🏢 कंपनी अधिनियम, 2013 (Companies Act, 2013) (A Comprehensive Analysis in Hindi)
1. प्रस्तावना (Preamble)
किसी भी देश की आर्थिक उन्नति के लिए मजबूत और पारदर्शी कॉर्पोरेट शासन प्रणाली (Corporate Governance) आवश्यक है। भारत में कंपनियों को विनियमित करने हेतु कंपनी अधिनियम, 1956 प्रचलित था, जिसे आर्थिक सुधारों और वैश्विक मानकों को ध्यान में रखते हुए प्रतिस्थापित किया गया और कंपनी अधिनियम, 2013 अस्तित्व में आया।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि (Historical Background)
- कंपनी अधिनियम, 1956 ने 50 से अधिक वर्षों तक भारतीय कंपनियों को नियंत्रित किया।
- समय के साथ यह अधिनियम बोझिल, जटिल और अप्रासंगिक होता गया।
- वर्ष 2009 में जे जे ईरानी समिति और अन्य रिपोर्टों के आधार पर नए अधिनियम की रूपरेखा बनी।
- 29 अगस्त 2013 को कंपनी अधिनियम, 2013 को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली।
- 1 अप्रैल 2014 से चरणबद्ध ढंग से लागू किया गया।
3. कंपनी अधिनियम, 2013 का उद्देश्य (Objectives of Companies Act, 2013)
- व्यवसाय को सरल और पारदर्शी बनाना
- शेयरधारकों और निवेशकों की सुरक्षा
- कॉर्पोरेट प्रशासन (Corporate Governance) को मज़बूत करना
- एकल व्यक्ति कंपनी (One Person Company) को वैधता देना
- कम्पनियों में सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) को कानूनी रूप देना
- ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देना
4. कंपनी की परिभाषा (Definition of Company)
धारा 2(20) के अनुसार:
“कंपनी वह संस्था है जो इस अधिनियम या पूर्ववर्ती कंपनी कानूनों के अंतर्गत गठित की गई है।”
5. कंपनी अधिनियम, 2013 की विशेषताएँ (Key Features)
- 470 धाराएँ (Sections)
- 7 अनुसूचियाँ (Schedules)
- E-Governance प्रणाली, CSR, Fraud नियंत्रण, डायरेक्टरों के लिए अधिक दायित्व
- शेयरधारकों की सुरक्षा हेतु विस्तृत प्रावधान
6. कंपनी के प्रकार (Types of Companies)
🔹 धारा 2(68) – प्राइवेट कंपनी
- सदस्य सीमा: न्यूनतम 2, अधिकतम 200
- शेयर ट्रांसफर पर प्रतिबंध
- पब्लिक इन्वेस्टमेंट नहीं ले सकती
🔹 धारा 2(71) – पब्लिक कंपनी
- न्यूनतम 7 सदस्य
- शेयर ट्रांसफर की अनुमति
- पूंजी सार्वजनिक रूप से जुटा सकती है
🔹 धारा 8 कंपनी – गैर-लाभकारी उद्देश्य वाली कंपनी
- धर्मार्थ, शिक्षा, विज्ञान, कला आदि हेतु
- लाभ वितरण की अनुमति नहीं
🔹 One Person Company (OPC)
- एक सदस्यीय कंपनी
- छोटे व्यापारियों और स्टार्टअप्स को बढ़ावा
7. कंपनी गठन की प्रक्रिया (Formation of a Company)
- नाम का आरक्षण (RUN Portal)
- MOA और AOA का ड्राफ्टिंग
- INC-32 (SPICe+) फॉर्म के माध्यम से रजिस्ट्रेशन
- CIN (Company Identification Number) जारी
- PAN, TAN, GST इत्यादि का प्राप्त करना
8. ज्ञापन और अनुच्छेद (MOA & AOA)
- MOA (Memorandum of Association): कंपनी का चार्टर दस्तावेज
- AOA (Articles of Association): कंपनी के आंतरिक नियम
9. निदेशक मंडल (Board of Directors)
न्यूनतम निदेशक:
- प्राइवेट कंपनी – 2
- पब्लिक कंपनी – 3
- वन पर्सन कंपनी – 1
प्रमुख प्रावधान:
- अधिकतम निदेशक: 15 (विशेष प्रस्ताव से बढ़ाया जा सकता है)
- न्यूनतम एक महिला निदेशक (महिला सशक्तिकरण हेतु)
- स्वतंत्र निदेशक (Independent Director) – सूचीबद्ध कंपनियों में अनिवार्य
