों, युद्धबंदियों और नागरिकों की रक्षा करती हैं।
  2. हेग कन्वेंशन (1899 और 1907) – युद्ध के तरीकों और हथियारों पर नियंत्रण।
  3. संयुक्त राष्ट्र चार्टर (1945) – केवल आत्मरक्षा या सुरक्षा परिषद की अनुमति से ही बल प्रयोग वैध।
  4. रासायनिक हथियार संधि (1993) और जैविक हथियार संधि (1972) – ऐसे हथियारों के प्रयोग और उत्पादन पर रोक।
  5. परमाणु अप्रसार संधि (NPT, 1968) – परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने हेतु।
  6. अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC, 2002) – युद्ध अपराधों, मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार की सुनवाई।

युद्ध अपराध (War Crimes)

युद्ध अपराध वे कार्य हैं जो युद्ध कानून का उल्लंघन करते हैं। इनमें शामिल हैं –

  • नागरिकों की हत्या, बलात्कार और जबरन विस्थापन
  • युद्धबंदियों को यातना देना
  • अस्पतालों, विद्यालयों और धार्मिक स्थलों पर हमला करना
  • बच्चों को सैनिक बनाना
  • निषिद्ध हथियारों का उपयोग

युद्ध कानून और मानवाधिकार

मानवाधिकार और युद्ध कानून एक-दूसरे के पूरक हैं। मानवाधिकार कानून शांति और युद्ध दोनों स्थितियों में लागू होता है, जबकि युद्ध कानून केवल सशस्त्र संघर्ष की स्थिति में। दोनों का उद्देश्य मानव जीवन, स्वतंत्रता और गरिमा की रक्षा करना है।


विवादों का शांतिपूर्ण समाधान

संयुक्त राष्ट्र चार्टर में युद्ध रोकने हेतु विभिन्न शांतिपूर्ण उपाय निर्धारित किए गए हैं –

  • वार्ता और संवाद (Negotiation & Dialogue)
  • मध्यस्थता (Mediation)
  • सुलह (Conciliation)
  • मध्यस्थ न्याय (Arbitration)
  • अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice – ICJ)

आधुनिक समय में युद्ध कानून की चुनौतियाँ

  1. आतंकवाद – गैर-राज्य तत्वों द्वारा हिंसा युद्ध कानून के दायरे में पूरी तरह नहीं आती।
  2. साइबर युद्ध – डिजिटल हमलों के लिए स्पष्ट अंतरराष्ट्रीय नियमों की कमी।
  3. ड्रोन और एआई आधारित हथियार – स्वचालित हथियारों पर अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण की आवश्यकता।
  4. परमाणु खतरा – परमाणु हथियारों का प्रसार विश्व शांति के लिए गंभीर चुनौती है।
  5. राजनीतिक दबाव – शक्तिशाली देश कई बार युद्ध कानून को नज़रअंदाज़ कर देते हैं।

भारत और युद्ध कानून

भारत अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का सक्रिय पक्षकार है। संविधान के अनुच्छेद 51 में अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने की बात कही गई है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में सबसे अधिक सैनिक भेजे हैं। साथ ही, भारत जिनेवा संधियों और कई अन्य अंतरराष्ट्रीय समझौतों का पालन करता है।


आलोचना

  • युद्ध कानून का पालन अक्सर शक्तिशाली देशों के राजनीतिक हितों पर निर्भर होता है।
  • ICC की कार्यवाही कई बार पक्षपातपूर्ण मानी जाती है।
  • आतंकवाद और आंतरिक विद्रोह जैसे संघर्षों में युद्ध कानून की प्रभावशीलता सीमित है।
  • प्रवर्तन (Enforcement) के लिए मजबूत अंतरराष्ट्रीय तंत्र का अभाव है।

