“हिंदू व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति पर कक्षा-1 के उत्तराधिकारियों का पूर्ण अधिकार होता है: गुजरात उच्च न्यायालय का महत्वपूर्ण निर्णय”
पूरा लेख:
गुजरात उच्च न्यायालय ने हाल ही में हिंदू उत्तराधिकार कानून (Hindu Succession Act, 1956) की व्याख्या करते हुए एक महत्वपूर्ण और मार्गदर्शक निर्णय दिया है। न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि यदि कोई हिंदू व्यक्ति बिना वसीयत (intestate) के मर जाता है, तो उसकी मृत्यु के पश्चात Class-1 के उत्तराधिकारी (Legal Heirs) उस संपत्ति के पूर्ण और स्वतंत्र स्वामी (Absolute Owners) बन जाते हैं।
प्रकरण की पृष्ठभूमि:
विवाद एक ऐसे संपत्ति विवाद से संबंधित था जिसमें वादी ने यह दावा किया कि संपत्ति उसके पूर्वज द्वारा अर्जित थी और वह उस पर अधिकार रखता है, जबकि प्रतिवादी पक्ष ने यह तर्क दिया कि उक्त संपत्ति उनके पिता/माता की मृत्यु के बाद Class-1 उत्तराधिकारियों में बराबर बँट चुकी थी, और सभी उत्तराधिकारी अब उस संपत्ति पर पूर्ण अधिकार रखते हैं।
न्यायालय की प्रमुख टिप्पणियाँ:
- हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 8 और अनुसूची के अनुसार, यदि कोई हिंदू पुरुष बिना वसीयत के मर जाता है, तो उसकी संपत्ति सबसे पहले Class-1 Heirs को जाती है।
- एक बार जब Class-1 उत्तराधिकारियों को संपत्ति का उत्तराधिकार मिल जाता है, तो वे उस संपत्ति के पूर्ण स्वामी (absolute owners) बन जाते हैं, न कि केवल सह-उत्तराधिकारी या सीमित अधिकारधारी।
- उत्तराधिकार के बाद किसी अन्य पक्ष द्वारा उस संपत्ति पर कोई दावा केवल इस आधार पर नहीं किया जा सकता कि वह पैतृक संपत्ति है और उसमें अन्य उत्तराधिकारी भी हैं, जब तक कि कानूनन उसका विशेष अधिकार सिद्ध न हो।
Class-1 Heirs कौन होते हैं?
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की अनुसूची के अनुसार Class-1 Heirs में मुख्यतः शामिल होते हैं:
- पुत्र (Son)
- पुत्री (Daughter)
- विधवा (Widow)
- माता (Mother)
- पुत्र के पुत्र और पुत्र की पुत्री (यदि पुत्र मृत हो)
- पुत्री के पुत्र और पुत्री की पुत्री (यदि पुत्री मृत हो)
अदालत का निष्कर्ष:
गुजरात उच्च न्यायालय ने स्पष्ट कहा कि
“एक बार किसी हिंदू की मृत्यु बिना वसीयत के हो जाए और उसकी संपत्ति Class-1 उत्तराधिकारियों को प्राप्त हो जाए, तो वे स्वचालित रूप से उसके वैधानिक और पूर्ण स्वामी बन जाते हैं।”
“उनके इस स्वामित्व को चुनौती केवल उसी स्थिति में दी जा सकती है जब यह सिद्ध हो कि उत्तराधिकार नियमों का उल्लंघन हुआ या धोखाधड़ी से किसी का नाम दर्ज किया गया।“
निष्कर्ष:
यह निर्णय हिंदू उत्तराधिकार कानून की व्याख्या में साफ़ दिशा प्रदान करता है और यह बताता है कि उत्तराधिकार प्राप्त करने के बाद Class-1 उत्तराधिकारी किसी भी पूर्वज की संपत्ति पर अपूर्ण अधिकार नहीं, बल्कि पूर्ण और स्वतंत्र स्वामित्व प्राप्त करते हैं। यह फैसला उन मामलों में विशेष रूप से सहायक है जहां पैतृक संपत्ति पर कई पीढ़ियों के दावे सामने आते हैं।