10. प्रमुख प्रावधान (Important Sections)
| धारा | विषय |
|---|---|
| 2(20) | कंपनी की परिभाषा |
| 3 | कंपनी गठन |
| 4 | नाम का पंजीकरण |
| 7 | कंपनी का पंजीकरण |
| 12 | रजिस्टर्ड कार्यालय |
| 129 | वित्तीय विवरण |
| 135 | कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) |
| 149 | निदेशकों की संख्या और योग्यता |
| 185 | निदेशक को ऋण |
| 188 | संबंधित पक्ष लेन-देन (Related Party Transactions) |
11. CSR – कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (Section 135)
- उन कंपनियों पर लागू जिनका:
- नेट वर्थ ≥ ₹500 करोड़
- टर्नओवर ≥ ₹1000 करोड़
- या शुद्ध लाभ ≥ ₹5 करोड़
- उन्हें अपने पिछले तीन वर्षों के औसत लाभ का 2% CSR पर खर्च करना अनिवार्य है।
12. लेखा परीक्षण और धोखाधड़ी पर प्रावधान (Audit & Fraud Provisions)
- आंतरिक ऑडिट, स्वतंत्र ऑडिटर, लेखा परीक्षक की नियुक्ति
- धारा 447: धोखाधड़ी के लिए कठोर दंड – न्यूनतम 6 महीने से लेकर 10 वर्ष तक की सजा, साथ में जुर्माना।
13. शेयर पूंजी और डिबेंचर (Share Capital & Debentures)
- इक्विटी शेयर, वरीयता शेयर
- राइट इश्यू, प्राइवेट प्लेसमेंट
- डिबेंचर, गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर
14. कंपनी की समाप्ति (Winding Up / Closure)
- स्वैच्छिक समाप्ति
- NCLT के माध्यम से समाप्ति
- स्टाइक ऑफ (Strike Off) प्रक्रिया – यदि कंपनी निष्क्रिय है
15. न्यायाधिकरण और अपीलीय प्राधिकरण
- NCLT (National Company Law Tribunal)
- NCLAT (Appellate Tribunal)
- SFIO (Serious Fraud Investigation Office) – धोखाधड़ी मामलों की जांच के लिए
16. कंपनी अधिनियम, 2013 बनाम 1956 (Companies Act 2013 vs 1956)
| विषय | 1956 अधिनियम | 2013 अधिनियम |
|---|---|---|
| कुल धाराएं | 658+ | 470 |
| CSR | नहीं | हां (Section 135) |
| OPC | नहीं | हां |
| NCLT/NCLAT | नहीं | हां |
| ई-गवर्नेंस | सीमित | व्यापक |
17. संशोधन (Amendments)
- Companies (Amendment) Act, 2015
- Companies (Amendment) Act, 2017
- Companies (Amendment) Act, 2019 & 2020
इन संशोधनों से जुर्माने को कम किया गया, Ease of Doing Business को बढ़ावा मिला, और तकनीकी सरलता लाई गई।
18. न्यायिक निर्णय (Landmark Judgments)
- Tata Consultancy Services v. State of AP (2004)
सॉफ्टवेयर को “Goods” माना गया - Vodafone Tax Case
अप्रत्यक्ष शेयर ट्रांसफर पर टैक्स दायित्व - Sahara v. SEBI Case
अवैध रूप से पब्लिक से पैसा जुटाने पर कार्यवाही
19. चुनौतियाँ और आलोचना
- जटिल अनुपालन (Compliance burden)
- छोटे व्यवसायों के लिए बोझ
- बार-बार संशोधन
- CSR पर जबरदस्ती आरोप (Mandatory CSR)
20. निष्कर्ष (Conclusion)
कंपनी अधिनियम, 2013 भारत में कॉर्पोरेट संरचना को आधुनिक, उत्तरदायी और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक सशक्त कदम है। इसमें स्टार्टअप्स, निवेशकों, निदेशकों और समाज सभी के हितों की रक्षा का प्रयास किया गया है। हालांकि, इसका सफल क्रियान्वयन तभी संभव है जब नियामक, कंपनियाँ और न्यायपालिका मिलकर इसे सरल, प्रभावी और जवाबदेह बनाएँ।
21. सुझाव (Suggestions)
- अनुपालन प्रणाली का सरलीकरण
- MSMEs को छूट
- CSR को प्रेरक बनाना, न कि दंडात्मक
- निदेशकों की कानूनी शिक्षा
- कंपनी कानून की डिजिटल पहुँच बढ़ाना