निष्कर्ष

अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए युद्ध कानून एक अनिवार्य स्तंभ है। यह न केवल युद्ध की अमानवीयता को सीमित करता है, बल्कि नागरिकों की रक्षा कर मानवता को जीवित रखता है। आधुनिक युग में जब युद्ध के नए रूप सामने आ रहे हैं, तब युद्ध कानून को और अधिक व्यापक, सशक्त और व्यावहारिक बनाने की आवश्यकता है।

युद्ध कानून का सबसे बड़ा संदेश यही है कि –

“युद्ध की भीषण परिस्थितियों में भी मानवीय गरिमा की रक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है।”


🔹 Objective (MCQs) प्रश्न – (1 से 15)

1. अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून (International Humanitarian Law) को और किस नाम से जाना जाता है?
(a) मानवाधिकार कानून
(b) युद्ध कानून
(c) आपराधिक कानून
(d) संवैधानिक कानून
उत्तर: (b) युद्ध कानून

2. युद्ध कानून के कितने प्रमुख भाग हैं?
(a) एक
(b) दो
(c) तीन
(d) चार
उत्तर: (b) दो (हेग कानून और जिनेवा कानून)

3. 1864 की पहली जिनेवा संधि मुख्य रूप से किससे संबंधित थी?
(a) युद्धबंदियों की सुरक्षा
(b) नागरिकों की सुरक्षा
(c) घायल सैनिकों की सुरक्षा
(d) रासायनिक हथियारों पर प्रतिबंध
उत्तर: (c) घायल सैनिकों की सुरक्षा

4. हेग कन्वेंशन (1899 और 1907) मुख्य रूप से किस विषय पर आधारित है?
(a) मानवाधिकार संरक्षण
(b) युद्ध की रणनीतियाँ और हथियार
(c) शांति स्थापना
(d) संयुक्त राष्ट्र चार्टर
उत्तर: (b) युद्ध की रणनीतियाँ और हथियार

5. संयुक्त राष्ट्र चार्टर (1945) के अनुसार युद्ध की अनुमति कब है?
(a) संसाधन प्राप्त करने हेतु
(b) आत्मरक्षा या सुरक्षा परिषद की अनुमति से
(c) किसी भी परिस्थिति में
(d) आर्थिक कारणों से
उत्तर: (b) आत्मरक्षा या सुरक्षा परिषद की अनुमति से

6. युद्ध अपराधों की सुनवाई किस न्यायालय द्वारा की जाती है?
(a) अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ)
(b) मानवाधिकार परिषद
(c) अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC)
(d) संयुक्त राष्ट्र महासभा
उत्तर: (c) अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC)

7. जिनेवा संधियाँ कब हुई थीं?
(a) 1919
(b) 1925
(c) 1949
(d) 1968
उत्तर: (c) 1949

8. परमाणु अप्रसार संधि (NPT) किस वर्ष हुई?
(a) 1962
(b) 1968
(c) 1975
(d) 1980
उत्तर: (b) 1968

9. युद्ध कानून का मूल उद्देश्य क्या है?
(a) युद्ध समाप्त करना
(b) युद्ध को सीमित करना और मानवता की रक्षा करना
(c) राज्यों को मजबूत करना
(d) साम्राज्य विस्तार करना
उत्तर: (b) युद्ध को सीमित करना और मानवता की रक्षा करना

10. कौन-सा सिद्धांत नागरिकों और सैनिकों में अंतर करने पर आधारित है?
(a) अनुपातिकता
(b) भेद का सिद्धांत
(c) आवश्यकता
(d) मानवीय सिद्धांत
उत्तर: (b) भेद का सिद्धांत

11. किस अनुच्छेद में भारतीय संविधान अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने की बात करता है?
(a) अनुच्छेद 21
(b) अनुच्छेद 32
(c) अनुच्छेद 51
(d) अनुच्छेद 370
उत्तर: (c) अनुच्छेद 51

12. युद्ध अपराध में कौन-सा शामिल नहीं है?
(a) युद्धबंदियों को यातना देना
(b) नागरिकों की हत्या
(c) अस्पतालों पर हमला
(d) आत्मरक्षा करना
उत्तर: (d) आत्मरक्षा करना

