मुस्लिम उत्तराधिकार कानून (Law of Inheritance) के सिद्धांत एवं सुन्नी–शिया उत्तराधिकार प्रणाली में अंतर

मुस्लिम उत्तराधिकार कानून (Law of Inheritance) के सिद्धांत एवं सुन्नी–शिया उत्तराधिकार प्रणाली में अंतर


1. परिचय

मुस्लिम उत्तराधिकार कानून (Islamic Law of Inheritance) इस्लाम के व्यक्तिगत विधि (Personal Law) का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसका उद्देश्य मृत व्यक्ति की संपत्ति का न्यायपूर्ण, व्यवस्थित और धार्मिक सिद्धांतों के अनुरूप वितरण सुनिश्चित करना है। मुस्लिम उत्तराधिकार नियम मुख्यतः कुरआन, हदीस, इज्मा (Ijma) और क़ियास (Qiyas) पर आधारित हैं।
इस विधि की खासियत यह है कि यह मृतक की संपत्ति को केवल पुरुषों के बीच नहीं, बल्कि स्त्रियों को भी निश्चित हिस्सेदारी देता है, जो उस समय की सामाजिक संरचना में क्रांतिकारी सुधार था।


2. मुस्लिम उत्तराधिकार के मूल सिद्धांत

(A) संपत्ति का स्वरूप

  • उत्तराधिकार में केवल मृतक की वैध रूप से अर्जित संपत्ति वितरित की जा सकती है।
  • संपत्ति चल (Movable) और अचल (Immovable), दोनों हो सकती है।

(B) उत्तराधिकार का आधार

  • उत्तराधिकार मृतक की मृत्यु के साथ स्वतः खुलता है।
  • उत्तराधिकार तभी संभव है जब उत्तराधिकारी जीवित हो।

(C) उत्तराधिकार का क्रम

मुस्लिम उत्तराधिकार तीन प्रकार के उत्तराधिकारियों को मान्यता देता है —

  1. कुरआनिक वारिस (Sharers / Ashab-ul-Furuz) – जिन्हें कुरआन में निश्चित हिस्सा दिया गया है, जैसे पत्नी, पति, माता, पिता, पुत्री आदि।
  2. असबा (Residuaries) – जो शेष बची संपत्ति को प्राप्त करते हैं।
  3. दूर के संबंधी (Distant Kindred) – जो उपरोक्त दोनों श्रेणियों के न होने पर उत्तराधिकारी बनते हैं।

(D) अवरोध (Bars to Succession)

कुछ स्थितियों में उत्तराधिकार का अधिकार समाप्त हो सकता है, जैसे —

  • हत्या (कातिल का उत्तराधिकार से वंचित होना)
  • धर्मांतरण (कुछ परिस्थितियों में)
  • दासता (ऐतिहासिक संदर्भ में)

(E) संपत्ति वितरण का तरीका

  • मृतक के ऋण और वसीयत (1/3 संपत्ति तक) का भुगतान पहले किया जाता है।
  • शेष संपत्ति का वितरण वारिसों के बीच कुरआन द्वारा निर्धारित अनुपात में होता है।

3. सुन्नी उत्तराधिकार प्रणाली (Hanafi Law of Inheritance)

सुन्नी मुसलमानों, विशेषकर हनफ़ी स्कूल, में उत्तराधिकार निम्नलिखित सिद्धांतों पर आधारित है —

(A) वारिसों की तीन श्रेणियाँ

  1. Sharers (Ashab-ul-Furuz) – निश्चित हिस्सेदारी पाने वाले, जैसे:
    • पति: 1/2 या 1/4
    • पत्नी: 1/4 या 1/8
    • माता: 1/3 या 1/6
    • पिता: 1/6 (कभी शेष भी)
    • पुत्री: 1/2 (एक हो तो), 2/3 (एक से अधिक)
  2. Residuaries (Asabah) – शेष बची संपत्ति लेने वाले, जैसे पुत्र, भाई, चाचा आदि।
  3. Distant Kindred – जब उपरोक्त न हों, तब संपत्ति दूर के रिश्तेदारों को जाती है।

(B) वितरण की विशेषताएँ

  • पुरुष वारिस सामान्यतः स्त्री से दोगुना हिस्सा पाते हैं।
  • पुत्र की उपस्थिति में पौत्र को उत्तराधिकार नहीं मिलता।
  • वारिसों की प्राथमिकता रक्त संबंध की निकटता पर आधारित है।

(C) उदाहरण

यदि कोई मृतक पत्नी, माता और पुत्र छोड़ता है —

  • पत्नी: 1/8
  • माता: 1/6
  • शेष संपत्ति पुत्र को।

4. शिया उत्तराधिकार प्रणाली (Ithna Ashari Law of Inheritance)