13. आधुनिक युद्ध कानून की सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
(a) मानवाधिकार संरक्षण
(b) आतंकवाद और साइबर युद्ध
(c) शांति वार्ता
(d) युद्धबंदियों का प्रबंधन
उत्तर: (b) आतंकवाद और साइबर युद्ध

14. ड्रोन और एआई आधारित हथियारों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अभी क्या स्थिति है?
(a) पूर्ण नियंत्रण है
(b) कोई स्पष्ट नियंत्रण नहीं है
(c) केवल अमेरिका नियंत्रित करता है
(d) केवल संयुक्त राष्ट्र नियंत्रित करता है
उत्तर: (b) कोई स्पष्ट नियंत्रण नहीं है

15. संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों (Peacekeeping Operations) में सबसे अधिक सैनिक कौन-सा देश भेजता है?
(a) अमेरिका
(b) चीन
(c) भारत
(d) रूस
उत्तर: (c) भारत


🔹 Short Answer प्रश्न – (16 से 25)

16. युद्ध कानून का मूल उद्देश्य क्या है?
👉 युद्ध कानून का उद्देश्य युद्ध को समाप्त करना नहीं, बल्कि उसकी अमानवीयता को सीमित करना, नागरिकों और युद्धबंदियों की रक्षा करना तथा मानवता को जीवित रखना है।

17. हेग कानून और जिनेवा कानून में अंतर स्पष्ट कीजिए।
👉 हेग कानून युद्ध की रणनीतियों, हथियारों और युद्ध संचालन से संबंधित है, जबकि जिनेवा कानून युद्ध से प्रभावित व्यक्तियों की सुरक्षा पर केंद्रित है।

18. जिनेवा संधियों के मुख्य बिंदु लिखिए।
👉 घायल सैनिकों, समुद्र में फँसे व्यक्तियों, युद्धबंदियों और नागरिकों की सुरक्षा जिनेवा संधियों का मुख्य आधार है।

19. युद्ध अपराध (War Crimes) किसे कहते हैं?
👉 युद्ध अपराध वे कार्य हैं जो युद्ध कानून का उल्लंघन करते हैं, जैसे नागरिकों की हत्या, युद्धबंदियों को यातना देना, अस्पतालों और धार्मिक स्थलों पर हमला आदि।

20. अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) की भूमिका समझाइए।
👉 ICC युद्ध अपराधों, मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार की सुनवाई करने वाला स्थायी न्यायालय है, जिसकी स्थापना 2002 में हुई थी।

21. आधुनिक युग में युद्ध कानून की क्या चुनौतियाँ हैं?
👉 आतंकवाद, साइबर युद्ध, ड्रोन हथियार, एआई आधारित हथियार और परमाणु प्रसार युद्ध कानून की नई चुनौतियाँ हैं।

22. भारतीय संविधान युद्ध कानून से कैसे जुड़ा है?
👉 भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51 अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने तथा अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान करने की बात करता है।

23. युद्ध कानून और मानवाधिकार कानून के बीच संबंध स्पष्ट कीजिए।
👉 दोनों का उद्देश्य मानव जीवन और गरिमा की रक्षा करना है। मानवाधिकार शांति और युद्ध दोनों में लागू होता है, जबकि युद्ध कानून विशेष रूप से सशस्त्र संघर्ष में।

24. विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के उपाय कौन-कौन से हैं?
👉 वार्ता, मध्यस्थता, सुलह, मध्यस्थ न्याय और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के माध्यम से विवादों का शांतिपूर्ण समाधान किया जाता है।

25. निष्कर्ष रूप में युद्ध कानून का महत्व लिखिए।
👉 युद्ध कानून यह सुनिश्चित करता है कि संघर्ष की स्थिति में भी मानव गरिमा और मर्यादा सुरक्षित रहे। यह अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।