शिया मुसलमानों, विशेषकर इथना अशरी (बारह इमामी) स्कूल, में उत्तराधिकार का सिद्धांत सुन्नी से अलग है।

(A) वारिसों का वर्गीकरण

  1. प्रथम वर्ग (Class I) – माता-पिता और संतान (पुत्र, पुत्री, पौत्र आदि)।
  2. द्वितीय वर्ग (Class II) – दादा-दादी, नाना-नानी, भाई-बहन और उनकी संतान।
  3. तृतीय वर्ग (Class III) – चाचा, चाची, मामा, मामी और उनके वंशज।

(B) वितरण का सिद्धांत

  • पहले वर्ग के वारिसों की उपस्थिति में दूसरे और तीसरे वर्ग को कोई अधिकार नहीं मिलता।
  • हर वर्ग में निकटतम संबंधी को प्राथमिकता मिलती है।
  • शिया कानून में Residuary (Asabah) की अवधारणा नहीं है; सारी संपत्ति वर्गानुसार वितरित होती है।

(C) विशेषताएँ

  • पौत्र को उत्तराधिकार मिलता है, भले ही पुत्र जीवित हो।
  • पुरुष वारिस को स्त्री के मुकाबले दोगुना हिस्सा मिलता है, किंतु वितरण में वर्ग प्रणाली का पालन होता है।

5. सुन्नी और शिया उत्तराधिकार प्रणाली में मुख्य अंतर

क्रम सुन्नी प्रणाली (Hanafi) शिया प्रणाली (Ithna Ashari)
1. वारिस वर्गीकरण Sharers, Residuaries, Distant Kindred तीन वर्ग – प्रथम, द्वितीय, तृतीय
2. Residuary का सिद्धांत लागू होता है; शेष संपत्ति Asabah को जाती है लागू नहीं; पूरी संपत्ति वर्गवार बाँटी जाती है
3. पौत्र का अधिकार पुत्र की उपस्थिति में पौत्र वंचित पौत्र को हिस्सा, भले ही पुत्र जीवित हो
4. भाई-बहन का अधिकार पुत्र की उपस्थिति में वंचित पुत्र की उपस्थिति में भी भाई-बहन को हिस्सा
5. दूर के रिश्तेदारों का अधिकार केवल Sharers और Residuaries के अभाव में वर्ग प्रणाली में तीसरे वर्ग को हिस्सा मिल सकता है
6. गणना का तरीका अंशों और शेष के आधार पर वर्ग और निकटता के आधार पर
7. स्त्रियों का अधिकार सामान्यतः पुरुष से आधा हिस्सा सामान्यतः पुरुष से आधा हिस्सा, परन्तु वर्ग प्रणाली में संतुलन

6. उदाहरण द्वारा स्पष्ट अंतर

मान लीजिए मृतक ने पत्नी, एक पुत्र, एक पौत्र और एक भाई छोड़ा —

  • सुन्नी प्रणाली:
    • पत्नी: 1/8
    • पुत्र: शेष संपत्ति
    • पौत्र और भाई को कुछ नहीं।
  • शिया प्रणाली:
    • पत्नी: 1/8
    • पुत्र और पौत्र: शेष संपत्ति में हिस्सेदारी (पौत्र को भी हिस्सा मिलेगा)
    • भाई को कुछ नहीं।

7. उत्तराधिकार वितरण का धार्मिक महत्व

मुस्लिम उत्तराधिकार कानून केवल कानूनी अधिकार का विषय नहीं, बल्कि धार्मिक कर्तव्य भी है। कुरआन (सूरा-निसा, आयत 11-12) में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि “अल्लाह ने तुम्हारे लिए तुम्हारी संतान और वारिसों के हिस्से तय कर दिए हैं, अतः उनका पालन करो।”
इसका उल्लंघन पाप माना जाता है और यह इस्लामी समाज में न्याय और समानता को कमजोर करता है।


8. निष्कर्ष

मुस्लिम उत्तराधिकार कानून में संपत्ति का वितरण निश्चित अनुपातों और धार्मिक आदेशों के अनुसार किया जाता है। सुन्नी प्रणाली में Sharers, Residuaries और Distant Kindred का ढाँचा अपनाया गया है, जबकि शिया प्रणाली में वर्ग आधारित वितरण होता है और Residuary का सिद्धांत नहीं है। दोनों प्रणालियों में समानता यह है कि पुरुष सामान्यतः स्त्री से दोगुना हिस्सा पाते हैं, परन्तु महिलाओं को निश्चित और अवश्यंभावी अधिकार प्रदान करना इस्लामी उत्तराधिकार प्रणाली की विशेषता है।
इस प्रकार, यह कानून संपत्ति के न्यायपूर्ण, पारदर्शी और संतुलित बंटवारे का एक सुव्यवस्थित धार्मिक–कानूनी ढाँचा प्रदान करता है।